Taj Mahal: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता डॉ रजनीश सिंह द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए आज गुरुवार को अपना फैसला सुना दिया है । सुनवाई कर रहे जज डी के उपाध्याय ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि पहले ताजमहल पर रिसर्च करके आएं । जज डी के उपाध्याय ने कहा-
“Taj Mahal किसने बनवाया, पहले जाकर इस पर रिसर्च करो उसके बाद हमारे पास आओ । आप सबसे पहले इसकी जानकारी एकत्रित करो। तथ्यों की खोज करो। इस पर पीएचडी करो और अगर कोई रोके तो हमारे पास आना। आप P I L को मजाक न बनाएं।” बता दें कि लखनऊ बेंच से यह याचिका खारिज की जा सकती है । मामले की अगली सुनवाई करीब सवा दो बजे होगी।
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पेशे से डेंटल सर्जन और अयोध्या बीजेपी जिला समिति के सदस्य बहरामऊ(अयोध्या) निवासी डॉ रजनीश सिंह ने अपने वकील रुद्र विक्रम सिंह के माध्यम से पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी । उन्होंने याचिका दायर करते हुए कोर्ट को ताजमहल के शीर्ष और भूतल पर बने करीब 22 कमरों को खुलवाने की मांग की थी । उनका दावा है कि इन बन्द 22 कमरों में कई राज दफन हैं । याचिका में दावा किया गया है कि 1631 से 1653 के बीच 22 साल में ताजमहल बनाये जाने की बात सच्चाई से परे है और मूर्खतापूर्ण भी है । याचिकाकर्ता ने कहा है कि तहखाने में कई रहस्य दफन हैं ।
Taj Mahal किसने बनवाया,उससे पहले वहां क्या था, ताजमहल के ऊपरी और निचले हिस्सों में स्थित 22 कमरों को क्यों बन्द रखा गया है , उनके भीतर क्या है ये ऐसे कई सवाल हैं जो पिछले कुछ दिनों में लोगों द्वारा उठाये जा रहे हैं । ताजमहल को तेजो महल/ महालय बताया जा रहा है और तहखानों में बन्द कमरों में शिव मंदिर और हिन्दू शिलालेख होने के दावे किए जा रहे हैं । अब सच्चाई क्या है यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगी ।
जानकारी के लिए बता दें कि ताजमहल के तहखाने में स्थित इन कमरों को ब्रिटिश शासन के समय से ही बन्द रखा गया है । ये तहखाने करीब 5 दशकों से पयर्टकों के लिए 1972 से बन्द हैं । करीब 16 वर्ष पहले 2006 में तत्कालीन सरंक्षण सहायक मुनज़्ज़र अली ने तहखानों की मरम्मत सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की सिफारिश पर किया था । उस वक्त मरम्मत के नाम पर इन कमरों को खोला गया था ।
तब दीवारों में सीलन और दरारें भरने के लिए पॉइंटिंग और प्लास्टर का काम कराया गया था। गौरतलब है कि 1976 में तहखाने की दीवारों को भरा गया था। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग(ASI) के पूर्व निदेशक डॉ D दयालन ने अपनी पुस्तक ताजमहल एंड इट्स कंजर्वेशन में लिखा है कि मुख्य गुम्बद के नीचे स्थित तहखानों में आई दरारों की मरम्मत 1976-77 में की गई थी ।
