Fake Certificate: आपको अच्छी तरह मालूम है कि कोविड-19 सदी भारत ने किस प्रकार के लिए और कितने लोगों ने अपनों को खोया है तो वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कोरोनावायरस के मामले में मुआवजे के लिए डॉक्टरों द्वारा जारी किए जा रहा है फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पर गंभीर चिंता जताई है कोर्ट ने कहा इससे जिन्हें मुआवजा मिलना चाहिए उन्हें भी नहीं मिल पाएगा।
बता दे सुनवाई की शुरुआत में केंद्र और गुजरात सरकार की ओर से पेश ऑडिटर जनरल तुषार मेहता ने दो चिंताओं का जिक्र किया जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में उठाया ऐसे में सवाल उठना वाजिब है कि क्या कोरोनावायरस कई डाक्टरों ने गैर संवैधानिक तरीके से अपनी जेब भरी कि नहीं यह अब आगे ही तय होगा….
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बता दे सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरथ ना की पीठ ने मामले की सुनवाई अगले सोमवार के लिए टालते हुए कहा कि इस मामले की स्वतंत्र जांच का आदेश दिया जा सकता है पीठ ने यह भी कहा कि फर्जी प्रमाण पत्र किसी का भी वाजिब हक नहीं छीन सकते।
बता दे सलिटेर जनरल ने कहा कि सबसे पहले मुआवजे के लिए एक समय सीमा तय हो समय सीमा तय करने की ज्यादा जरूरत है अन्यथा यह प्रक्रिया अंतहीन होगी दूसरा उन्होंने फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट की बात उठाई जो कि अदालत को विचार करना चाहिए
आपको बता दें सोलिटेर जनरल ने कहा अदालत ने आदेश दिया कि कोविड-19 का दावा करने के लिए rt-pcr प्रमाण पत्र जरूरी नहीं है और डॉक्टर के प्रमाण पत्र के आधार पर इसकी अनुमति दी जा सकती है लेकिन डॉक्टरों द्वारा इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।
बता दे पीठ ने इस बात पर सहमति जताई है कि एक समय सीमा होनी चाहिए अन्यथा यह प्रक्रिया 5 से 6 साल तक भी चलेगी इतना ही नहीं फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट का मामला बेहद गंभीर भी है
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बता दें कि राज्य सरकार के डॉक्टरों के मद्देनजर एक स्वतंत्र जांच अवश्य के जस्टिस शाह ने वरिष्ठ वकील और बसंत से सुझाव मांगे हैं बसंत केरल राज्य की ओर से पेश हुए थे जस्टिस शाह ने बसंत से कहा कि कृपया सुझाव दें कि हम डॉक्टरों द्वारा फर्जी प्रमाण पत्रों के मुद्दे पर कैसे अंकुश लगा सकते हैं