Rita Bahuguna Joshi Book: Prayagraj के सांसद डॉ रीता बहुगुणा जोशी द्वारा लिखी गई अपने ही पिता की बायोग्राफी “हेमवती नंदन बहुगुणा : भारतीय जन चेतना के संवाहक” के माध्यम से ही पूर्व मंत्री राजेंद्र कुमारी बाजपेई द्वारा इंदिरा गांधी के कान भरे जाने की बात को भी पूर्व विधायक अशोक बाजपेई ने इसे बकवास बताया है। अशोक बाजपेई ने यहां बताया कि उनकी मां राजेंद्र कुमारी बाजपेई के बारे में रीता ने अपनी किताब में जिन तथ्यों का उल्लेख किया है वो सही नहीं है। सांसद रीता बहुगुणा ने अपने पिता हेमवती नंदन बहुगुणा का नाम लेकर खुद का अस्तित्व बचा रहे हैं।
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असल में सांसद रीता बहुगुणा जोशी तथा रामनरेश त्रिपाठी द्वारा लिखी गई किताबें “हेमवती नंदन बहुगुणा : भारतीय जन चेतना के संवाहक” में रीता बहुगुणा ने सियासत के कई अहम राज़ को भी खोला है। बता दें कि अपने पिता की इसी बायोग्राफी में सांसद रीता बहुगुणा ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा के संबंधों में आई खटास के बारे में विस्तार से बताया गया है। अगले महीने 4 मई को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा विमोचन होने वाली इस किताब के माध्यम से यह बताया गया है कि पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह तथा प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुकी राजेंद्र कुमारी बाजपेई उनके पिता के खिलाफ इंदिरा गांधी के कान भरती थी।
गौरतलब है कि किताब में राजेंद्र कुमारी बाजपेई द्वारा हेमवती नंदन बहुगुणा के खिलाफ इंदिरा गांधी के कान भरे जाने की बात सामने आने पर ही गुरुवार को अशोक बाजपेई ने सांसद रीता बहुगुणा जोशी को निशाने पर लिया। उन्होंने बताया कि किताब के माध्यम से उनकी मां राजेंद्र कुमारी पर जो भी आरोप लगाए गए हैं वह सरासर गलत है। उसी दौरान हेमवती नंदन बहुगुणा की सरकार को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय में विधानमंडल के नेताओं की बैठक हुई थी। इस बैठक में हेमवती नंदन को हटाने के पक्ष में वोटिंग हुई।
बता दें कि वोटिंग के आधार पर ही वो (हेमवती नंदन) मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाए गए। मेरी मां इंदिरा गांधी की बहुत करीबी भी थी। दोनों में छोटी बहन तथा बड़ी बहन जैसा रिश्ता था। लेकिन जो अब इस दुनिया में है ही नहीं उसके बारे में इस प्रकार से लिखना ठीक नहीं है। मैं ये भी कहूंगा कि राजेंद्र कुमारी बाजपेई तथा हेमवती नंदन बहुगुणा में कभी भी झगड़ा नहीं हुआ था। झगड़ा से लिया था कि उसी दौरान बहुगुणा जी कांग्रेस को कमजोर कर उसमें खुद ही कब्जा जमाना चाहते थे।
कांग्रेस के हेमवती नंदन बहुगुणा बड़े नेता थे। इसके बावजूद उनका पूर्व पीएम इंदिरा गांधी से कई मुद्दों पर मतभेद रहता था। पूर्व पीएम वीपी सिंह से भी गहरे मतभेदों को इसी किताब में जगह दी गई है। सिर्फ इतना ही नहीं संजय गांधी, केंद्रीय मंत्री रही राजेंद्र कुमारी बाजपेई तथा अमिताभ बच्चन की कहानियों ने सवाल खड़े किए हैं। ये किताब विमोचन से पहले ही सुर्खियों तथा विवादों में है।
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भाजपा सांसद ने यह लिखा है कि हेमवती नंदन बहुगुणा कभी भी यह नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे राजनीति में आए। वह इस फील्ड को बहुत ही कठिन मानती थी तथा अवसरवाद के सख्त खिलाफ थे। वर्ष 1984 में जब अमिताभ बच्चन उनके सामने चुनाव लड़े थे तो वह आश्वस्त थे की जीत उन्हीं की होगी। लेकिन हारने के बाद से वह बहुत ही आहत हुए। उसके बाद से ही उन्होंने सक्रिय राजनीति छोड़ दी