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Independence Day: दुश्मन का Drone हमला न कर सके इसलिए लेज़र हथियार सिस्टम लाल किले के पास किया गया तैनात

Independence Day

Independence Day: लाल किले पर किसी भी प्रकार के ड्रोन हमले से बचने के लिए स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाया गया था. इसके द्वारा ड्रोन के संचार लिंक को तोड़ा जा सकता है. साथ ही लेजर हथियार से ड्रोन को मार गिराया भी जा सकता है. तो आइए जानते हैं भारत में बने इस एंटी-ड्रोन सिस्टम के सभी खासियत को…

स्टोरी हाइलाइट्स

  • लाल किले के पास लगाया गया काउंटर ड्रोन सिस्टम, जिसकी रेंज चार किलोमीटर है.
  • ड्रोन को जाम करने के लिए भी अलग व्यवस्था
  • मार गिराने के लिए लेजर बेस्ड वेपन भी तैनात

लाल किले (Red Fort) पर 15 अगस्त 2022 को Independence Day समारोह को मनाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने देश को संबोधित भी किया. सैकड़ों की संख्या में वीआईपी भी मौजूद थे. हजारों की संख्या में स्कूली बच्चे और लोग भी इस समारोह में शामिल हुए. इनकी सभी तरह की सुरक्षा का जिम्मा हमारे देश के सैन्य बलों और रक्षा संबंधी वैज्ञानिक संस्थाओं का ही रहता है. इसी क्रम में लाल किले के पास स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम(Indigenous Anti-Drone System) भी तैनात किया गया था. इसे काउंटर-ड्रोन सिस्टम(Counter-Drone System) के नाम से भी जाना जाता है.

यह है एंटी-ड्रोन सिस्टम का सॉफ्ट किल राडार, यह ड्रोन की संचार प्रणाली को बाधित कर देता है.

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भारतीय रक्षा अनुसंधान संगठन (DRDO) ने इस ड्रोन सिस्टम को बनाया है. इसमें 2 तरह की तकनीक काम करती है. पहली है सॉफ्ट किल (Soft Kill) यानी किसी भी ड्रोन के संचार लिंक को तोड़ देना मतलब ड्रोन को जिस रिमोट या कंप्यूटर से उड़ाया जाए, उससे ड्रोन का संपर्क तोड़ देना. ड्रोन इससे दिशाहीन होकर गिर जाता है. वह उड़ना भी बंद कर देता है. इससे, उसे चलाने वाले का संपर्क टूटते ही ड्रोन किसी का काम का नहीं रह जाता.

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यह है काउंटर ड्रोन सिस्टम का हार्ड किल वेपन, जो कि लेज़र से ड्रोन को गिरा देता है.

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दूसरा सिस्टम होता है हार्ड किल(Hard Kill) यानी इस काउंटर ड्रोन सिस्टम की रेंज में आते ही उस पर लेज़र हथियार से हमला भी किया जाता है. लेज़र हमले से ड्रोन के सभी इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम खराब हो जाते हैं. वह पूरी तरह जल जाता है. यह लेज़र सिस्टम बिना किसी बड़े धमाके के ही ड्रोन को मार गिराता है. इस एंटी-ड्रोन सिस्टम की रेंज कुल 4 किलोमीटर है. यानी इसके रेंज में आते ही दुश्मन का ड्रोन या तो गिर जाएगा. या फिर उसको गिरा दिया जाएगा.

Independence Day, स्वदेशी एंटी-ड्रोन सिस्टम (Indigenous Anti-Drone System) को भारतीय सेना के साथ ही आंतरिक सुरक्षा एजेंसियों को भी सौंपा गया है. वो भी उनका इस्तेमाल कर रहे हैं. पिछले साल ही दिसंबर 2021 में डीआरडीओ के 5 ऐसे सिस्टम को भारतीय सैन्य बलों को सौंपा गया था. यह ड्रोन सिस्टम अनमैन्ड एरियल व्हीकल(UAVs) को खोजकर उन्हें तत्कल रोक देता है. यानी गिरा देता है या फिर नष्ट कर देता है. यही इस पूरे सिस्टम का मकसद भी है.

CHANDRA PRAKASH YADAV

Why So Serious??

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