UP Election 2022: के विधानसभा चुनाव में हार के चलते आरएलडी यानी कि राष्ट्रीय लोक दल पार्टी के प्रमुख जयंत चौधरी ने सोमवार को तत्काल प्रभाव से सारे इकाइयों तथा मोर्चे पर पार्टी को भंग कर दिया। इसके साथ ही साथ पार्टी की आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर भी घोषणा की है। उन्होंने ट्विटर हैंडल के ट्वीट में यह लिखा है कि राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह जी के निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोक दल यूपी के प्रदेश, क्षेत्रीय तथा जिला और सभी फ्रंटल संगठनों को तत्काल ही प्रभाव से भंग किया जाता है।
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UP Election 2022 यूपी में विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा के बाद से आया है। जिसमें राष्ट्रीय लोक दल केवल 2.85 फ़ीसदी वोट शेयर हासिल करने में ही कामयाब रहा तथा 403 में से सिर्फ 8 सीटें ही हासिल की। चूंकि उत्तर प्रदेश में अगर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार सीट शेयर में 7 फ़ीसदी राष्ट्रीय लोक दल ने अपनी बढ़ोतरी की थी। वहीं पर पिछले गुरुवार को जयंत चौधरी ने यह कहा था कि सपा यानी कि समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के बाद यूपी विधानसभा चुनाव हारने के बाद से वो जनता की राय का सम्मान करते हैं।
दरअसल इस बार आरएलडी का गठबंधन समाजवादी पार्टी का ही हिस्सा थी। जिसमें से सुभाषपा तथा प्रसपा सहित कुल चार पार्टियां थी। वहीं पर दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी के साथ अनुप्रिया पटेल की अपना दल तथा डॉक्टर संजय निषाद की पार्टी थी। भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को राज्य में प्रचंड बहुमत मिला है।
UP Election 2022 आपको बता दें कि इसके साथ ही राष्ट्रीय लोकदल ने अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है। वही यह बैठक 21 मार्च को दोपहर 12 बजे से होगी। चूंकि इस बैठक में सारे नवनिर्वाचित विधायकों को लखनऊ बुलाया गया है। जहां पर आरएलडी प्रदेश कार्यालय पर ये बैठक होगी। हालांकि इस बैठक की अध्यक्षता जयंत चौधरी ही करेंगे। ऐसे में सपा ने भी 21 मार्च को सारे विधायकों को लखनऊ बुलाया है।
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UP Election 2022 चुनाव आयोग के अनुसार राष्ट्रीय लोक दल ने पश्चिमी यूपी में 33 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे तथा उनमें से आठ पर ही जीत हासिल की थी। चूंकि इस बार भी उसे लगभग 3 फ़ीसदी वोट मिला है। हालांकि वर्ष 2017 में 1.78 फ़ीसदी मत से संतोष करना पड़ा था। वहीं पर वर्ष 2017 में चुनाव समाजवादी पार्टी तथा कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ने वाली राष्ट्रीय लोकदल को केवल एक ही सीट मिली थी। ऐसे में जीता हुआ विधायक विवाद में भाजपा में चला गया था जिससे पार्टी एकदम शून्य पर चली गई थी। उसी दौरान ही उसको मात्र 1.78 फ़ीसदी वोट मिले थे।