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Uniform Civil Code मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा, हिमंत विस्वा बोले- कोई भी महिला यह नहीं चाहती कि सोहर 3 पत्नियां घर लाए

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Uniform Civil Code: भारत में समान नागरिक संहिता यानी कि uniform civil code लागू करने को लेकर बहस तेज हो चली है। All India मंजिलें-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नेता अशोक दिन ओवैसी तथा असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा यूसी को लेकर विभिन्न राज्य कर रहे हैं। ओवैसी का यह कहना है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड कि इस देश में कोई जरूरत नहीं है। जहां तक गोवा के यूसीसी की बात है। उसमें यह कहा गया है कि अगर किसी हिंदू पुरुष की पत्नी 30 वर्ष की उम्र तक किसी लड़के को जन्म नहीं देती है तो वो व्यक्ति दूसरी शादी कर सकता है।

लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में कहा…



उन्होंने पूछा कि क्या सरकार इस प्रकार के यूसीसी को पूरे देश में लागू करना चाहेगी?? देश के लाॅ कमीशन ने भी अपनी रिपोर्ट में यह कहा है कि मूल्य के समान नागरिक संहिता को लागू करने की कोई भी जरूरत नहीं है। असदुद्दीन ओवैसी ने औरंगाबाद में भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए यह कहा है कि देश भर में नफरत का माहौल खड़ा किया जा रहा है।

जहां जहां पर भाजपा की सरकारें हैं वहां कानून का शासन नहीं बल्कि बुलडोजर का शासन है। बीजेपी शासित राज्यों में अदालतों को दरकिनार कर बुलडोजर से न्याय दिया जा रहा है। देशभर में मुसलमानों को सामूहिक सजा दी जा रही है।

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असम के सीएम ने यह कहा….



बता दें कि उसकी इस बयान पर असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने यह कहा है कि हर कोई यूसीसी को चाहता है। कोई भी मुस्लिम महिला या नहीं चाहती कि उसका पति तीन अन्य पत्नियों को घर लाए। उन्हें अगर ना दिलाना है तो तीन तलाक़ को खत्म करने के बाद से यूसीसी लाना होगा। वहीं पर हो असम के सीएम ने कहा है कि किसी के माई के लाल में दम नहीं है कि हमें यानी कि मुसलमानों को पंचिंग बना दे।

हालांकि देश में हिंदुत्व को आगे बढ़ाने के लिए जमकर पॉलिटिक्स भी हो रही है। यह होड लगी हुई है कि हिंदुत्व को मारने वाला सबसे बड़ा कौन है। इस कंपटीशन में सारे नेता तथा पार्टी आगे हैं।

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क्या होता है इनफॉर्म सिविल कोर्ट का अर्थ




Uniform Civil Code यानी कि समान नागरिक संहिता का अर्थ यह होता है कि देश के प्रत्येक नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी जाति या फिर धर्म का क्यों ना हो। यूनिफॉर्म सिविल कोड में शादी, तथा जमीन जायदाद के बंटवारे में सारे धर्मों के लिए एक ही कानून लागू होगा। भारत में ये कानून कुछ ही मामलों में लागू है लेकिन कुछ में नहीं है।

भारतीय अनुबंध अधिनियम, माल बिक्री अधिनियम, भागीदारी अधिनियम, संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम, साक्ष्य अधिनियम तथा नागरिक प्रक्रिया संहिता आदि में समान नागरिक संहिता लागू है। लेकिन विवाह, कला तथा विरासत जैसे मामलों में इसका निर्धारण पर्सनल लाॅ या फिर धार्मिक संहिता के आधार पर होता है।

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भारत की एक ही राज्य में Uniform Civil Code लागू है




बता दें कि भारत में सिर्फ अभी एक ही राज्य है। जहां पर समान नागरिक संहिता लागू है। वह राज्य है गोवा। इसी राज्य में पुर्तगाली शासन के समय में ही समान नागरिक संहिता लागू किया गया था। साल 1961 में गोवा भारत के अधीन एक राज्य बना तथा यहां की पहली सरकार समान नागरिक संहिता के साथ ही बनी थी। समान नागरिक संहिता लागू होने से सारे समुदाय के लोगों को एक समान अधिकार दिए जाएंगे।

हालांकि Uniform Civil Code लागू होने से भारत की महिलाओं की स्थिति में भी सुधार होगा। कुछ समुदायों के पर्सनल लाॅ में महिलाओं के अधिकार भी सीमित है। ऐसे में अगर यूसीसी लागू होता है तो महिलाओं को भी समान अधिकार मिलेगा। महिलाओं के लिए भी अपने पिता की संपत्ति पर अधिकार तथा गोद लेने से संबंधित मामलों में एक समान अधिकार प्राप्त हो जाएंगे।

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