Panchayat Season 2: चौकीदार और चोर जैसे रोल करते-करते थक गए थे पंचायत-2 के विनोद। अपने जीवन से जुड़े हुए किस्सों को बयान करके फैंस से शेयर किया अपने दिल का राज।
जब से ही पंचायत 2 का दूसरा पार्ट रिलीज हुआ है तब से इस वेब सीरीज में कम करने वाला हर कलाकार सुर्खियों में बना हुआ है। Panchayat Season 2 में विनोद का किरदार निभाने वाले अशोक पाठक ने aajtak.in से बातचीत में अपने एक्टिंग के सफर और पंचायत से जुड़े दिलचस्प किस्से शेयर किए। पिछले 11 साल से एक्टिंग में सक्रिय रहे अशोक ने फिल्म बिट्टो बॉस से अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। पंचायत-2 से जुड़ा हुआ एक और किस्सा बयान करते हुए अशोक ने कहा की उन्होंने इस सीरीज का ऑडिशन बडे ही आनन-फानन या युं कह लें कि बडे ही बेमन से दिया था।
Panchayat Season 2 के रिलीज होते ही इस फिल्म के मेन किरदारों के साथ-साथ इस शो के सपोर्टिंग कैरेक्टर्स भी अपनी शानदार एक्टिंग के दम पर दर्शकों का ध्यान अपनी ओर खिंचने में कामयाब रहे हैं। खासकर इस शो का किरदार विनोद भले ही कम समय के लिए था लेकिन एक्टिंग की सहजता के कारण वे सभी के फेवरेट बन चुके हैं। विनोद का किरदार अभिनेता अशोक पाठक ने aajtak.in से बातचीत में अपनी एक्टिंग जर्नी और पंचायत से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से सुनाए है,
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अपने कैरक्टर के बारे में एक बहुत बड़ा इंटरेस्टिंग फैक्ट बताते हुए अशोक ने कहा की उन्होंने पंचायत के विनोद के लिए ऑडिशन बहुत ही आनन-फानन या युं कह लें कि बड़े ही बेमन से दिया था। अशोक के मुताबिक, ‘जब मुझे कास्टिंग से कॉल आया,तो मैं निराश हो गया था क्योंकि पिछले कई सालों से रेहड़ी वाला, ड्राइवर या फिर सिक्योरिटी गार्ड जैसे ही किरदार करता हूं। इसलिए मैंने तो यही सोच लिया की विनोद का किरदार भी कुछ इस प्रकार ही होगा।
कुछ कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए जैसे तैसे करके ऑडिशन को टालते रहे। कास्टिंग वाले भी अशोक के दोस्त थे। अशोक के मुताबिक वह उन्हें इनकार नहीं कर पाए और अपना ऑडिशन वीडियो बनाकर भेज दिया। उस वक्त वह आर्या 2 की शूट के लिए जा रहे अशोक का विडियो कास्टिंग स्टाफ को पसंद आ गया और उनकी कास्टिंग हो गई। अशोक कहते हैं की अगर वो विनोद के किरदार को नहीं करते तो शायद उन्हें दर्शकों का इतना प्यार नहीं मिलता।
अशोक कहते हैं, ‘मैंने कभी यह उम्मीद नहीं की थी कि मुझे इतना बेहतरीन रिस्पॉन्स मिलेगा। लोगों के मैसेज आ रहे हैं। पटना से एक परिवार लिखता है कि हमने आपके सभी डायलॉग्स रट लिए हैं और खासकर लोग ‘बुलाएंगे’ वाले लाइन की तारीफ कर रहे हैं। अशोक कहते हैं की उन्होंने यह कभी नहीं सोचा था की उनके काम को लोग इतना पसंद करते हुए नोटिस करेंगे। कुछ लोग तो यह भी कह देते हैं वह उसी किसी गांव से है, लोग कहते हैं की हम आपको पैसे भेजेंगे आप टॉयलेट बनवा लीजिए। साथ ही अशोक भी उन्हें आने वाले हर मैसेज का रिप्लाई देने का प्रयास करते हैं और कई बार वह इमोशनल भी हो जाते हैं।
अपने किरदार के बारे में बात करते हुए अशोक ने कहा की सोशल मीडिया पर कुछ समय पहले विनोद को लेकर बहुत सारे मीम्स बने थे और हर कोई विनोद पर कमेंट किया करता था। मेकर्स ने शायद इस शो में विनोद से इंस्पायर होकर ही यह किरदार बनाया है पंचायत फिल्म में एक सीन हैं, जहां बीडीओ मैडम पूछती हैं कि क्या हो रहा है यहां पर, तो अशोक के मुंह से निकलता है ‘हम विनोद’। अशोक कहते हैं की इस सीन के बाद वह बहुत हंसते थे।
