Anand Malligavad: पानी के भयंकर संकट की संभावना को देखकर झीलों को बचाने निकला युवक…छोड़ दी नौकरी

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Anand Malligavad: अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिये सबकुछ दाँव पर लगा देने वाले तमाम व्यक्तियों को आप जानते होंगे। पर क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं। जिसने समाज कल्याण के लिये अपना कैरियर दाँव पर लगा दिया। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्श के बारे में बताने वाले हैं। जिसने पानी के संकट की संभावना को देखकर नौकरी छोड़कर झीलों को बचाने निकल पड़ा।

कर्नाटक का है, युवक.. प्रकृति से लगाव ने बनाया समाजसेवी

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हम जिस युवक की बात कर रहे हैं। वह कर्नाटक के कोप्पल जिले का निवासी है। बता दें, कि इस युवक का नाम आनंद मल्लिगवाड़ है, बता दें कि बचपन मे जिस स्कूल में आनंद पढ़ते थे। वह झील के किनारे था। अतः झीलों से आनंद का बचपन से ही गहरा नाता था। और आज आनंद झील उद्धारक बन गये हैं।

भांप गये पानी का संकट

एक साक्षात्कार में Anand Malligavad बताते हैं, कि एक बार वह कहीं पर कुछ आर्टिकल पढ़ रहे थे। जिसमें यह लिखा था, की जल्द ही बेंगलुरु शहर जीरो वाटर की स्थिति में आ जायेगा। और शहर में पानी की किल्लत हो जाएगी,इस रिपोर्ट को पढ़कर आनंद पानी की किल्लत को समझ गये और समाधान की तलाश में निकल पड़े।

शहरीकरण बना था, समस्या

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आनंद ने जब जल की सम्भावित समस्या पर रिसर्च करना शुरू किया। तो पाया कि जल की भावी किल्लत के लिये शहरीकरण जिम्मेदार है। क्योंकि शहरीकरण के नाम पर शहर की 1000 में से लगभग 450 झीलें नष्ट कर दी गयी थी। और यही कारण भविष्य में जल की बड़ी समस्या बन सकता था। अतः गम्भीरता को समझते हुये, आनंद झीलों को बचाने निकल पड़े।

शुरू की मुहिम, छोड़ दी नौकरी

बता दें, कि आनंद ने वर्ष 2017 में क्यालासनहल्ली झील के उद्धार से अपनी मुहिम शुरू की और कुछ दिन बाद नौकरी छोड़कर पूरी तरह से इसी काम मे लग गये। बता दें, कि इस कार्य मे बाद में उन्हें स्थानीय लोगों और प्रशासन का भी साथ मिलने लगा और वह निरंतर आगे बढ़ते रहे।

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Anand Malligavad ने एक दर्जन से अधिक झीलों का किया उद्धार

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आपको बता दें, आनंद ने अपनी मुहिम शुरू करने के बाद से अब तक लगभग 12 झीलों को पुनः जीवित कर दिया है। और इसके अतिरिक्त उन्होंने अनेकों बोरवेल का भी पुनरोद्धार किया है। तथा पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण हज़ारों पेड़ पौधे भी लगवाये हैं। और अब वह सोशल मीडिया पर एक आइकॉन बने हुये हैं।

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