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Amazing Facts: क्या आप जानते हैं कि लड़कियां लड़कों से ज्यादा क्यों रोती है..?

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Amazing Facts: लड़कियां लड़कों से ज्यादा क्यों रोती है..? क्या वजह है कि खुश हो या फिर उदास, प्याज काटने से भी आंखें भर आती हैं। जानिए इसके पीछे की चौका देने वाली वजह। बता दें कि मानव शरीर में सबसे महत्वपूर्ण अंग हमारी आंखें ही है। हम अपनी आंखों से देख सकते हैं। हमारी आंखें बहुत ही संवेदनशील होती हैं। यदि धूल का एक भी कण हमारी आंखों में चला जाए तो हमारी आंखों में चुभने लगती हैं। हम जब सोते हैं तो आंखें बंद करके सोते हैं। सुख हो या फिर दुख में हमारे आंखों से आंसू निकलते हैं।

जब आपकी आंखों में पानी आता है तो आपके शरीर का सारा विज्ञान काम कर रहा होता है। सिर्फ सुख दुःख ही नहीं बल्कि कोई भी विशेष गंध आने पर या फिर तेज हवा चलने पर भी हमारे आंखों से पानी आ जाता है। आइए जानते हैं इससे चौका देने वाले कुछ तथ्य।

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सिर्फ इंसान की आंखें ही इमोशनल होने पर आंसू बहाती हैं

Amazing Facts,एक सबसे महत्वपूर्ण चीज जो हमें जानवरों से अलग करती है वह है हमारे आंसू। इमोशनल होने पर भी इंसान की आंखों से आंसू आने लगता है। जब हमारे साथ कुछ अच्छा होता है या फिर कुछ बुरा होता है तो हमारी आंखें अक्सर नम हो जाती हैं। चूंकि ये अभी भी स्पष्ट नहीं है कि जब हम भावुक होते हैं तो हमारी आंखों में आंसू क्यों आते हैं?

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आंसू भी लाभदायक होते हैं

आंखों से पानी आने के कई फायदे होते हैं। इससे हमारी आंखों का सूखापन दूर होता है। हालांकि इससे हमारी आंखों का तनाव भी कम होता है इसके साथ ही साथ आंसू या फिर पानी भी आंखों से कीटाणु को साफ करने में मदद करती है। हमारी अश्रु नलिकाओं में यह द्रव पानी एवं नमक से बना होता है।

बता दें कि बीबीसी में प्रकाशित हुए प्रोफेसर माइकल जो ट्रिम्बल इंस्टीट्यूट आफ न्यूरोलॉजी के अनुसार डार्विन ने इस पर टिप्पणी की थी। डार्विन ने यह बताया था कि लोगों के आंखों से आंसू तभी निकलते हैं जब वह भावुक होते हैं। उनका ये भी कहना है कि उसके बाद किसी ने इनकार नहीं किया।

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Amazing Facts, क्या कहते हैं रोने की बारे में देशों के आंकड़े

क्लाउडिया हैमंड का यह कहना है कि रोना हर व्यक्ति के लिए सांस्कृतिक सिंगार पर निर्भर करता है। हम अगर किसी देश की बात करें तो पुरुष एवं महिलाओं के बीच रोने की रैंकिंग में संयुक्त राज्य अमेरिका सबसे ऊपर है। हालांकि सबसे कम रोने वाले पुरुष बुल्गारिया से हैं। वहीं पर सबसे कम रोने वाली महिलाएं आइसलैंड और रोमानिया से हैं।

लड़कों से ज्यादा लड़कियां रोती है

प्रोफ़ेसर रोटेनबर्ग का यह कहना है कि शिशु के रोने पर कई प्रयोग हुए हैं। इस पर शोध करना आसान है। लेकिन वहीं पर 10 से 11 साल की उम्र में जब लड़के लड़कियां अपनी मुलाकात के प्रति जागरूक हो जाते हैं। तो लड़कियां लड़कों से ज्यादा रोती है और यह सिलसिला पूरी जिंदगी चलता रहता है।

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