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one belt one road: प्राचीन काल में चीन, यूरोप और बाकी देशों के साथ व्यापार करता था। इस मार्ग से रेशम का व्यापार किया जाता था इसलिए इसे सिल्क रूट कहते हैं। कनिष्क ने सिल्क रूट पर कब्जा कर लिया था। इसलिए चीन की शक्ति कम होती गई। वर्तमान में चाइना के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस प्राचीन रूट को फिर चालू करना चाहते हैं। इससे ” वन रूट वन वेल्ट ” कहा जाता है । यदि चीन का यह प्लान सफल हो गया तो चीन को विश्व में महाशक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता।
चीन one belt one road ऐसे देशों को कर्जा देता है जो कर्जा चुकाने में असमर्थ होते हैं। और चीन यही चाहता है कि गरीब देश कर्ज ना चुका पाए और चीन सिल्क रूट के सभी देशों पर कब्जा कर ले ।
सिल्क रोड इकोनामिक बेल्ट – यह पूर्णता स्थल खंड पर बना मार्ग है। जहां प्राचीन काल में व्यापार किया जाता था। यह मार्ग चीन के जियान शहर से शुरू होकर यह मध्य एशिया से होकर तजाकिस्तान , ईरान ,इराक से होकर या यूरोपीय देशों तक चला जाता है।
21st सेंचुरी मैरिटाइम सिल्क रूट – यह मार्ग पूर्णता समुद्री मार्ग है । यह दक्षिण चीन से लेकर हिंद महासागर से लाल सागर से निकलकर यूरोप तक जाता है। यह मार्ग दक्षिण चीन सागर से शुरू होकर मलक्का ,मलेशिया , जावा , बंगाल की खाड़ी से होकर अफ्रीका के नैरोबी केन्या तट से होते हुए लाल सागर से होते हुए यूरोपीय देशों तक चला जाता है।
one belt one road हाल ही में श्रीलंका को अपने देश का बड़ा हिस्सा 99 वर्ष की लीज पर देना पड़ा है। यह श्रीलंका देश को एक गहरी चोट है लेकिन श्रीलंका के लिए तो हानिकारक है ही साथ में यह भारत के लिए भी नुकसानदेह है क्योंकि उत्तर में चीन भारतीय सीमा में घुस घुस कर अपने क्षेत्र को विस्तारित करता जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश के अंदर चीन ने अपने गांव बसा लिए हैं और पश्चिम में पाकिस्तान को मीनि चाइना कहना गलत नहीं होगा।
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तब चीन की यह शर्त होती है कि इन्फ्राट्रक्चर के लिए लेबर, मटेरियल, कच्चा माल चीन से ही आयात किया जाएगा । चीन कर्ज देकर गरीब देशों को अपने जाल में फंसाता है। इससे चीन को 3 फायदे होते हैं-
(1) चीन के पास बहुत पैसा है इसलिए वह देशों को कर्ज देकर उसका उपयोग कर लेता है ।
(2) तिजोरी में पड़े पैसों का उपयोग हो जाता है और ब्याज मिल जाता है। वह गरीब देशों को उनकी हैसियत से ज्यादा कर्जा दे देता है तो गरीब देश कर्जा नहीं चुका पाते हैं इसलिए उन्हें अपने देश का कुछ हिस्सा चीन को देना पड़ जाता है ।