Earthquake: हाल ही में तुर्की–सीरिया सहित पश्चिमी एशिया के देशों में आए भूकंप ने भयंकर तबाही मचाई है । तुर्की और सीरिया में हुए महाप्रलय से अब तक 24 हजार से ज्यादा लोगों के मारे जाने की सूचना है जबकि मृतकों की संख्या अभी और बढ़ने के आसार हैं । बीते सोमवार को आए विनाशकारी Earthquake ने न सिर्फ लाखों लोगों को प्रभावित किया है बल्कि हजारों इमारतें जमींदोज हो चुकी हैं और पीड़ित देशों में जनजीवन ठप सा हो गया है ।
जहां उच्च तीव्रता वाले भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित देश तुर्किए के राष्ट्रपति रिचैप तैयब एर्डोगन ने देश में 7 दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है तो वहीं तुर्की सीरिया की मदद के लिए कई देशों ने हाथ आगे बढ़ाए हैं। ऐसे में जब तुर्की और सीरिया ने महाप्रलय को झेल रहे हैं तब यह जानना भी जरूरी हो जाता है कि भारत भी Earthquake के खतरे से बाहर नहीं है और देश में कई ऐसे हिस्से हैं जो भूकंप के सबसे अधिक संभावित क्षेत्र हैं ।
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जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भारत में भी Earthquake आते रहते हैं । देश के पूर्वोत्तर और पहाड़ी इलाकों में भूकंप के खतरे की सबसे ज्यादा संभावना रहती है । बता दें कि राजधानी दिल्ली सहित देश के कई ऐसे शहर हैं जहां भूकंप का खतरा मंडराता रहता है । दिल्ली एनसीआर में बढ़ती जनसंख्या और ऊंची इमारतों ने भूकंप आने की संभावनाओं को बढ़ावा दिया है । बता दें कि वर्ल्ड बैंक और यूएन की एक पुरानी रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2050 तक लाखों लोगों के भूकंप और तूफान से बेघर होने की संभावनाएं जताई गई हैं ।
भारत में Earthquake के खतरों को देखते हुए सेस्मिक मैपिंग में देश को 4 जोन में बांटा गया है । भूकंप के आने की जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक या सबसे कम संभावना है उनके आधार पर क्षेत्रों को बांटा गया है । बता दें कि सेस्मिक जोन –5 में आने वाले क्षेत्रों को भूकंप के लिहाज से सबसे खतरनाक श्रेणी में रखा गया है जबकि जोन–2 भूकंप के सबसे कम संभावना वाला क्षेत्र है ।
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Earthquake के लिहाज से सबसे संवेदनशील जोन–5 में हिमालय क्षेत्र के अलावा कश्मीर और कच्छ का रन आता है ।
भूकंप के लिहाज से सिस्मिक जोन में मौजूद जोन–4 एक ऐसा जोन है जिसमें भूकंप का सबसे अधिक खतरा है । इस जोन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, कश्मीर और महाराष्ट्र के इलाके आते हैं ।
जोन –3 को मॉडरेट डैमेज रिस्क जोन के नाम से जाना जाता है । भूकंप की संभावनाओं के आधार पर तय किए गए इस जोन में पश्चिमी हिमालय क्षेत्र के अलावा अंडमान निकोबार के क्षेत्र आते हैं ।
सिस्मिक जोन पर तय किए गए जोन–2 को भूकंप के लिहाज से सबसे कम डैमेज वाला जोन माना जाता है लिहाजा इस जोन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में भूकंप आने की संभावना बहुत कम मानी जाती है ।
सिस्मिक जोन के आधार पर भूकंप आने की सर्वाधिक संभावनाओं वाले देश के 10 सबसे संवेदनशील शहर निम्न हैं–
असम का गुवाहाटी भूकंप के लिहाज से सबसे संवेदनशील शहर है । सेस्मिक जोन में गुवाहाटी जोन –5 में आता है । और यही वजह है कि यहां भूकंप आने की संभावना हमेशा बनी रहती है । बता दें कि गुवाहाटी में भूकंप आते रहते हैं और यहां भूकंप की चेतावनी भी जारी की जाती रहती हैं ।
जम्मू कश्मीर के अंतर्गत कई क्षेत्रों के सेस्मिक जोन–5 में आने की वजह से यहां भूकंप का खतरा बना रहता है । बारामुला, कुपवाड़ा, बांदीपुरा आदि क्षेत्र जोन–5 में आते हैं। इसके अलावा लद्दाख और जम्मू का कुछ हिस्सा जोन–4 में आता है । हिमालय के करीब होने की वजह से श्रीनगर में भूकंप का खतरा मंडराता रहता है ।
देश की राजधानी दिल्ली सेस्मिक जोन के आधार पर सबसे अधिक नुकसान वाले जोन–4 के अंतर्गत आती है । बीते 300 सालों में दिल्ली ने 5 तीव्रता वाले भूकंप के कम से कम 5 झटकों को झेला है । यहां के दक्षिण पश्चिम इलाके जैसे छतरपुर और रिज एरिया में भूकंप आने की संभावना बनी रहती है ।
देश की आर्थिक राजधानी मानी जाने वाली मुंबई में प्राकृतिक आपदाओं का सबसे अधिक खतरा रहता है । समुद्र किनारे बसे इस शहर में सुनामी और तूफान का खतरा मंडराता रहता है । वहीं सेस्मिक जोन –4 में आने की वजह से यहां भूकंप का खतरा भी बना रहता है ।
तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई भी भूकंप के लिहाज से संवेदनशील शहर है । यह शहर कभी कम खतरे वाले जोन–2 में आता था पर सेस्मिक मैपिंग के अनुसार केरल से लगती सीमा वाले वेस्टर्न भाग की वजह से अब यह जोन–3 में आ गया है । चेन्नई में साल 2000 में 5.6 तीव्रता का भूकंप आ चुका है जबकि यहां 2004 में सुनामी भी आ चुकी है ।
6– पुणे
7– कोच्चि
8–कोलकाता
9– तिरुवंतपुरम
10–पटना