5 जून को 8 महीने की एक गर्भवती महिला की मौत सिर्फ इसलिए हो गई क्योंकि समय पर उसका इलाज नहीं किया गया अस्पतालों नेें भर्ती करने से मना कर दिया,
आठ अस्पतालों के चक्कर कांटे 12 से 13 घंटे भटकती रही किसी ने भर्ती नहीं किया एक सरकारी अस्पताल में भर्ती किया भी गया तो काफी देर हो चुकी थी तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
मामला सामने आने के बाद गौतम बुध नगर के जिला प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए,
महिला का नाम नीलम उम्र 30 साल गाजियाबाद के खोरा इलाके में अपने पति और 5 साल के बेटे के साथ रहती थी, शुक्रवार की सुबह होने सांस लेने में दिक्कत हुई. 5 जून की सुबह नीलम के पति विजेंद्र सिंह और देवर शैलेंद्र सिंह ने ऑटो की और अस्पताल ले गए , दिल्ली नोएडा के आठ अस्पतालों का चक्कर लगाया कुल 12 13 घंटे का सफर कियापर कहीं इलाज नहीं हुआ परिवार वालों का कहना है कि सब अस्पतालों में यही कहा गया कि बेड खाली नहीं है।
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक विजेंद्र एक कंपनी में काम करते हैं . कंपनी का ECIS कार्ड भी बना हुआ है . इसलिए विजेंद्र सुबह 6:00 बजे अपनी पत्नी नीलम को लेकर नोएडा सेक्टर 24 ECIS के अस्पताल ले आए. वहां कहा गया कि आप sector-30 के जिला अस्पताल जाए, कोई मेडिकल सहायता ना मिलने पर वह अपनी पत्नी को नोएडा के शिवालिक अस्पताल ले आए.
विजेंद्र का कहना है कि नीलम का 30 मई से 4 जून तक शिवालिक अस्पताल में इलाज हुआ था. और बाद में डिस्चार्ज कर दिया गया था. लेकिन उस अस्पताल में भी भर्ती करने से मना कर दिया. उसके बाद नीलम को लेकर नोएडा सेक्टर 62 फोस्टिक अस्पताल और सेक्टर 128 के जेपी अस्पताल गए. परिवार वालों का आरोप है कि सभी अस्पताल में ने बेड होने का बहाना करके भर्ती नहीं किया गया पर उन्होंने हार नहीं मानी वहां से नीलम को लेकर शारदा अस्पताल पहुंचे. फिर वहां से गवर्नमेंट इंस्टीट्यूट मेडिकल साइंस (GIMS) पहुंचे और उसके बाद वैशाली के मैक्स अस्पताल गए. लेकिन फिर वापस नीलम को लेकर GIMS अस्पताल आए और वहां पर नीलम को मारा घोषित कर दिया गया.
परिवार वालों का क्या कहना है,
पति विजेंद्र का कहना है कि उन्होंने जीआईएमएस प्रशासन से बहुत सिफारिश की. जिसके बाद नीलम को वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका. वही जीआईएमएस के डायरेक्टर डॉ राजेंद्र गुप्ता का कहना है कि महिला को शाम को लाया गया था उस समय एक भी बेड खाली नहीं था. और महिला को जिस समय लाया गया था उस समय उसकी मौत हो चुकी थी.
देवर शैलेंद्र का कहना है कि नीलम को काफी दर्द थावह रो रही थी तड़प रही थी और एक से दूसरे अस्पताल आते हैं जाते में बहुत समय लग गया इतने में मर गई.
अस्पताल का क्या कहना है,
*जेपी अस्पताल के मुताबिक,नीलामी में कोरोना के लक्षण साफ साफ दिखाई दे रहे थे . जैसे- तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, वगैरह इसलिए उनको जीआईएमएस रेफर किया गया. जहां कोरोना के मरीजों का इलाज होता है.
*शारदा अस्पताल के प्रवक्ता डॉ अजीत कुमार का कहना है कि नीलम उनके पास दोपहर के करीब आई थी . उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत थी .ऑक्सीजन देकर स्थिर किया गया और आईसीयू में जगह ना होने के कारण उन्हें दूसरे सेंटर में भेज दिया गया. क्योंकि आईसीयू के बेड सीएमओ जानी चीफ मेडिकल ऑफिसर अलॉट करते हैं.
* कॉस्टिक अस्पताल का कहना है कि मरीज को सुबह 11:00 बजे लेकर आया गया था .तब उसकी हालत काफी खराब थी. आईसीयू में जगह न होने के कारण वेटिंग रूम में ऑक्सीजन लगाया और बिना देरी किए हुए. उनके पति को सलाह दी थी कि वह नीलम को लेकर दूसरे अस्पताल जाए .
*मैक्स अस्पताल का कहना है कि उसके रिकॉर्ड के मुताबिक, इमरजेंसी में कोई भी मरीज रजिस्टर्ड नहीं है.
जिला प्रशासन ने क्या कहा,
जिला अधिकारी सुभाष हलवाई ने जांच के आदेश दिए हैं .उन्होंने कहा कि अस्पताल में भर्ती करने से मना किया. जिसके वजह से गर्भवती स्त्री की मौत हुई. इस मामले की जांच चीफ मेडिकल ऑफिसर दीपक ओहारी एडीएम फाइनेंस राजस्व मुनिध नाथ उपाध्यक्ष करेंगे.