Utkarsh Samaroh: Prime Minister Narendra Modi ने गुरुवार को गुजरात में सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों से बातचीत की। इसी दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने लाभार्थियों से उनके अनुभव के बारे में भी बात की। इस बातचीत के दौरान ही प्रधानमंत्री की बातचीत अयूब पटेल नाम के 1 लाभार्थी से हुई। अयूब ने प्रधानमंत्री मोदी को अपनी ग्लूकोमा की समस्या तथा बेटियों के सपनों के बारे में बताया। इस दौरान ही एक पल ऐसा आया जब पीएम मोदी खुद ही भावुक हो गए। उन्होंने रूंधे गले से आयु पटेल से यह कहा कि अगर आपकी बेटियों को सपना पूरा करने में किसी भी प्रकार की मदद की जरूरत हो तो वह उन्हें बताएं।
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अयूब पटेल ने अपनी बारी आने पर पीएम नरेंद्र मोदी को यह बताया कि वह ग्लूकोमा से पीड़ित हैं। लेकिन वह अपनी तीनों बेटियों को पढ़ा रहे हैं तथा सरकार पढ़ाई में मदद भी कर रही हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जब आयोग के साथ आई उनकी बेटी आलिया से यह पूछा कि वह बड़े होकर क्या बनना चाहती है? तो उसने बहुत ही भावुक होते हुए यह कहा कि वो पिता की समस्या के कारण से आगे डॉक्टर बनना चाहती हैं।
इस घटना के बाद से प्रधानमंत्री मोदी खुद ही भावुक हो गए। उन्होंने रूंधे गले से यह कहा कि बेटी है जो तुम्हारी संवेदना है वही तुम्हारी ताकत है। प्रधान मंत्री ने आयोग से यह कहा कि बेटियों का सपना पूरा करना तथा इसमें कुछ कठिनाई भी हो तो मुझे बताना। हालांकि बेटियों के मन में यह विचार आना कि पिताजी की इस पीड़ा ने मुझे डॉक्टर बनने की प्रेरणा दी। अयूब पटेल में आपका तथा आपकी बेटियों का विशेष अभिनंदन करता हूं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले ही कार्यक्रम के दौरान संबोधन में यह कहा कि सरकारी योजनाओं के बारे में पूर्ण जानकारी ना होने की वजह या तो वह सिर्फ कागजों पर ही रह जाती हैं या फिर लोग उसका पूरा लाभ भी नहीं उठा पाते। प्रधानमंत्री ने यह कहा है कि जब सरकारी योजनाओं को एकदम पूरी तरह से क्रियान्वित किया जाएगा। तो किसी के भी तुष्टिकरण की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी।
पीएम मोदी ने यह कहा कि Utkarsh Samaroh इस बात का प्रमाण है कि जब सरकार ईमानदारी से, एक संकल्प लेकर लाभार्थी तक पहुंचती है। तो इसका सार्थक परिणाम भी देखने को मिलते हैं। मैं भरूच जिला प्रशासन को, रात सरकार को सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी 4 योजनाओं के शत-प्रतिशत सैचुरेशन के लिए भी बधाई देता हूं। अक्सर जानकारी के अभाव में भी अनेक लोग योजनाओं के लाभ से वंचित ही रह जाते हैं। कभी-कभी तो योजनाएं सिर्फ कागज पर ही रह जाती हैं।
लेकिन जब इरादा साफ हो और नीति साफ हो एवं नेकी से काम करने का इरादा हो तो सबका साथ सबका विकास की भावना हो तो इसके भी नतीजे मिलते हैं। हालांकि दिल्ली से देश की सेवा करते हुए मुझे 8 वर्ष पूरे हो रहे हैं। यह 8 साल सेवा सुशासन तथा गरीब कल्याण को समर्पित रहे। मैं आज जो कुछ भी कर पा रहा हूं वह मैंने आपके बीच में रहकर ही सीखा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने आगे कहा कि वर्ष 2014 में जब आपने हमें सेवा का मौका दिया था तो देश की लगभग लगभग आधी आबादी शौचालय की सुविधा से, बिजली कनेक्शन की सुविधा से, बैंक अकाउंट की सुविधा से, टीकाकरण की सुविधा से वंचित थी। सभी के प्रयासों से अनेक योजनाओं को शत-प्रतिशत सैचुरेशन के पास ला पाए हैं। इसलिए संकल्प लिया है कि शत-प्रतिशत लाभार्थी तक पहुंचने का। जब शत-प्रतिशत तक पहुंचते हैं तब सबसे पहले मनोविज्ञान परिवर्तन आता है वह बहुत ही महत्वपूर्ण है।
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उसमें देश का नागरिक याचक की अवस्था से ही बाहर निकल जाता है। मैंने पहले भी यह कहा है कि ऐसे काम कठिन होती हैं। राजनेता भी उस पर हाथ लगाने से डरते हैं। लेकिन मैं राजनीति करने के लिए नहीं बल्कि देश वासियों की सेवा करने के लिए आया हूं।