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जाने क्या होता है भू-स्खलन, भू-स्खलन की घटनाओं से राष्ट्रीय राजमार्ग की सुरक्षा की बढी चिंता

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दुनिया भर में भू-स्खलन के कारण होने वाले नुकसान के संबंध में चर्चा की जा रही है। और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। एक महत्वपूर्ण वजह यह भी है कि यहां आपदा पर्यावरण, समुदायों, पशुधन तथा जान मान का खतरा है। हिमालयी क्षेत्रों में भू-स्खलन की बढ़ती घटनाओं से राष्ट्रीय राजमार्गों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। राष्ट्रीय राजमार्गों को सुरक्षित करने का सुझाव देने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने विशेषज्ञों की एक समिति के गठन का फैसला भी किया है। इसके साथ ही मंत्रालय एक विशेष भू-स्खलन प्रोजेक्ट शुरू करने की भी तैयारी में है। भू-स्खलन से राजमार्गो को सुरक्षित करने के लिए अलग से तीन से चार हजार करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया है।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भू-स्खलन की घटनाओं का अध्ययन कर उससे बचने के लिए व तकनीकी उपाय से सुलझाने के लिए मंत्रालय ने डीआरडीओ के मातहत आने वाले डिफेंस जियो इनफॉर्मेटिक्स रिसर्च इस्टैब्लिसमेंट के साथ समझौता किया है। यह समझौता इसी साल 20 जनवरी को किया जा चुका है।

क्या होता है भू-स्खलन

भूस्खलन एक भूवैज्ञानिक घटना है। जो घरातली हलचलो जैसे पत्थर का खिसकना या गिरना, पथरीली मिट्टी का बहाव और भी इसके अंतर्गत आते हैं। कई प्रकार से भूस्खलन हो सकता है।और इसमें चट्टान की छोटी-छोटी पत्थरों के गिरने से लेकर बहुत अधिक मात्रा में चट्टान की टुकड़ी और मिट्टी का बहाव शामिल हो सकता है। इसका विस्तार कई किलोमीटर दूरी तक हो सकता है। भारी वर्षा, बाढ़ तथा भूकंप के आने से भूस्खलन हो सकता है। मानव गतिविधियां जैसे सड़क के किनारे खड़ी चट्टान के काटने, पेड़ और वनस्पति के हटाने या फिर पानी के पाइपों में रिसाव से भूस्खलन की घटना हो सकती है।

सड़क का बड़ा हिस्सा गायब होने से चिंता बड़ी भूस्खलन

हिमाचल प्रदेश में हाल ही के दिनों में जिस तरह से पहाड़ खिसकने की घटना सामने आई है। वह पूरी तरह से दिल दहला देने वाली है। जिसमें सड़क का एक बड़ा हिस्सा ही गायब हो गया। यह बहुत ही चिंता की बात है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि जल्द ही विशेषज्ञों की समिति का गठन कर दिया जाएगा। जो मौजूदा पहाड़ी इलाकों में राष्ट्रीय राजमार्गों की खनन की चपेट में आने बाधाओ की पड़ताल करेंगे, और इसके साथ ही साथ उसी सड़क को पूरी तरह से सुरक्षित करने का उपाय भी बताएंगे।

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भारत का लगभग 15 फ़ीसदी क्षेत्र भू-स्खलन प्रभावित है

भूस्खलन एक गुरुत्व प्रेरित भूगर्भीय की घटना है। जो मुख्यतः पहाड़ों से जुड़ा हुआ है। चूंकि भूस्खलन की घटनाएं उन क्षेत्रों में भी हो सकती हैं। जहां भवनों, राजमार्गों और खुले मुंह वाली खदानों के लिए सतह की खुदाई जैसी गतिविधियों को अंजाम दिया जाता है। अल्पावधि में अचानक और भारी वर्षा, जिसका स्वरूप अक्सर ऐसा होता है, के कारण हो सकता है। गहरे भूस्खलन के मामले में आमतौर पर गहरे विघटित चट्टान आधार सेंटर ग्रस्त हो जाता है। कुछ हुआ भू-स्खलन तेजी से होते हैं जो सेकंड में घटित हो जाते हैं। लेकिन कुछ भू-स्खलन को घटन में घंटे सप्ताह या उससे भी अधिक समय लग सकता है।
भूस्खलन एक प्राकृतिक आपदा है जो कम से कम 15% क्षेत्र को प्रभावित करता है। इसका क्षेत्र 4,90,000 वर्ग किमी से अधिक होता है। भू-स्खलन विभिन्न प्रकार का होता है। जैसे पूर्वोत्तर भारत, हिमालय और पश्चिमी घाटों तथा दक्षिणी घाटों में स्थित क्षेत्रों में होता रहता है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में अराकान योगा श्रृंखलाओं से बना लगभग 0.098 मिलियन वर्ग किमी तथा नीलगिरी हिमालय, रांची पठार, पूर्वी तथा पश्चिमी घाटों के 0.392 मिलियन किमी क्षेत्र भूस्खलन से प्रभावित होते हैं।

भू-स्खलन के कारण (Reason of landslide)

गुरुत्वाकर्षण के कारण भी भूस्खलन होने की संभावना रहती है। बड़ी चट्टानों और खाड़ी में गुरुत्वाकर्षण बल के प्रभाव के कारण इन चट्टानों में भूस्खलन हो जाता है। भूकंप जो एक प्राकृतिक आपदा है।भूकंप से होने वाले कंपित भूमि इतनी कमजोर पड़ जाती है कि उसमें कटाव या अपरदन होने लगता है। जिसका विशाल रूप भू-स्खलन कहलाता है। ऐसे ही अन्य कारणों से जैसे ज्वालामुखी विस्फोट, जलवायु, बनो का कटाव, ‌ अन्य मानवीय हस्तक्षेप इत्यादि कारणों से भूस्खलन होता है।

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