अशोक कहते हैं की रोजाना ही उनकी खुद से भी लड़ाई होती थी। कई बार ऐसे मौके भी नहीं मिलते थे और कहीं बार बिना काम के भी घर पर बैठना पड़ा था। अशोक कहते हैं कि, शायद मैं विनोद इतनी सहजता से जी पाया हूं क्योंकि मैंने कभी फ्रस्ट्रेशन अपने अंदर आने ही नहीं दिया। मेरी यही कोशिश रहती है कि मैं अपने हर किरदार के साथ सहजता से रहूं।
अपने बारे में आगे बात करते हुए अशोक ने कहा की उन्होंने अपने ऑडिशन में कई बार नॉट फिट सुना था। उन्हें हमेशा नौकर, रेहड़ीवाला, चौकीदार, चोर उच्चक्का, दो तीन डायलॉग्स जैसे ही रोल्स मिलते थे। अशोक की हमेशा से यह ख्वाहिश रही थी की काश उसे ऐसा कोई रोल मिले जिससे वह खुद को साबित कर पाए क्योंकि उन्हें कभी बड़े रोल्स के लिए ऑडिशन के लिए बुलाया नहीं गया था। Panchayat Season 2 उनके लिए एक ऐसी सीरीज साबित हुई जिसने उनके लिए सफलता के रास्ते खोल दिए और उन्हें अपनी काबिलियत दिखाने का चांस मिला।
अशोक का जिवन बढ़ा ही उतार-चढ़ाव वाला रहा है। बिहार से हरियाणा माइग्रेट हुई अशोक की फैमिली की आर्थिक हालत भी सही नहीं थी, इस वजह से उनका बचपन तंगी में ही गुजरा था। उस बाद परिवार का हाथ बंटाने के लिए उन्होंने क्लास 10वीं से रुई बेचना शुरू कर दिया। रोजाना हरियाणा के आस-पास के इलाकों में साइकिल पर बैठकर रुई बेचने का कम करते थे। अशोक कहते हैं कि,” मैं बड़े ही कमाल से रुई बेचता था और आर्टिस्ट उन दिनों से ही मेरे अंदर आया है। मैं हर रोज ही सौ रुपए से 150 रुपए तक की कमाई कर लेता था।
12वीं कक्षा तक आते-आते मेरे पापा की हालत भी सुधार गई और पापा को स्टील फैक्ट्री में नौकरी मिल गई थी। यह वह समय था जब हमारा परिवार भी गरीबी रेखा से कुछ ऊपर आ गया था। वैसे मुझे पढाई लिखाई में दिलचस्पी नहीं थी। मैंने अपने दोस्तों के सिफारिश से ही कॉलेज में एडमिशन लिया था। यहां थिएटर करने के दौरान ही एक साल में मुझे स्कॉलरशिप भी मिल गई और मेरी कॉलेज फीस माफ हो गई। यहीं से मेरे एक्टिंग करियर की शुरुआत हुई थी।”
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अशोक कहते हैं की आज से 11 साल पहले जब उन्होंने मुंबई शहर में कदम रखा तो उस समय मुंबई नगरी में कुछ बवाल चल रहा था। यह वह समय था जब यहां से बिहारियों को मार कर भगाया जा रहा था। अशोक भी उन लोगों में फंस गए थे। तब वह अपने एक दोस्त के घर तीन दिन तक रहे। अशोक का दिल पुरी तरह टूट गया और वह इतने घबरा गए थे की जल्द से जल्द मुंबई छोड़कर यहां से भाग जाना चाहते थे।
लेकिन दोस्त के कहने पर उन्होंने एक प्रोमो के ऑडिशन देने के बारे में सोचा। वह वहां से स्टूडियो गए और वहीं से उन्होंने महंगाई डायन सॉन्ग गाया और यह वह गाना ही था जिनसे उनका सिलेक्शन भी हो गया। वैसे तो पहली कमाई सिर्फ 2.5 हजार की ही रही थी लेकिन तब से छोटे मोटे हर प्रकार के काम भी मिलने लगे और पैसे भी आने लगे। सिर्फ एक महीने के समय में तो मैं अशोक लखपति भी बन चुके थे। इतने पैसे ना उनके परिवार ने कभी देखे थे ना कभी सोचा भी था। अशोक सिर्फ 40,000 रुपए लेकर मुंबई आए थे और सोचा था कैसे रहेंगे, कैसे किस्मत को आजमाएंगे।
जैसे-तैसे दिन खत्म होते गए और जिंदगी में आगे बढ़ते गए। अशोक कहते हैं कि अगर उस वक्त आते ही मुझे काम नहीं मिला होता, तो शायद मैं मुंबई छोड़कर चला जाता। यकीन मानिए, मेरे वो चालीस हजार रुपये आज भी बचे हुए हैं। कुछ समय पहले ही एक रूम किचन का फ्लैट भी ले लिया है और काम भी बहुत ही अच्छा चल रहा है।