सोमवार को पाकिस्तान हिंदू परिषद खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के उस एक सदियों पुराने मंदिर में दिवाली मनाने के लिए भव्य समारोह का आयोजन करेगी। जिसको पिछले साल ही एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के नेतृत्व में भीड़-भाड़ में तोड़ दिया था, तथा उस मंदिर में भी आग लगा दी थी। डान अखबार की खबर के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश गुलजार अहमद को परिषद ने ही प्रांत स्थित “करक के तेरी” मंदिर में रोशनी का त्योहार मनाने के लिए आमंत्रित किया है। इस मंदिर में पीएचसी ( पाकिस्तान हिंदू परिषद) दिवाली मनाने के लिए भव्य समारोह का आयोजन कर रही है। सिंध और बलूचिस्तान प्रांतों से बड़ी संख्या में कार्यक्रम में श्रद्धालु पहुंचेंगे।
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रविवार को पाकिस्तानी समाचार पत्र डान में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, पीएचसी के संरक्षक एवं नेशनल असेंबली के सदस्य डॉ रमेश कुमार वांकवानी ने बताया कि उत्सव के दौरान ही वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी से उपद्रवियों को ये बड़ा संदेश जाएगा, कि उनके नापाक मंसूबों को हर हाल में नाकाम किया जा सकता है। सिंध बलूचिस्तान से आने वाले लोगों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए, टेरी के वार्षिक मेले में भाग लेने के लिए परिषद ने इवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) से हसनाबदल में करीब 1,500 तीर्थ यात्रियों के ठहरने का बंदोबस्त करने का भी अनुरोध किया है।
श्रद्धालु ने हसनाबदल पहुंचना शुरू कर दिया है। सोमवार को जहां से वह “करक के टेरी” इलाके के लिए रवाना होंगे वो उसी दिन ही वापस लौटेंगे। पाकिस्तान में जो हिंदूओं का मंदिर है, उस मंदिर की स्थापना सन् 1920 में हुई थी। ये तीर्थ खैरब पख्तूनख्वा प्रांत के करक जिले में संत श्री परमहंस जी महाराज से ही जुड़ा हुआ है। चूंकि पिछले वर्ष जमीयत उलेमा इस्लाम फजल से जुड़े एक स्थानीय मौलवी के नेतृत्व में इसे भीड़ ने तोड़ दिया था। पाकिस्तान के प्रधान न्यायाधीश के आदेश पर ही मंदिर का जीर्णोद्धार कराया गया है। अक्टूबर 2021 में शीर्ष अदालत ने खैरब पख्तूनख्वा की प्रांतीय सरकार को पुरानी मंदिर में तोड़फोड़ करने वाले दोषियों को 3.3 करोड़ रुपए ( 1,94,161 अमेरिकी डॉलर) को वसूल करने का आदेश दिया है।