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First IAS Officer of India: ये हैं स्वतंत्र भारत की पहली महिला आईएएस, पहले ही प्रयास में बनी थीं आईएएस

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First IAS Officer of India

First IAS Officer of India: संघ लोक सेवा आयोग यानी यूपीएससी भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक है । इस परीक्षा में हर वर्ष लाखों अभ्यर्थी शामिल होते हैं जिनका सपना होता है कि वह इस कठिन परीक्षा को पास कर आईएएस अधिकारी बनें और देश की सेवा करें परन्तु सबके लिए यह परीक्षा इतनी आसान नहीं होती है और कुछ ही अभ्यर्थी इस एग्जाम को पास कर अपना सपना पूरा कर पाते हैं ।

ऐसे में आप ये तो जानते होंगे कि भारत के प्रथम आईएएस अधिकारी नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर के बड़े भाई सतेंद्र नाथ टैगोर थे परंतु शायद ही आप जानते हों कि आजाद भारत की पहली महिला आईएएस कौन बनीं थी । तो चलिए इस आर्टिकल के माध्यम से आज हम इसके बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं ।

ये हैं देश की पहली महिला आईएएस

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पुरुषों की तुलना में महिलाओं को बाहर निकलकर नौकरी या व्यवसाय करने की आजादी काफी देर से मिली। यही वजह है कि आज भी किसी फील्ड में पुरुषों की तुलना में महिलाएं कम ही नजर आती हैं । ऐसे में अब से कुछ दशक पहले किसी महिला के लिए देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक सिविल सेवा परीक्षा में बैठना भी अपने आप में एक उपलब्धि था । ऐसे में आजाद भारत की पहली महिला आईएएस अधिकारी बनने का गौरव अन्ना राजम मल्होत्रा को मिला।

केरल की निवासी अन्ना राजम मल्होत्रा ने देश को आजादी मिलने के 4 साल बाद यानी साल 1951 में सिविल सेवा परीक्षा को पास कर यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली महिला बनीं ।

पहले ही प्रयास में उत्तीर्ण कर ली थी परीक्षा

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जिस दौर में महिलाओं का बाहर निकलकर नौकरी करना भी एक मुश्किल काम था उस दौर में अन्ना राजम ने न सिर्फ सिविल सेवा परीक्षा में बैठी बल्कि इसे उत्तीर्ण भी किया। यही नहीं देश की पहली महिला आईएएस अधिकारी बनने का गौरव प्राप्त करने वाली अन्ना राजम ने यह कठिन परीक्षा अपने पहले ही प्रयास में पास कर ली थी । बता दें कि अन्ना राजम को देश की दूसरी महिला आईएएस जबकि आजाद भारत की पहली महिला आईएएस बनने का गौरव प्राप्त है । यही नहीं वह देश की पहली महिला सचिव भी हैं ।

शादी होते ही नौकरी से निकाले जाने की थी शर्त

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1951 में आजाद देश की पहली महिला आईएएस बनी अन्ना राजम के लिए यहां तक पहुंचना आसान नहीं था । उन्हें कई कई तरह की कठिनाइयों को झेलना पड़ा । जब वह सिविल सेवा के इंटरव्यू में पहुंची तो बोर्ड मेंबर्स ने उन्हें यह नौकरी नहीं करने की सलाह दी और उन्हे सुझाव दिया कि वह विदेश सेवा या केंद्र की कोई नौकरी चुन लें लेकिन अपने इरादे पर अडिग अन्ना ने इससे साफ मना कर दिया । बता दें कि तत्कालीन नियमों के अनुसार अन्ना राजम के लिए नौकरी करते हुए शादी करना भी आसान नहीं था ।

सिविल सेवा के उनके नियुक्ति पत्र में साफ लिखा था कि नौकरी करते हुए शादी करने पर आपको निलंबित कर दिया जा सकता है । हालांकि अन्ना राजम इससे भी भयभीत नहीं हुईं और नियम बदलने का इंतजार किया । इस बीच वह मद्रास कैडर में कार्यरत रहीं । वहीं आयोग के नियम बदलते ही उन्होंने अपने ही बैच के आरएन मल्होत्रा से शादी कर ली ।

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एशियाई खेलों में बतौर प्रभारी तैनात रहीं

साल 1982 में हुए एशियाई खेलों की मेजबानी जब भारत को मिली तो इन खेलों के प्रभारी के तौर पर अन्ना राजम की नियुक्ति की गई । नई दिल्ली में आयोजित इस खेल इवेंट को अन्ना ने अपनी प्रशासनिक क्षमता से त्रुटिरहित संपन्न करवाने का सफल प्रयास किया । बता दें कि अन्ना राजम को देश के दो प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ इसके अलावा अन्ना ने देश के 7 मुख्यमंत्रियों के साथ भी काम किया है । इसके अलावा उन्होंने सेंट्रल मिनिस्ट्री में भी सेवाएं दीं ।

1989 में मिला पद्म भूषण

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First IAS Officer of India, केरल के एर्नाकुलम जिले के निरनम,पठानमठित्था में 17 जुलाई 1924 को जन्मी अन्ना राजम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कोझिकोड से पूरी की तो वहीं आगे की पढ़ाई अन्ना ने मद्रास विश्वविद्यालय से पूरी की । कालेज पूरा होते ही अन्ना राजम ने सिविल सेवा की तैयारी शुरू कर दी थी । बता दें कि अन्ना राजम को उनकी सेवाओं के लिए साल 1989 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था ।

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