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अब निजी स्कूल और कॉलेज मनमानी फीस नहीं वसूल पाएंगे

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केंद्र सरकार ने हाल ही में नई शिक्षा नीति घोषित की है। शिक्षा के विभिन्न आयामों पर इस नीति के असर को लेकर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक से बात की जिसका कुछ इस प्रकार है

इस नीति पर भारत का भविष्य निर्भर करता है इसीलिए सूक्ष्म अध्ययन की जरूरत थी जनता शिक्षाविदों राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों के मंत्रालय से सुझाव लिए गए सितंबर 2019 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की विशेष बैठक हुई जिसमें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 26 शिक्षा मंत्रियों ने भाग लिया 7 नवंबर 2019 को संसद की स्थाई समिति के समक्ष प्रस्तुति भी की गई।

स्कूली शिक्षा के लिए ज्यादातर आपत्तियां फंडिंग से संबंधित ही जैसे कि मिड डे मील के साथ-साथ सुबह के नाश्ते के लिए फंडिंग कैसे होगी उच्च शिक्षा मामले में ज्यादातर आपत्तियां मान्यताओं को लेकर थी क्योंकि शिक्षा समवर्ती सूची का हिस्सा है इसीलिए हम कोई भी सुझाव राज्यों के साथ विचार करके ही लागू करेंगे या शिक्षा नीति केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा शिक्षा के निवेश को बढ़ाने का समर्थन करती है इसीलिए जीडीपी के 6% तक पहुंचने के लिए मिलकर काम करेंगे।

नीति में स्पष्ट कर दिया है कि कौन संस्था की स्कूल की कितनी फीस रख सकता है अधिकतम फिस भी तय होगी फिर से संबंध में यह नियम उज्जवल स्कूली शिक्षा दोनों पर समान रूप से लागू होगी प्राइवेट व सरकारी दोनों तरह के संस्थान इस नियम के दायरे में होंगे।

उच्च शिक्षा की पदोन्नति हेतु एक व्यापक स्वर समावेशी असेंबली विकास होगा जिसके तहत मानव संस्थान वित्तपोषण प्रत्ययन भाविन में के लिए स्वतंत्र इकाइयां बनेंगे या निकाय पदोन्नति से फेस मेल जिनमें का काम करेंगे उनके पास मानकों पर चलने वाले निजी या सरकारी संस्थानों पर कार्रवाई करने की शक्ति होंगे।

नई शिक्षा नीति के 5 सबसे महत्वपूर्ण बिंदु क्या है इन छात्रों को क्या लाभ होगा

मुख्य रूप से निवेश में प्रयाग द्विवेदी व नई पहल के साथ-साथ 3 से 6 वर्ष के बीच सभी बच्चों के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रारंभिक शिक्षा तय करना है हमारे लिए 5 वर्ड्स पांच प्रमुख बातों में मल्टीपल एंट्री वर्क एग्जिट सिस्टम स्कूल शिक्षा के लिए सौ पर्सेंट नामांकन अनुपात प्राप्त करना और मेडिकल एजुकेशन के अलावा समूची उच्च शिक्षा के लिए सिंगल रेगुलर विज्ञान कला मानविकी गणित और व्यवसायिक क्षेत्रों के लिए एकीकृत शिक्षा और वर्ष 2025 तक 50 छात्रों को शिक्षा प्रदान करना शामिल है इसमें भी सबसे महत्वपूर्ण मल्टीपल अभी यदि कोई छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं करता तो उसको कुछ नहीं मिलता अब 1 साल के बाद पढ़ाई छोड़ने पर 2 साल के और 3 साल के बाद पढ़ाई छोड़ने के बाद देश के लिए बड़ी भूमिका होगी प्रस्तावित शिक्षा से देश में रोजगार शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा स्वराज कर पढ़ने की संस्कृति खत्म होगी।

Brijendra Kumar

Founder and Chief Editor

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