भारत से ‘मां अन्नपूर्णा’ की एक बेशकीमती मूर्ति की चोरी सन् 1936 में हुई थी। चोरी होने के बाद यह बेशकीमती मूर्ति विदेश पहुंच गई थी। अब ठीक 100 साल बाद इसकी वापसी कनाडा से हुई है। यह बेशकीमती मूर्ति सबसे पहले सोरों पर पड़ाव डालेगी, यही से शोभायात्रा निकाली जाएगी। यह शोभायात्रा काशी पहुंचकर ही स्थापित होगी। गौरतलब है कि अब भारत सरकार यह मूर्ति उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपेगी। जिसके बाद से इस बेशकीमती मूर्ति को ‘काशी विश्वनाथ मंदिर’ में स्थापित किया जाएगा।
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ये मामला उस समय सामने आया जब इस साल गैलरी में आगामी प्रदर्शन की तैयारी चल रही थी। उसी दौरान कलाकार दिव्या मेहरा मैकेंजी के कलेक्शन से गुजरी थी। उस समय उनकी नजर इस मूर्ति पर पड़ गई थी। जिसके बाद से इस मुद्दे को उन्होंने उठाया और कहा था कि ये अवैध रूप से कनाडा में लाई गई है। जिसके बाद से ये मूर्ति भारत को सौंपी गई थी।
विश्वविद्यालय के एक बयान के मुताबिक, मेहरा के शोध से पता चला है कि 1913 में मैकेंजी ने भारत की यात्रा की थी। इसी के बाद से इस मूर्ति को कनाडा में लाया गया हो। इस बेशकीमती मूर्ति की पहचान भारतीय महिला एवं दक्षिणी एशियाई कला के क्यूरेटर डॉक्टर सिद्धार्थ वी शाह ने एक्सेस म्यूजियम में की है।
रेजिना विश्वविद्यालय के अंतरिम अध्यक्ष एवं कुलपति थामस चेस ने ये मूर्ति भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया को सौंपी थी। हालांकि अब भारत सरकार इस बेशकीमती मूर्ति को उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपने जा रही है। 11 नवंबर को भारत सरकार दिल्ली में एक कार्यक्रम में मूर्ति को यूपी सरकार को सौंपेगी। जिसके बाद 15 नवंबर को मां अन्नपूर्णा की बेशकीमती मूर्ति काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित की जाएगी।
वर्ष 1936 में मां अन्नपूर्णा की मूर्ति काशी से चोरी हो गई थी। विभिन्न माध्यमों से होते हुए यह मूर्ति कनाडा रेजिना यूनिवर्सिटी पहुंच गई थी। हालांकि अब यह मूर्ति दो नवंबर को दिल्ली पहुंच गई। गुरुवार को अब इस प्रतिमा की स्थापना की शोभा यात्रा की शुरुआत तीर्थ नगरी सोरों से होगी।