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कई इलाकों में महिलाएं कोरोना माई की पूजा करते नजर आईं

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हमारे देश में कोरोना के मामले आने शुरू हुए थे कि गो कोरोना गो कहते हुए मंत्री जी का एक वीडियो सामने आया था याद तो होगा ही आपको,

फिर उसके बाद ऐसे तमाम वीडियो आए .जिससे लग रहा था कि कोरोना चला जाएगा लेकिन जब लोगों को लगा कि कोरोना जाएगा नहीं. तब खत्म करने की कोशिश करने लगे और तब ढूंढे गए तमाम उपाय कोरोना भगाने के या खत्म करने के तब उसमें एक महत्वपूर्ण उपाय बताया गया. गोमूत्र का सेवन करने से कोरोना वायरस का असर नहीं होता है. उसके बाद कहीं जगह गोमूत्र पार्टियां की गई जिसकी वजह से तमाम लोगों की स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा और कई मर भी गए।

अब महिलाएं कोरोना माई की पूजा करते नज़र आ रही हैं और उनको ऐसा लगता है कि पूजा करने से कोरोना माई वापस चले जाएंगे,

झारखंड के कोडरमा पाखंड है चंदवारा यहां के पुरवा गांव में एक परिवार को एक बलि देनी है ऐसा तय हुआ है।

बुधवार 9 जून को सुबह देवी माता के मंदिर में हवन पूजा के दौरान शुरू हुआ बलि देने का कार्यक्रम दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार मुर्गे की बलि की शुरुआत की गई और फिर बकरों की बलि दी गई,

गांव में कुल 500 परिवार है जिसमें से अधिकतर परिवार बलि चढ़ा रहे हैं गांव की महिलाओं का कहना है कि गांव में को रोना ना पहले इसलिए देवी माता की सामूहिक पूजा की जा रही है।

वहां गई महिलाएं कोरोना वायरस का प्रकोप खत्म करने के लिए पूजा कर रही हैं ताकि करुणामाई उन पर नाराज ना हो,

बीते दिनों बिहार झारखंड सहित असम के कई इलाकों में करो ना माई की पूजा की खबरें सामने आई अंधविश्वास की वजह से कुछ लोगों को लगता है कि इस देवी की पूजा करने से कोरोना वायरस से बचना संभव है,।

झारखंड जिले के सिलादिलीइलाके में एक अलग तरीके के ऑफर पहले प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर अफवाह फैलाई गई कहा गया कि प्रधानमंत्री ने कोरोना संक्रमण से बचने के लिए को रोना देवी का व्रत करने के लिए कहा है जो व्रत रखेगा उसके गांव में पैसे डाले जाएंगे,

इलाकों की औरतों ने पूजा भीगी गीत भी गाए उनको ऐसा लगता है कि पूजा के बाद एक तेज हवा चलेगी और वायरस खत्म कर देगी,

अंधविश्वास की यह पहली घटना नहीं है इससे पहले भी ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ताली ताली बजाने के लिए कहा था तब भी ऐसा कहा जा रहा था कि ताली और थाली की तेज आवाज से एक कंपन पैदा होगी जिसे करो ना वायरस खत्म हो जाएगा,

ऐसे ही दूसरी खबर तब सामने आई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोमबत्ती और दीए जलाने के लिए कहा था तब लोगों ने कहा कि मोमबत्ती और देखे गर्मी से करोना वारिस मर जाएगा,

ये सिर्फ कोरोना की वजह से नहीं हो रहा है दरअसल भारत में अंधविश्वास और पाखंड के किस्से काफी पुराने हैं,भारत में तमाम छोटी-छोटी चीजों को गांव देहात में माता मैया नाम कर पूजा करने की परंपरा है दरअसल जिसे अंग्रेजी में चिकन पॉक्स हिंदी में चेचक उसी को गांव देहात में माता मैया कहा जाता है और उसकी पूजा को लेकर अलग-अलग तरीके भी दिए गए हैं इसके अलावा तमाम ऐसी बीमारी है जिसमें पीलिया और भी ऐसी बीमारियां शामिल है जिसमें इन बीमारियों को माता मैया मानकर उसकी पूजा की परंपरा गांव देहात में है,

इन कर्मकांड और पाखंड की वजह से कई बार ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिसमें मरीजों की जान सिर्फ इसलिए चली जाती है क्योंकि सही समय पर उन्हें अस्पताल नहीं ले जाया जाता है और दवाई नहीं दी जाती है पहले कर्मकांड और पाखंड रचा जाता है जिसकी वजह से लोगों की मौतें हो जाती हैं,

आधुनिक भारत में भी इन सब चीजों पर अभी तक रोक नहीं लग पाई है देखना यही होगा कि आगे आने वाले समय में कब जा कर यह अंधविश्वास और पाखंड कम होगा आस्था दूसरी चीज है और अंधविश्वास और पाखंड दूसरी चीज,

भारत के संविधान में भारत के नागरिकों को मौलिक कर्तव्य दिए गए हैं और उन कर्तव्यों में से एक कर्तव्य है कि भारत के नागरिकों को वैज्ञानिक सोच रखनी चाहिए,

अगर आप भारत के एक जिम्मेदार नागरिक हैं भारतीय संविधान में विश्वास रखते हैं तो आगे से आप ऐसे किसी भी अंधविश्वास और झूठी खबरों का प्रचार नहीं करेंगे ऐसी आशा है कि कि अगर हम ऐसा करते रहे तो हम एक

Brijendra Kumar

Founder and Chief Editor

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