Aishat Shifa Hijab Ban Case: Supreme Court में हिजाब मामले को लेकर सुनवाई जारी है। बुधवार को सुनवाई के दौरान ही अदालत से एक मुस्लिम छात्रा ने सवाल किया है। छात्रा (Aishat Shifa First Muslim Girl To Challenge Hijab Ban) की ओर से वकील देवदत्त कामत ने पूछा कि एक सेक्युलर प्रशासन को हिजाब से दिक्कत कैसे हो सकती है। अगर अन्य स्टूडेंट्स को बिंदी, कड़ा, क्रॉस या जनेऊ पहनने की परमिशन है तो फिर मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने की चॉइस के मूल अधिकार पर प्रशासन कैसे पाबंदी लगा सकता है? कामत ने कोर्ट में अमेरिका, कनाडा और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के अलावा निजता के अधिकार (right to privacy) का भी हवाला दिया था।
उनका तर्क था कि मुस्लिम छात्राओं को उनकी धार्मिक रीति-रिवाजों और मान्यताओं के आधार पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है जिसमें ड्रेस चुनने का मूल अधिकार भी शामिल है। कामत कोर्ट में ऐशत शिफा (Aishat Shifa Asks Pertinent Questions To Supreme Court) नाम की छात्रा का पक्ष रख रहे थे। यह शिफा (Aishat Shifa First Muslim Girl To Challenge Hijab Ban) वही लड़की हैं जिन्होंने सबसे पहले कर्नाटक सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में भी इस मामले की मुख्य याचिका ऐशत शिफा ने ही डाली है।
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उडुपी में रहने वाली 16 साल की ऐशत शिफा को बैडमिंटन और गणित में दिलचस्पी है। और वह अकाउंटेंट बनना चाहती हैं। NPR की एक रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी की शुरुआत में शिफा और अन्य मुस्लिम छात्राओं के पैरंट्स को बुलाकर कहा गया कि उनकी बेटियां हिजाब पहनकर स्कूल नहीं आ सकतीं हैं। अगले दिन जब शिफा ने हिजाब पहनकर स्कूल में जाने की कोशिश तो उन्हें रोक दिया गया। वहीं, शिफा ने भी हिजाब उतारने से साफ इनकार कर दिया और कानूनी रास्ता अख्तियार करने का पक्का मन बना लिया। वहीं, यह पेचीदा हो चुका मामला कुछ ही दिनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया। अमेरिका के न्यूयॉर्क तक में इन लड़कियों के समर्थन में रैली निकली थी।
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उस बाद मार्च में भी कर्नाटक हाई कोर्ट ने सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। स्कूल खुलने पर हिजाब के साथ एंट्री नहीं थी। शिफा फरवरी के बाद से स्कूल ही नहीं गई हैं। शिफा (Aishat Shifa First Muslim Girl To Challenge Hijab Ban) के अलावा उडुपी के ही एक और स्कूल की छह लड़कियों ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी। हालांकि, शिफा (Aishat Shifa Asks Pertinent Questions To Supreme Court) एक मात्र वह स्टूडेंट हैं जो हिजाब बैन के खिलाफ सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुंच गईं।
शिफा ने NPR से बातचीत करते हुए कहा, ‘मैं अपना हिजाब भी पहनना चाहती हूं और पढ़ाई भी करना चाहती हूं। मैं दोनों में से किसी भी एक को चुनना नहीं चाहती।’
याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट देवदत्त कामत ने कहा कि भारत में पॉजिटिव सेक्युलरिज्म हैं। उन्होंने कहा कि मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने से संविधान के अनुच्छेद 25 के किसी प्रावधान का उल्लंघन नहीं होता और इसलिए प्रतिबंध असंवैधानिक था। शिफा के वकील ने इस मामले को पांच जजों की संवैधानिक बेंच के पास भेजने की भी गुहार भी लगाई थी।