भूख के मारे सूख कर काटा हो गए महिला समेत उसके 5 बच्चे

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( भूख के मारे सूख कर काटा ) जरा सोचिए जिस देश की जीडीपी को किसानों ने संभाल रखा है उस देश के नागरिक अगर भूखे मरे तो सवाल किससे किया जाए,

जरा सोचिए की जो देश अपने आप को विश्व गुरु कहलवाना चाहता है जो कहता है कि हमारे यहां संसाधनों की कमी नहीं है, जो आस पड़ोस के देशों में भी अपनी दरियादिली के लिए जाना जाता है उसी देश के नागरिक 2 महीने से भोजन ना मिलने पर सुख के कांटा हो जाए तो सवाल कैसे किया जाए?

( भूख के मारे सूख कर काटा ) आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है….

यह घटना अलीगढ़ के

क्लिक करे :- ट्विटर और सरकार की खींचातानी रुकने का नाम नहीं ले रही ।

40 वर्षीय गुड्डी अपने पांच नाबालिग बच्चों के साथ रहती थी जिनकी उम्र 5 से 20 वर्ष के बीच के मान लीजिए,

( भूख के मारे सूख कर काटा ) गुड्डी के पति की मौत 2020 में हो गई उसके बाद परिवार का पेट पालने के लिए गुड्डी ने एक फैक्ट्री में 4हजार की नौकरी पर काम शुरू कर दिया,

( भूख के मारे सूख कर काटा ) घर बड़ी मुश्किल से लेकिन तब भी चल तो रहा था इस बीच कोरोना उनकी वजह से गुड्डी की नौकरी छूट गई और कहीं काम भी नहीं मिला घर का राशन धीरे-धीरे खत्म हो गया और नौबत यहां तक आ गई लोगों द्वारा दिए गए खाने के पैकेट पर निर्भर होना पड़ा,

( भूख के मारे सूख कर काटा ) बड़े बेटे अजय ने मजदूरी करनी शुरू कर दी जिस दिन काम मिल जाता उस दिन घर का राशन आ जाया करता था काम मिलता था उस दिन भूखे रहना पड़ता था पेट भर खाना ना मिलने की वजह से गुड्डी की 13 वर्ष की बेटी अनुराधा की तबीयत खराब रहने लगी और धीरे-धीरे परिवार के सभी सदस्य बीमारी की चपेट में आ गए देखते ही देखते कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दे दी और लॉक डाउन लग गया,

क्लिक बारे :- जब बाढ़ में हफ्ते भर पूरा परिवार ऐसे मचान पर रहता है, नीचे साप घूमते है। Bharat Ek Nayi Soch

( भूख के मारे सूख कर काटा ) इसके बाद बड़े बेटे अजय को मिलने वाली मजदूरी भी बंद हो गई , और ये लोग दाने-दाने के मोहताज हो गए,

गुड्डी के बच्चों ने बताया कि 2 महीने से भर पेट खाना नहीं नसीब हुआ आस पड़ोस के लोग जो खाना दे दिया करते थे उसी से गुजारा चलता था बाकी पानी पी कर पेट भर लिया करते थे जिस की वजह से पूरा परिवार बीमार हो गया,

गुड्डी की बड़ी बेटी को जब इस बारे में पता चला तो बेटी और दामाद ने मिलकर पूरे परिवार को अस्पताल में भर्ती कराया,

जब गुड्डी से पूछा गया कि अस्पताल में आपकी दवाई ठीक तरीके से हो रही है या नहीं उस पर गुड्डी ने कहा कि भरपेट भोजन मिल जाता है भूखे तो नहीं मरना पड़ता,

गुड्डी को दवा से ज्यादा भोजन की चिंता थी

( भूख के मारे सूख कर काटा ) अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि परिवार काफी समय से भूखा रह रहा था जिसकी वजह से सभी की हालत बहुत खराब है हालाकि जल्दी ही उन्हें रिकवर कर लिया है,

अब तमाम संस्थाएं और सरकार की तमाम योजनाएं उन परिवार तक पहुंच रही हैं उम्मीद है कि अब जल्द ही इस परिवार को दो वक्त की रोटी जुटाने में दिक्कत नहीं आएगी,

( भूख के मारे सूख कर काटा ) सवाल यह है कि क्या आपको लगता है कि यह कहानी सिर्फ गुड्डी की है या गुड्डी जैसे तमाम परिवार दो वक्त की रोटी कट्ठा करने में पूरी ताकत जोख देते है फिर भी 2 जून की रोटी कट्ठा नहीं कर पाते,

सवाल यह भी है कि जब इस कोरोना काल में हर परिवार तक फ्री राशन देने की बात कही गई तो गुड्डी के परिवार तक राशन क्यों नहीं पहुंचा,

नमस्कार,

Brijendra Kumar

Founder and Chief Editor

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