हमारा देश पुरुष प्रधान देश है तथा पुरुष को ही महिला का संरक्षक माना जाता है चाहे वह पिता के रूप में हो ,भाई के रूप में ,पति के रूप में या किसी भी रूप में हो।
प्राचीन काल से ही नारी पर अत्याचार हो रहे हैं हमारे धर्म ग्रंथों में इसका उल्लेख है।ऋषि गौतम ने अहिल्या को श्राप दिया क्योंकि देवराज इंद्र ने ऋषि गौतम का रूप धारण कर अहिल्या को छला लेकिन इसमें अहिल्या की तो कोई गलती नहीं थी लेकिन अहिल्या को सजा मिली। श्री राम ने भी माता सीता का परित्याग किया और परीक्षा पर परीक्षा लेते रहे माता सीता को परीक्षा देते देते फिर आखिर में धरती में समा जाना पड़ा। दोष किसी का भी हो लेकिन भुगतना पड़ा एक नारी को ही।
यत्र नारी पूज्यंते रमंते तत्र देवता
जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं ।लेकिन वर्तमान में अत्याचार दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं अत्याचार इतना बढ़ गया है कि वर्तमान में मंदिरों में ही महिलाओं का गैंगरेप जैसी वारदातों को अंजाम दिया जाता है और उनके साथ बर्बरता की जाती है। एनसीआरबी रिपोर्ट के अनुसार 2019 में देश में हर रोज 87 महिलाओं का रेप हुआ। 2019 में देश भर में 32033 मामले दर्ज किए गए।
महिलाओं पर अत्याचार उनके घर से ही शुरू होता है कभी दहेज के लिए, कभी महिलाओं के शोषण के लिए,।यहां तक कि जब कन्या भ्रूण में होते हैं तो वह तभी मार दी जाती है।इनमें सबसे ज्यादा 30.9% मामले ,पति या संबंधियों द्वारा अत्याचार की थी वही रेप के इरादे से हमला करने के मामलों की हिस्सेदारी 21.8% रही । 17.9 परसेंट मामले अपहरण के और 7.9% मामले रेप के थे मामले थे ।महिलाओं पर अत्याचार के कई रूप हैं महिलाओं को शारीरिक प्रताड़ना का नाम मानसिक प्रताड़ना भी झेलने पढ़ती हैं हमारे समाज में लोगों में यह सोच बने हुए हैं कि स्त्रियों को दबा कर रखा जाना चाहिए कहीं ना कहीं महिलाओं ने भी यह धारण लिया है कि वह औरत है और उन्हें सहन कर लेना चाहिए महिलाओं को बेटी के रूप में भी अत्याचार सहना पड़ता है। माता पिता बचपन से ही बच्चों में भेदभाव करने लगते हैं लड़का है तो इंग्लिश मीडियम स्कूल में पड़ेगा और इंजीनियर बनेगा ।और कहा जाता है लड़की को कि लड़की की कमाई थोड़ी ना खाना है ।यहीं घर से ही शुरू होती है महिलाओं पर प्रताड़ना घर में भाई अपनी काली करतूतों का राग सुनाते हैं और बहनों को घर से ना निकलने और किसी से बात ना करने और ना हंसने की सलाह देते हैं।महिलाओं पर अत्याचार अधिकतर वही लोग करते हैं जो आस-पास रहते हैं कभी चाचा द्वारा ,कही भाई ,कभी भाई के दोस्त का , पड़ोसियों द्वारा महिलाओं का व्यवस्था की जाती है।ऐसा नहीं है कि महिलाओं पर केवल पुरुष ही अत्याचार करते हैं कभी-कभी महिला पर अत्याचार करती है सास ससुर ननद द्वारा भी बहू को प्रताड़ित किया जाता है
निर्भया के दोषियों के वकील ए पी सिंह ने कहा कि लड़कियों के छोटे कपड़ों को देखकर ही लोग बलात्कार जैसी वारदातों को अंजाम देते हैं। निर्भया अरिष्फा ,प्रियंका रेड्डी हाथरस की गुड़िया ने कौन सी खराब कपड़े पहने थे जो उनके साथ ऐसी बर्बरता की गई। 5 महीने से लेकर 10 साल की लड़कियों ने कौन से कपड़े खराब पहने थे जो मासूमों को मौत के घाट उतार दिया गया।
हमारे समाज में महिलाओं के प्रति संवेदनशीलता बहुत कम है। एमएलए सुरेंद्र सिंह ने बयान दिया था हाथरस के समय कि अगर लड़कियां संस्कारी होंगे तेरे जैसे बरदातें नहीं होंगे तो क्या रेप की असली वजह लड़कियों में संस्कारों की कमी है और लड़कियों को ही क्यों संस्कारी होना चाहिए लड़कों को संस्कारी नहीं होना चाहिए क्या।
2015 से 2019 तक महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में वृद्धि हुई है-
2015 – 32 9243 ( तीन लाख उन्तीस हज़ार दो सौ तिरलिस )
2016 – 33 8954 ( तीन लाख अड़तीस हज़ार नौ सौ चउअन )
2017 – 3598 49 ( तीन लाख उनसठ हज़ार आढ़ सौ उनचास )
2018 – 3782 36 ( तीन लाख अठतर हज़ार दो सौ छतीस )
2019 – 4058 61 ( चार लाख पांच हज़ार आठ सौ इकसठ )
2015 से 2019 तक देश भर में रेप के मामले:-
2015 – 3465 1 ( चौतीस हज़ार छः सौ इक्यावन )
2016 – 38 947 ( अड़तीस हज़ार नौ सौ सैतालिस )
2017 – 32 559 ( बत्तीस हज़ार पांच सौ उनसठ )
2018 – 33356 ( तीन लाख तैतीस हज़ार छपन )
2019 – 320 33 ( बातिश हज़ार तैतीस )