Bangladesh: बांग्लादेश के पीएम शेख हसीना की जान कभी एक हिंदू इंडियन आर्मी ऑफिसर ने ही बचाई थी.

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भारत के ही पड़ोसी देश देश बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के समय पर भड़की हिंसा थमने का नाम ही नहीं ले रही है। लगातार हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। तथा मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। भारत की ओर से बांग्लादेश के साथ इस मसले को उठाया गया है। वहीं दूसरी तरफ बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने उम्मीद जताई है कि भारत हिंसा के खिलाफ अपने घर में दी जा रही प्रतिक्रियाओं पर कार्यवाही करेगा। जबकि उनका यह मानना है कि इस मसले पर भारत में जैसी प्रतिक्रियाएं दी जा रही हैं। उससे दोनों देशों के ही रिश्ते बिगड़ सकते हैं। बांग्लादेश में या घटनाक्रम ऐसे समय पर हो रहा है। सन् 1971 में जब भारत पाकिस्तान पर मिली अपनी जीत के 50 सालों का जश्न मना रहा है। यह किसका भी उसी जंग से जुड़ा हुआ है जो हम आपको बताने जा रहे हैं। जिसमें एक हिंदू इंडियन आर्मी ऑफिसर ने अपनी जान को खतरे में डालकर शेख हसीना की जान बचाई थी।

रक्षा करने पहुंचे 29 वर्ष की आर्मी ऑफिसर

इंडियन आर्मी से रिटायर्ड कर्नल अशोक तारा कई दफा अपने इंटरव्यू में कह चुके हैं कि कैसे पाकिस्तान के जवानों को चकमा देकर उन्होंने ही शेख हसीना के पूरे परिवार की जान बचाई थी। जबकि उस समय उनकी उम्र महज 29 साल की थी। वो अपने साथ दो जवानों को लेकर शेख मुजीब-उर-रहमान के परिवार को बचाने के लिए ही गए थे। उन्होंने यह भी कहा था कि कैसे उन्होंने शेख हसीना तथा उनके नवजात बच्चे को पाकिस्तान के हाथों से बचाने में कामयाबी हासिल की थी। अशोक चक्र से कर्नल तारा को सम्मानित किया गया था। उन्होंने ही ढाका के धन मोदी में हसीना तथा उनके परिवार की रक्षा करने के लिए अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगा दी थी।

पाक जवानों का घर के बाहर पहरा

कर्नल तारा बताते हैं कि उनको याद है। वह जब पीएम हसीना को बचाने पहुंचे थे। तब वो कितने मुश्किल हालात में थी। पाकिस्तानी सेना के जवान उनके घर के बाहर पहरा दे रहे थे। कोई भी अगर घर के पास जाने की कोशिश करता तो उस पर फायरिंग करने लगते थे। कर्नल तारा के अनुसार वह जब शेख हसीना के घर के करीब पहुंचे तो उन्हें रोका गया। और तो और उन्हें एक मृत्य मीडिया कर्मी की लाश भी दिखाई गई। उस समय उनके पास सिर्फ दो जवान थे। तो ऐसे में हमले का सवाल उठता ही नहीं था। घर के भीतर भी लोग मौजूद थे तथा उन पर खतरा आ सकता था। लेकिन उन्होंने तभी फैसला किया था कि वह साहस के साथ पाकिस्तानी जवानों का सामना करेंगे। उन्होंने अपने दोनों जवानों हथियारों को वहीं छोड़ दिया। वो बिना हथियार के अकेले ही आगे बढ़े। वो घर के पास पहुंचे तथा उन्होंने पूछा कि क्या कोई है। उन्हें जवाब पंजाबी में मिला तथा पंजाबी होने के कारण से वह इस भाषा को समझ सकते थे। उन्हें रोकने के लिए गोली मारने की धमकी भी दी गई।

सरेंडर करने को पाक जवानों से कहा

दोनों के बीच 25 मिनट तक बातें होती रही इसी बीच पाक सेना के कमांडर ने बंदूक को लोड करने का आरर भी दे दिया था। दूसरे घरों पर भी उस कमांडर ने फायरिंग का आदेश दिया था।वो वहीं पर खड़ी रहे तथा उन्होंने पाक जवानों से यह भी कहा कि वह 12 लोग हैं। अगर उन्हें मार दिया गया तो फिर वह कभी भी अपने घर नहीं पहुंच पाएंगे।वो अगर सरेंडर कर देते हैं। तो फिर एक इंडियन आर्मी ऑफिसर होने के नाते से वह इस बात की गारंटी देते हैं कि उन्हें हेड क्वार्टर तक ले जाया जाएगा ताकि वह पार्क में अपने घर पहुंच सके।

पाक का झंडा उखाड़ फेंका

बहरहाल उन जवानों ने सरेंडर कर दिया। उसके बाद फिर कर्नल तारा ने घर का दरवाजा खोला। शेख हसीना की मां ने दरवाजा खोला था। तथा उन्होंने कर्नल तारा से कहा था कि वह उनके बेटे हैं। भगवान ने उनके परिवार की जान बचाने के लिए ही उन्हें यहां भेजा है। इसी दौरान शेख मुजीब-उर-रहमान के चचेरे भाई ने उन बांग्लादेश का झंडा गिफ्ट किया था। उस झंडे को उन्होंने जमीन पर लहराया तथा पाक का झंडा उतार कर फेंक दिया। शेख हसीना की मां ने ही जोरो से ‘जय बांग्ला’ का नारा लगाया था। तथा पाक के झंडे को पैरों से कुचल दिया था।

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