Judgment on divorce case
दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि नौकरी शुदा पत्नी को कमाऊ गाय की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। (Judgment on divorce case) मामला पति – पत्नी के बीच का है । लड़की ने हाईकोर्ट में केस किया था कि उनके पति केवल उसे कमाई का जरिया मानते हैं। उनके बीच कोई भावनात्मक संबंध नहीं है, इसलिए महिला ने तलाक के लिए अपील की थी।
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वर्ष 2000 में हुयी थी शादी :-
लड़की और लड़के की शादी वर्ष 2000 में हुई थी । तब लड़की की उम्र 13 वर्ष थी। लड़की नाबालिक थी और लड़के की उम्र 19 वर्ष थी। महिला ने कहा कि जब वह 2005 में वयस्क हो गई तब भी वैवाहिक घर से उसे कोई लेने नहीं आया। इसके लिए उस के पिता ने ससुराल से बात करने की भी कोशिश की लेकिन महिला को कोई लेने नहीं आया। महिला ने अपने पिता के घर रह कर ही पढ़ाई की और नौकरी की तैयारी की। जब महिला का सिलेक्शन दिल्ली पुलिस में हो गया तो इसके बाद ससुराल से बुलावा आने लगा।
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कोर्ट ने पति के इस तरह के बेशर्मी और भौतिकवादी और बिना भावना के संबंधों को स्थापित करने को भावनात्मक आघात एवं क्रूरता का व्यवहार बताया। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ के सामने महिला ने फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी क्योंकि फैमिली कोर्ट में इन सारी वजहों मानसिक प्रताड़ना एवं क्रूरता मानने को के लिए इंकार कर दिया था और तलाक नामंजूर कर दिया था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए साफ तौर पर कहा कि ” किसी भी व्यक्ति को नौकरीशुदा पत्नी को बिना किसी भावनात्मक संबंधों के एक ‘कमाऊ गाय’ के रूप में इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
दिल्ली हाई कोर्ट का यह फैसला उन सभी पुरुषो के लिए नज़ीर बनेगा जो अपनी नौकरी शुदा पत्नी को एक दुधारू गाय समझते हैं ।
कोर्ट ने कहा कि पति के पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं है कि वह उसकी पत्नी के 2005 में वयस्क होने के बाद उसके के घर क्यों नहीं ले गया। महिला का पति 2014 तक अपनी पत्नी को वैवाहिक घर ले जाने के लिए क्यों नहीं आया। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर कोर्ट ने पति पर मानसिक क्रूरता का केस लगाया है।