Darlings: क्या आपने आलिया भट्ट की फिल्म ‘Darlings‘ देखी? जैसा कि आजकल हर फिल्मों में होने लगा है इस फिल्म के रिलीज के पहले ही बहुत बड़ा विवाद खड़ा हुआ था। लोगों ने फिल्म (Darlings) का ट्रेलर देखने के बाद ही आलिया भट्ट पर पुरुषों के खिलाफ घरेलू हिंसा का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर भी #BoycottAliaBhatt कैंपेन शुरू हो चुका था।
जब की हमारे समाज की सच्चाई तो यह है कि आज भी कई घरो में हर रोज ही महिलाओं को किसी ना किसी रूप में घरेलू हिंसा का सामना करना ही पड़ता है। तो फिर क्यों है ‘डार्लिंग्स‘ का बहिष्कार ? पत्नी की पति द्वारा की जा रही पिटाई और शरीर पर चोट के निशान देखकर भी लोग चुप क्यों रहते हैं?
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इस बात को आजकल हम एक्सेप्ट करना नहीं चाहते हैं लेकिन यह सच्चाई है कि आज हर 3 में से 1 महिला घरेलू हिंसा की शिकार है। साल 2021 में यह आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जारी किया था। इस आंकड़ों से हम इस कड़वी सच्चाई का अंदाजा लगा सकते हैं कि से हर दिन 73 करोड़ महिलाएं अपने पार्टनर के हाथों शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होती रहती हैं लेकिन जब शिकायतों की बात आती है तो यह न के बराबर होती है।
“अगर तुम मुझसे प्यार नहीं करते, तो फिर तुम मुझे क्यों मारते हो?” तुम प्यार न करता तो सही क्यों?” आलिया की ‘Darlings’ Movie में का यह डायलॉग घरेलू हिंसा की शिकार लगभग हर एक पत्नी के लिए एकदम परफेक्ट है। बस इतना ही नहीं एक और जबरदस्त डायलॉग भी है जो हमारे दिमाग में फिट बैठता है। “जोरू कौन?, शौहर (पति) की परछाई” पुरुषों को ही क्यों हमेशा उच्च दर्जा दिया जाता है।
जब भी कोई किसी को फिजिकली या मेंटली टॉर्चर करता है तो इसका मतलब है कि वह सिर्फ और सिर्फ अपनी ताकत ही दिखा रहा है। हमारे घरों में लड़कियों के लिए बहुत सारे उसूल बनाए जाते हैं लेकिन लड़कों को यह बिल्कुल भी नहीं सिखाया जाता है कि अपने क्रोध, चिड़चिड़ापन या अन्य भावनाओं को कैसे कंट्रोल करें। कुछ पुरुष तो अपनी negative feelings को अपनी पत्नियों पर निकालने में बडे ही माहिर होते हैं क्योंकि उनके लिए तो पत्नी से आसान पंचिंग बैग और कोई होता ही नहीं है।
मनोचिकित्सक बिंदा सिंह कहती है कि समाज में कुछ वर्ग में लड़कियों को उनके माता-पिता ही चुपचाप सब कुछ सहना सिखाते है। आधुनिक होने का दिखावा करने वाले सोशल मीडिया प्लेयर्स की सोच क्या इतनी पिछड़ी हुई है कि उन्हें ‘डार्लिंग्स‘ पचा ही नहीं है?
रिलेशनशिप काउंसलर डॉ गीतांजलि शर्मा के कहती है कि, इन दिनों कई महिलाएं काम कर रही हैं और आर्थिक रूप से काफी मजबूत हैं। लेकिन इसके बावजूद वह हमेशा अपने पार्टनर से आर्थिक शोषण सहती रहती है।
कई बार पति न तो हाथ उठाता है और न ही अपनी पत्नी को गाली देता है, बल्कि उसे सबके सामने अपमानित करने लगता है। साथ ही वे दूसरों के सामने अपनी पत्नी का मजाक उड़ाता हैं, उसका अपमान करता हैं। यह भी मानसिक हिंसा ही है।
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समाज में पुरुषों का उत्पीड़न तब तक चलता ही रहेगा जब तक महिलाएं खुद इसे सहने के लिए तैयार रहती हैं। हमारे समाज में महिलाएं पीड़ित होती है क्योंकि उनके पास सामाजिक समर्थन नहीं होता है। जिस दिन महिलाएं खुद पर हो रहे अत्याचार और घरेलू हिंसा को बर्दाश्त करना बंद कर देती है पुरुष डर जाएंगे।
ऐसा इसलिए क्योंकि बाहर खुशमिजाज और घर में बदमिजाज रहने वाला पति अपनी छवि खराब नहीं करना चाहता इसलिए वह महिलाओं को यह कहकर भ्रमित करता है कि वह उनसे बहुत ही प्यार करता है।
हमारे समाज में घरेलू हिंसा का शिकार हो रही महिलाओं को यह कहकर बहलाया जाता है कि बच्चा होने के बाद हाथ उठाने वाले पति में अवश्य सुधार होगा। हम अक्सर देखते हैं कि हमारे समाज में कइ ऐसी बहन बेटियां होती है जो घरेलू हिंसा और उत्पीड़न का शिकार होने के बाद अपने मैके लौट आती है। लेकिन अक्सर बेटियों के परिवार वाले ही उन्हें यह सलाह देते हैं कि एक बार बच्चा हो जाने के बाद सब कुछ ठीक हो जाएगा। लेकिन यह सिर्फ और एक सिर्फ झूठी उम्मीद ही है और महिलाओं को हिंसा सहने के लिए उसी अंधेरे कुएं में धकेलने के समान ही एक बात है।
एक ऐसा आदमी जो पहले से ही अपनी पत्नी को मारपीट कर रहा है वह अपने बच्चे पर हाथ उठाने से भी बाज नहीं आएगा। ऐसे में बच्चा भी मां-बाप के बीच प्रताड़ित होने लगता है और उसके दिमाग पर भी घरेलू झगड़ों का काफी बुरा असर पड़ता है। 95% मामलों में ऐसे आदमी की सोच कभी भी नहीं बदलती है।