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Moonlight आखिर क्या बला है जिससे भड़की हैं इंफ़ोसिस, विप्रो जैसी बड़ी कंपनियाँ

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Moonlight: पिछले कुछ दिनों में मूनलाइटिंग को लेकर चर्चा काफी तेज़ हो गई है। क्योंकि इस मूनलाइट लेकर टेक कंपनी इंफोसिस ने अपने कर्मचारियों के लिए चेतावनी दी है।

कंपनियां दे रही चेतावनी

कंपनी ने कर्मचारियों से ई-मेल में कहा कि कर्मचारी नियमों के अनुसार मूनलाइटिंग की इजाजत नहीं होगी और इसका उल्लंघन करने पर कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत नौकरी भी  जा सकती है।

विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने भी मूनलाइटिंग का विरोध करते हुए इसे धोखेबाज़ी का नाम दिया था।उन्होंने अपने ट्विट में कहा था, ”टेक इंडस्ट्री में लोगों के मूनलाइटिंग करने की काफ़ी चर्चा है. लेकिन ये साफ साफ धोखेबाज़ी है।”

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कंपनी ने मूनलाइटिंग को धोखेबाजी का नाम दिया

इसी मामले में लाखों कर्मचारियों वाली जानीमानी टेक कंपनी आईबीएम का नाम भी जोड़ा गया है। आईबीएम ने भी मूनलाइटिंग को अनुचित करार दिया है। कंपनी ने बुधवार को मूनलाइटिंग को गलत बताते हुए बयान जारी किया।

एक रिपोर्ट मुताबिक आईबीएम के भारत और दक्षिण एशिया के निदेशक संदीप पाटिल ने बताया कि कंपनी में नौकरी करने से पहले कर्मचारी एक अनुबंध पर हस्ताक्षर करते हैं कि वो सिर्फ़ आईबीएम के लिए काम करेंगे।

कंपनियां मूनलाइटिंग के कारण प्रोडक्शन पर असर पड़ने और कंपनी को नुक़सान होने की बात करती हैं। उनका कहना है कि इसके वजह से कर्मचारी की उत्पादकता पर असर पड़ता है।

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मूनलाइटिंग क्या है

जब कोई कर्मचारी एक से अधिक कार्य करता है, या एक नौकरी के साथ-साथ दूसरे काम में भी अपना समय देता है उसे मूनलाइटिंग कहते हैं। बहुत से लोग नौकरी के साथ-साथ आमदनी बढ़ाने के लिए किसी दूसरे काम को भी करते हैं इसे फ्रीलांसिंग भी कहते हैं।

मूनलाइटिंग के तहत कोई भी काम  आ सकता है। जैसे कुछ लोग अपने मूल कार्य को करने के साथ-साथ उससे मिलते जुलते प्रोडक्ट में दूसरा काम करते हैं। कोई डिलीवरी का कार्य करता है, कोई वेटर का,कोई ट्रांसलेटर डबिंग,राइटिंग,या वेबसाइट बनाना, मार्केटिंग करना आदि काम मूनलाइटिंग के तहत आ सकते हैं।

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मूनलाइट के तहत कर्मचारी के द्वारा किया जाने वाला कोई दूसरा काम या नौकरी की जानकारी कंपनी के मालिक को नहीं होती है।

मून लाइटिंग को लेकर अलग-अलग है राय

मूनलाइटिंग को लेकर सब की राय अलग-अलग है।  इंफ़ोसिस के पूर्व निदेशक मोहनदास पई मूनलाइटिंग को धोखेबाजी नहीं  कहते हैं। वे कहते हैं कि किसी भी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी का उसके मालिक के साथ एक निश्चित टाइम तक काम करने का अनुबंध होता है। उसके बाद वह कर्मचारी स्वतंत्र है कि वह दूसरा काम करें या ना करें।

इस मामले में फूड डिलीवर करने वाली कंपनी स्विगी का कहना है की कोई भी कर्मचारी हमारे द्वारा बनाए गए नियमों को तोड़े बिना वह दूसरी जगह काम करने के लिए स्वतंत्र है। है। स्विगी ने अपने कर्मचारियों को मूनलाइटिंग की सुविधा दी है।

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कुछ लोग मूनलाइटिंग को कर्मचारियों की चॉइस के ऊपर निर्भर मानते हैं।  उनका कहना है कि कर्मचारी कंपनी के लिए जितने घंटे में काम करते हैं, बस उनका संबंध उतने घंटों से ही है  उसके बाद वह किसी दूसरे जगह काम करने के लिए स्वतंत्र है।

मूनलाइटिंग लोग क्यों करते हैं

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सामान्यता Moonlight करने के पीछे जो मुख्य कारण है वह यह है कि एक नौकरी से पर्याप्त आमदनी ना हो पाने पर लोग दूसरे जगह काम करते हैं ताकि उनकी आमदनी ज्यादा हो। एक आईटी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी ने एक इंटरव्यू में बताया की वह अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए दूसरे जगह काम करते है।

वे कहते हैं, ”एक कारण ये भी है कि ऑफिस में आपकी कार्य करने की स्थिति निर्धारित और सीमित है। जैसे हमारे काम में सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट और टेस्टिंग दोनों  शामिल है। लेकिन, अगर किसी वजह से मुझे सॉफ़्टवेयर टेस्ट के रूप में काम शुरू करना पड़ता है, लेकिन मैं सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के बारे में भी जानता हूं, तो ऑफिस में तो मेरा काम सिर्फ सॉफ्टवेयर टेस्टिंग का रहेगा और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की क्षमता मेरी धीरे-धीरे खत्म होती जाएगी।

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इसलिए ऑफिस के अलावा दूसरे जगह में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट के कार्य को करके अपनी दूसरी क्षमता को बढ़ा भी सकता हूं और इनकम भी कर सकता हूं। तो मूनलाइटिंग एक तरीके की नौकरी नहीं है, बल्कि पार्ट टाइम काम है। इसलिए कंपनी को इसे करने से नहीं रोकना चाहिए।

Moonlight से कार्य क्षमता का विकास होता है

इसी तरह एक महिला अर्चना सिंह जो की वीडियो एडिटिंग का काम करती हैं वह भी फ्री लॉन्चिंग करती हैं । उन्होंने खुद के लिए एक एडिटिंग मशीन खरीद कर नौकरी के साथ-साथ अपना भी काम शुरू किया।

Moonlight का नियम क्या है

मूनलाइटिंग

अगर हम मूनलाइटिंग के  नियमों की बात करें तो भारत में इससे संबंधित कोई नियम तय नहीं हुआ है। लेकिन कंपनियां अपने अनुबंध में इससे कुछ जुड़े नियम और शर्तों को रखती हैं। बहुत सी कंपनियां अपने अनुबंध में मूनलाइटिंग का इजाजत नहीं देती हैं, तो वहीं कुछ कंपनियां कुछ शर्तों के साथ इसकी अनुमति दे देती हैं।

इसमें नियम यह होता है कि उनके हितों का और निर्देशों का उल्लंघन ना हो। अगर कंपनी ने अपने अनुबंध में यह नियम बनाया है कि वह उनकी कंपनी को छोड़कर कहीं और काम नहीं कर सकते और कोई कर्मचारी इस नियमों का उल्लंघन करते हुए मूनलाइटिंग करता है तो यह अपराध माना जाएगा।

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