इस दिन को दृष्टि विकार, अंधापन व अन्य दृष्टि संबंधित समस्याओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है। चूंकि कम आय वाले देशों में लगभग 90 फ़ीसदी अंधे लोग रह रहे हैं। आबादी का 39 मिलियन अंधेरा है तथा करीब 65 प्रतिशत दृष्टिहीन लोग 50 वर्ष से अधिक उम्र के हैं। विश्व दृष्टि दिवस आंखों के स्वास्थ्य कैलेंडर पर एक महत्वपूर्ण संचार तथा वकालत कार्यक्रम है। ये अंधापन तथा दृष्ट विकार पर ध्यान देने पर केंद्रित है।
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साल 2000 में लायंस क्लब इंटरनेशनल फाउंडेशन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनैतिकता की रोकथाम के लिए इस दिन को अंतरराष्ट्रीय एजेंसी के सहयोग से चिन्हित किया गया था। कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो अंतरराष्ट्रीय दृष्टि दिवस पर ही सबका ध्यान अपनी तरफ खींचती हैं। जैसे कि ट्रैकोमा, मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, मधुमेह, रेटिनोपैथी, अपवर्तक त्रुटि और कम दृष्टि। इस दिवस की शुरुआत उन लोगों का समर्थन करने के महत्व को समझने के लिए ही किया गया है। जी ठीक से देख भी नहीं सकते। इस दिन को विशेष रूप से इस बात पर केंद्रित किया गया है कि ऐसी स्थितियों में लोगों की सहायता के लिए क्या कुछ किया जा सकता है।
अनैतिकता की रोकथाम के लिए ही अंतरराष्ट्रीय एजेंसी (आईपीएबी) एक गैर-लाभकारी वैश्विक संस्था है। जो अंधेपन को रोकने वाली गतिविधियों के लिए संस्थाओं को एकत्रित करने का काम करती है। उन लोगों की वृद्धि के लिए यह संगठन समर्पित है जो दृष्टि की समस्याओं से पीड़ित हैं। सर जॉन विल्सन ने 1 जनवरी 1953 को अंतरराष्ट्रीय एजेंसी आईपीएबी की स्थापना की थी। आईपीएबी का मुख्य उद्देश्य अंधेपन को रोकने के लिए गैर सरकारी संगठनों तथा इच्छुक व्यक्तियों, शैक्षणिक संस्थानों, पेशेवर निकायों को राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों को जोड़ना है। आईपीएबी की प्राथमिक विश्व स्वास्थ्य संगठन की अंधेपन की रोकथाम के लिए कार्यक्रम की नींव बड़ी उपलब्धि थी। जिसके बाद से दोनों ने प्रमाणित रिश्ते में प्रवेश किया।
अंतर्राष्ट्रीय दृष्टि दिवस वैश्विक उत्सव की समस्या पर जोर देने के लिए हर साल मनाया जाता है। यह दृष्टि के नुकसान की रोकथाम तथा उपचार के बारे में पूरी दुनिया में सार्वजनिक सतर्कता बढ़ाने की कोशिश है। इससे सरकारों पर प्रभाव पैदा करने खासकर स्वास्थ्य मंत्री व अंधाधुंध निवारण कार्यक्रमों में भाग लेने व पैसा उपलब्ध कराने के लिए मनाया जाता है। ये दृष्टि के लिए सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने तथा प्रमुख अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्याओं के रूप में अंधापन पैदा करने के लिए भी चिन्हित है।
सन् 2000 के बाद से अंधेपन तथा अन्य संबंधित दृष्टि दोष के साथ-साथ दृष्ट वकारों की समाज व जागरूकता को बढ़ाने के लिए अलग-अलग देशों में अंतरराष्ट्रीय दृष्टि दिवस मनाया जाता है। दृष्टि समस्याओं के साथ लोगों को प्रदान की गई आई केयर सहायता के लिए भिन्न-भिन्न सेवाओं को बढ़ावा देने के साथ इस दिन को मनाया जाता है। विशेष रुप से इस दिन का उन लोगों के लिए बेहद महत्व है। जो अपनी आंखों को नुकसान से बचाने के लिए हमेशा तत्पर हैं। इस दिन अंधे लोगों को समर्थन देने तथा उनके जीवन को आसान बनाने के लिए भी कई अभियान आयोजित किए जाते हैं।
देशभर में अंतर्राष्ट्रीय दृष्टि दिवस पर अंधत्व के विभिन्न मुद्दों के प्रति जनता का ध्यान अपनी तरफ खींचने तथा सभी के लिए नेत्र स्वास्थ्य को वास्तविकता बनाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करता है। दिल्ली, बेंगलुरु व कर्नाटका जैसे बड़े शहरों में सार्वजनिक कार्यक्रमों के आयोजन के माध्यम से विभिन्न नेटवर्क तथा संस्थाओं के सहयोग से क्रिस्चियन ब्लाइंड मिशन भारत में इस दिन को चिन्हित करता है। भारत सरकार द्वारा नेत्र देखभाल विशेषज्ञ तथा आम लोगों ने इस दिवस के अवसर पर नेत्र की स्थिति पर जागरूकता फैलाने के प्रयास किया। अंतर्राष्ट्रीय दृष्टि दिवस के इस अवसर पर आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज सभी सहभागीयों को निशुल्क सेवाएं प्रदान करता है।
– कंप्यूटर तनाव तथा अन्य आम दृष्टि समस्याओं से निपटने के लिए आंखों की देखभाल करने वाली युक्तियां।
– समावेशी नेत्र स्क्रीन परीक्षण जो कि आंखों की दृश्य स्थिति की जांच करेगी तथा मोतियाबिंद आज जसी बीमारियों का भी निवारण करेग।
– मधुमेह की जांच के लिए तत्काल रक्त शर्करा का परीक्षण तथा मधुमेह के रेटिनोपैथी की संभावना का परीक्षण।
– किसी अन्य नेत्र संबंधी समस्याओं पर चिकित्सा नियुक्ति।