Parents Tips: आज के जमाने में बच्चे की सही से परवरिश करना बिल्कुल भी आसान काम नहीं है। आप जैसा बच्चों के साथ बरताव करेंगे वह भी ठीक वैसा ही आचरण दूसरों के साथ करने लगेंगे। हालांकि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में पेरेंट्स के पास अपने बच्चों के लिए वैसे ही वक्त की कमी होती है। ऐसे में कई चुनौतियों के बीच अक्सर कुछ माता-पिता ऐसी गलतियां कर बैठते हैं। जिससे कि उनके बच्चे बिगड़ने लगते हैं। ऐसे में हम आपको भारतीय पेरेंट्स की उन आदतों के बारे में बताते हैं जिससे बच्चों की जिंदगी बर्बाद हो सकती है।
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आजकल लाखों बच्चे खासतौर पर कोविड-19 के बाद से मैदान में जाकर खेलेंगे तो उनका मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। इसकी बजाय स्मार्टफोन, कंप्यूटर या फिर लैपटॉप में गेम खेलना पसंद करते हैं। जिन बच्चों को गेम खेलना पसंद नहीं होता है वह यूट्यूब पर घंटों तक वीडियोस देखते हैं। जिसे ना सिर्फ बच्चों की आंखें एवं मेंटल हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है और उनका ओवरऑल विकास भी प्रभावित होता है।
एक ऐसी चीज जिसका सामना आजकल की पीढ़ी को करना पड़ता है और वह है धैर्य यानी कि सब्र की कमी। ऐसे में यह जरूरी है कि आप खुद ही धैर्यवान हो यानी पहले खुद सब्र लेकर आए खासकर उन विपरीत परिस्थितियों में जब आप परेशान हो। यानी कि आपके लिए यह ध्यान रखना भी काफी जरूरी है कि आप अपने बच्चों को धीरज रखना यानी कि सब्र करना सिखाएं।
कई पेरेंट्स थोड़ी सी बात पर ही अपने बच्चों को डांटने लगते हैं। खास तौर पर पढ़ाते समय बच्चों को कुछ समझ में ना आने पर वह उन्हें डांटने लगते हैं। इससे बच्चा आगे कुछ भी पूछने के लिए डरने लगता है। पेरेंट्स के चीखने चिल्लाने एवं गुस्से का साइड इफेक्ट यह हो सकता है कि आगे चलकर आपका बच्चा भी ज्यादा गुस्से वाला प्रवृति के बन सकते है.
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Parents Tips, बहुत से पेरेंट्स अपने सिर दर्द और टाइम बचाने के लिए बच्चों की हर जिद को प्यार से समझाएं बिना ही वो कुछ बोले तो पूरा कर देते हैं। ऐसे में उनके लाडले यह नहीं सीख पाते कि उन्हें अपनी भावनाओं पर कैसे काबू पाना है। वहीं पर इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों की हर जिद्द तुरंत पूरी होने से वह अपनी जिंदगी में सही एवं गलत के बीच का अंतर करना नहीं सीख पाते।
Parents Tips, आजकल के बच्चों में हर बात पर जीतने की भावना तेजी से बढ़ी है। यह कंपटीशन के दौर की कोई मजबूरी नहीं बल्कि वह प्रवृत्ति है जिसका चलन काफी अधिक इसलिए बढ़ा है। क्योंकि ऐसे मामलों में मैक्सिमम पेरेंट्स बच्चों को जीतने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ऐसा करना गलत नहीं है लेकिन इसके साथ ही साथ पेरेंट्स को अपने बच्चों को फेलियर यानी कि फेल होने जैसी स्थिति से भी निपटना सिखाना चाहिए। हालांकि कुछ मामलों में असफलता से सीख लेना भी बच्चों की ग्रोथ एवं विकास के लिए बहुत जरूरी होता है।