2 Head 3 Hand Baby: भारत में अक्सर जुड़वां बच्चों के मामले सामने आते रहते हैं । परन्तु ऐसी ही केसों में कुछ मामले ऐसे होते हैं जिनमे बच्चा 2 सिर या फिर 3 हाथ या पैर वाला पैदा हुआ है । ऐसा ही एक मामला हाल ही में मध्यप्रदेश के रतलाम में सामने आया था जब एक बच्चा 2 सिर के साथ पैदा हुआ । यही नहीं इस बच्चे के शरीर मे 2 की जगह 3 हाथ थे ।
जब बच्चा इस स्थिति में पैदा होता है तो वैज्ञानिक भाषा मे इस स्थिति को डाइसिफेलिक पेरापेगस कहते हैं । आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि डाइसिफेलिक पेरापेगस नामक बीमारी क्यों होती है और इसके लक्षण के साथ ही इससे बचाव के लिए क्या उपाय हैं ।
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जब बच्चे जुड़वां होते हैं तब उनके अलग अलग शरीर होते हैं । एक ही गर्भ में रहकर भी वह एक दूसरे से जुड़े नहीं होते लेकिन डाइसिफेलिक पेरापेगस की स्थिति में 2 बच्चों के शरीर आपस मे जुड़े होते हैं । इस बीमारी से पीड़ित बच्चे के धड़ या सिर जुड़े होते हैं । आम भाषा मे इस तरह से पैदा हुए बच्चों को दो सिर वाला बच्चा कहा जाता है । पिछले दिनों रतलाम में भी इसी बीमारी से ग्रस्त एक बच्चा जन्मा था जिसके दो सिर थे ।
बता दें कि ऐसे केस रेयर होते हैं और इस स्थिति में बच्चे ज्यादा दिनों तक जीवित नहीं रह पाते । इस तरह के जुड़वां बच्चे छाती, धड़ या पेट से जुड़े होते हैं जबकि इनका सिर अलग होता है । ऐसे बच्चों के 2, 3 या फिर 4 हाथ तक हो सकते हैं ।
2 Head 3 Hand Baby, चिकित्सकों की मानें तो गर्भधारण के कुछ ही समय बाद फर्टिलाइज्ड अंडे गर्भ में अलग अलग भ्रूण में बंट जाते हैं । इसी के साथ भ्रूण के हाथ पैर बनने शुरू हो जाते हैं । जब यह स्थिति सामान्य रूप से चलती रहती है तो जुड़वां बच्चे पैदा होते हैं लेकिन कुछ मामलों में अलग अलग भ्रूण बनने का प्रॉसेस बीच मे ही रुक जाता है जिस वजह से बच्चे जुड़वां पैदा नहीं होते बल्कि उसकी जगह पर 2 सिर वाले बच्चे या फिर हाथ पैर से जुड़े बच्चे पैदा होते हैं । यह स्थिति हालांकि रेयर ही होती है ।
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2 Head 3 Hand Baby, बता दें कि इस स्थिति के न तो कोई लक्षण दिखते हैं न ही कोई संकेत मिलते हैं । यदि जुड़वां बच्चे होने वाले होते हैं तो गर्भाशय तेजी से बढ़ता है । साथ ही महिलाओं को गर्भावस्था के शुरुआती दिनों में ज्यादा थकान, चक्कर आना और उल्टी की समस्या आती है । हालांकि तब भी यह पता नहीं लग पाता कि गर्भ में बच्चे जुड़वां हैं या फिर इस डाइसिफेलिक पेरापेगस से पीड़ित । हालांकि मेडिकल में स्टैंडर्ड अल्ट्रासाउंड के जरिये जुड़े हुए बच्चों का पता लगाया जा सकता है ।
डॉक्टरों के अनुसार ऐसे केस काफी रेयर होते हैं । लाखों में कहीं एक बच्चा इस तरह की विकृति के साथ पैदा होता है । कुछ मामलों में ऐसे केस केमिकल इमबैलेंस के कारण बॉडी डिफार्मिटी के केस आ सकते हैं । हालांकि ऐसे मामलों को रोकने का कोई प्रॉपर बचाव नहीं है लेकिन कुछ चीजों का ध्यान रखकर इनसे बचा जा सकता है । गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह की जांच को छोड़ें नहीं खासकर सोनोग्राफी को । जांचे समय पर करवाएं । साथ ही जरूरी विटामिन्स और फॉलिक एसिड की दवाएं लेती रहें । अल्कोहल और सिगरेट सामान्य दिनों के अलावा प्रेगनेंसी में भी हानिकारक है ।