UGC: उच्च शिक्षा को नई ऊंचाई देने तथा उसके सकल नामांकन अनुपात (GER) को तेजी से बढ़ाने में जुटी सरकार का फोकस ऐसी संस्थाओं को भी विकसित करने पर ही है। जहां पर देश के भविष्य को बहुत ही बेहतर ढंग से संवारा जा सके। इसके लिए भी प्रत्येक जिले में कम से कम एक ऐसा उच्च शिक्षण संस्थान खड़ा करने की तैयारी है। जिसमें शोध समेत सारे विषयों की पढ़ाई हो सके। फिलहाल वर्ष 2030 तक सारे जिलों में ऐसे कम से कम एक बहू विषयों को उच्च शिक्षण संस्थानों को तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
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बता दें कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों पर आगे बढ़ते हुए शिक्षा मंत्रालय तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) में इसको लेकर एक रोडमैप तैयार किया है। हालांकि इसका ड्राफ्ट भी जारी किया है। इसके साथ ही सारे उच्च शिक्षण संस्थानों, शिक्षाविदों तथा छात्रों से इस पर राय मांगी है। जबकि इसमें विभिन्न विषयों की शिक्षा देने वाले संस्थानों को एक साथ जोड़ने सहित उनके बीच द्वारा डिग्री कोर्स भी शुरू करने का सुझाव दिया है।
फिलहाल इसका क्या मतलब हुआ कि यदि कोई संस्थान सिर्फ बीए यानी कि बैचलर ऑफ आर्ट की पढ़ाई कर आता है तथा कोई सिर्फ बीएड यानी कि बैचलर आफ एजुकेशन का कोर्स संचालित कराता है। तो दोनों ही एक साथ जुड़कर 4 साल का बीए-बीएड का कोर्स शुरू कर सकते हैं। इसी प्रकार बीएससी तथा एमबीए का पाठ्यक्रम चलाने वाले संस्थान भी बीएससी एमबीए का एक संयुक्त कोर्स भी संचालित कर सकते हैं।
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आपको बता दें कि बहू विषयक उच्च शिक्षण संस्थानों को तैयार करने के इस मसौदे में UGC ने उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच एक क्लस्टर तैयार करने का प्रस्ताव किया है। हालांकि इसमें से तकनीकी, विज्ञान, मानविकी और प्रबंधन आदि विषयों से जुड़े संस्थानों को आपस में जोड़ा जाएगा। सरकारी तथा निजी क्षेत्रों से जुड़े संस्थानों के लिए अलग-अलग कलस्टर होंगे। जबकि इसकी एक कमेटी भी होगी। फिलहाल अब इस कमेटी के गठन का जिम्मा राज्यों पर होगा। हालांकि इसका कार्यकाल 5 साल का होगा।