शिक्षा के लिए संघर्ष और राजनीति

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बिना शिक्षा के किसी भी देश की प्रगति संभव नहीं हो सकती है । शिक्षाएं विकसित देश और सभ्य समाज का आधार है। शिक्षा से ही हर समस्या का समाधान निकलता है ।

सोचने वाली बात यह है कि जब शिक्षा हर समस्या का समाधान है तो भारत में शिक्षा का निम्न स्तर क्यों है भारत में शिक्षा के निम्न स्तर होने के कई कारण है लेकिन जो वर्तमान में सरकार वह नहीं चाहती कि जनता शिक्षित हो। क्योंकि शिक्षित होने से मस्तिष्क का विकास होता है और हर शिक्षित व्यक्ति सत्ता से सवाल करता है और कोई सरकार नहीं चाहती कि उन पर कोई सवाल उठाए। इसलिए सरकार शिक्षित जनता नहीं चाहती।

इसलिए सरकार स्कूल कॉलेजों की फीस बढ़ा देती है। जिससे कि बच्चे फीस देने में असमर्थ रहे और पढ़ ना पाए। और फीस के बढ़ने के विरोध में जब स्टूडेंट्स प्रोटेस्ट करते हैं तो उन्हें एंटी नेशनल और आतंकवादी का आरोप लगाकर जेल में डाल देते हैं।

हमारा भारत देश शिक्षा के मामले में पिछड़ा हुआ है। सरकार को चाहिए कि उच्च शिक्षा के लिए सरकार स्टूडेंट्स को प्रोत्साहित करें लेकिन भारत सरकार इसका उल्टा ही करती है। कई देशों में उच्च शिक्षा के लिए सरकार स्टूडेंट का खुद ही खर्च उठाती है और छात्रों को प्रोत्साहित करती हैं।

फ्रांस जर्मनी नॉर्वे जैसे देश उच्च शिक्षा के लिए स्कूल कॉलेजों में खुद ही रुपए देते हैं और स्टूडेंट्स को उच्च शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करते हैं ठीक है।

हमारे इतिहास में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर महात्मा गांधी और कई ऐसे महापुरुषों के नाम दर्ज है जो शिक्षा पाने के लिए समाज भूख गरीबी छुआछूत से लड़े हैं और वर्तमान में शिक्षा के लिए संघर्ष और भी बढ़ गया है क्योंकि वर्तमान में सबसे पहले हमें खुद से ही संघर्ष करना पड़ेगा क्योंकि अब देश के भविष्य युवाओं के मन में यह डाला जा रहा है कि पढ़ने से क्या होगा ,पैसे की बर्बादी ,समय की बर्बादी और कुछ नहीं। कभी तो आपने सुना ही होगा कि पढ़ने से क्या होता है सरकारी नौकरी तो मिलती नहीं इससे अच्छा तो कोई बिजनेस कर लेते हैं। अक्सर लड़कियों के मन में यह बिठाया जाता है कि पढ़ने से क्या होगा आखिर करना तो चूल्हा चौका ही है। यदि आपके मन में यही सोच होती है तो समझ लीजिएगा आप वही जा रहे हैं जहां सरकार या सत्ता पर आसीन होने वाले तुम्हें ले जाना चाहते हैं। क्योंकि अनपढ़ जनता से अच्छा बोट बैंक बनता है।

सोशल मीडिया पर हजारों हजार ऐसे वीडियो देखने को मिल जाएंगे जिनमें अशिक्षित जनता बताते हुए मिल जाएगी कि वह अपने ग्राम प्रधान के कहने पर इस पार्टी को वोट दे रहे हैं।कोई साड़ी पाने के लिए कोई शराब के लिए और कोई चंद रुपयों के लिए अपना वोट दे देते हैं।अशिक्षित भोली जनता को अपने वोट की शक्ति का भी ज्ञान नहीं होता है कोई नेताओं के भाषणों पर चिकनी चुपड़ी बातों में आकर बिना तथ्यों की जानकारी किए बिना ही अपना कीमती वोट दे देते हैं।

अशिक्षित जनता से नेताओं को बहुत फायदा होता है जिससे सरकार नहीं चाहती कि जनता शिक्षित हो इसलिए भारत सरकार जीडीपी का लगभग 3 परसेंट से भी कम शिक्षा पर व्यय करती है यह बहुत ही चिंताजनक और परेशान करने वाली बात है।

भारत अपनी बड़ी जीडीपी का सिर्फ और सिर्फ 2.7 ही शिक्षा पर खर्च करता है। और भारत से छोटे देश मलेशिया , केन्या, कोरिया जैसे देशों से भी भारत कम शिक्षा पर खर्च करता है।

हम अपनी सरकार से केवल अच्छा स्वास्थ्य ,अच्छी शिक्षा ,अच्छी सड़क ,बिजली, साफ पानी ही चाहते हैं लेकिन इन मूल आवश्यकताओं की भी अच्छी व्यवस्था नहीं की गई है। सरकारी अस्पतालों में एक बेड पर 3 से 4 मरीज लेटे रहते हैं। शिक्षा के लिए स्टूडेंट्स को जो संघर्ष करना पड़ रहा है वह है बहुत चिंताजनक है। सवाल यह उठता है कि हमारी सरकार शिक्षा स्वास्थ्य बिजली पानी पर खर्च नहीं कर पा रही है तो खर्च कहां पर कर रही है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की नवीनतम रिपोर्ट से साफ हुआ है कि साल 2018 में 12,936 लोगों ने बेरोजगारी से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। स्टूडेंट्स को बड़ी जद्दोजहद से शिक्षा मिल पाती है उच्च शिक्षा के लिए बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है फिर भी नौकरी की कोई आशा नहीं रहती है इसलिए स्टूडेंट्स हताश हो जाते हैं और आत्महत्या जैसा कदम उठा लेते हैं।

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