ज्ञात हो कि Taj Mahal के तहखानों तक जाने के रास्ते को बन्द कर दिया गया है । ये रास्ते कुछ समय पहले तक खुले हुए थे। ताजमहल के तहखानों तक जाने के 2 रास्ते हैं। पहला चमेली फर्श पर मेहमान खाने की ओर जबकि दूसरा मस्जिद की ओर है । इन कमरों तक इन्ही रास्तों के जरिये पहुंचा जा सकता था। मस्जिद वाले रास्ते को लोहे का जाल डालकर बन्द कर दिया गया है । बता दें कि कमरों के इन्ही रास्तों से यमुना किनारे पहुंचा जा सकता था ।
इतिहासकारों के मुताबिक शाहजहां इन्ही रास्तों के इस्तेमाल यमुना से ताजमहल आने के लिए किया करता था। ये रास्ते उत्तर पश्चिमी और उत्तर पूर्वी बुर्ज के पास बने हुए थे। अब इन रास्तों पर लकड़ी के दरवाजे हटाकर ईंट की दीवार बना दी गयी है ।
आगरा स्थित Taj Mahal पूरे विश्व मे अपनी बेहतरीन बनावट और कलाकृति के लिए प्रसिद्ध है । देश विदेश से हर वर्ष लाखों पर्यटक इस मकबरे को देखने आते हैं । अपनी सुंदरता के लिए जाना जाने वाला ताजमहल आजकल विवादों में है । विवाद की मुख्य वजह इसके इतिहास को लेकर है जहां तरह तरह के दावे किए जा रहे हैं । इतिहासकारों की मानें तो सत्रहवीं शताब्दी में शाहजहां द्वारा अपनी बेगम मुमताज की याद में हुमायूं के मकबरे की तर्ज पर बनवाया गया यह मकबरा 22 सालों में बनकर तैयार हुआ। जनवरी 1632 में इसका निर्माण शुरू हुआ जबकि 1655 में यह बनकर तैयार हुआ ।
हालांकि इस पर विवाद भी उठते रहे हैं । कुछ संगठनों द्वारा इसका निर्माण काल सन 1212 बताया जाता है । उनके अनुसार इस इमारत को शाहजहां ने नहीं बल्कि परमार्दिदेव द्वारा बनवाया गया था। वह इसका नाम तेजो महल बताते हैं । हालांकि इस बात पर भी बहस होती रही है कि ताजमहल सत्रहवीं शताब्दी का ही मकबरा है या उससे पहले का। कुछ लोग इस पर अपने तर्क देते हैं । लोग इस पर ब्रुकलिन कालेज के प्रोफेसर ईवान T विलियम्स के दावे को आधार मानकर ताजमहल को मुगलों के जमाने से पहले का बताते हैं ।
बताते चलें कि प्रोफेसर ईवान T विलियम्स ने अपने खोजे साक्ष्यों के आधार पर ताजमहल को मुगलों के जमाने से पहले का बताया था। प्रोफेसर ईवान ने ताजमहल का दौरा किया था और यमुना किनारे वाले लकड़ी के दरवाजों के अंश अपने साथ ले गए थे। वहां उन्होंने इन अंशो की कार्बन डेटिंग करवाई। जिसके बाद उन्होंने इन दरवाजों का समय काल 1359 ईसवी बताया था। उन्होंने यह भी कहा था कि 67% इस बात की संभावना है कि यह दावा 89 वर्ष आगे पीछे भी हो सकता है ।
बता दें कि प्रोफेसर ईवान के लकड़ी के लगे दरवाजों पर कार्बन डेटिंग से प्राप्त नतीजों को अगर सच मानें तो यह मकबरा तब का है जब मुगलों का यहां शासन नहीं था।
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बीजेपी सासंद दिया कुमारी ने ताजमहल को अपनी पुरखों की संपत्ति बताया है । उन्होंने दावा किया है कि ताजमहल उनके पुरखों की जमीन पर बना है । बता दें कि सांसद दिया कुमारी जयपुर के पूर्व राजघराने से सम्बंधित हैं । उन्होंने दावा किया है कि यदि आवश्यकता हुई तो वह इसके प्रमाण भी पेश कर सकती हैं । कुछ दावों के अनुसार शाहजहां ने जब इस 40 एकड़ जमीन पर ताजमहल बनवाने का निर्णय लिया तब इस जमीन पर महाराजा जयसिंह की हवेलियां मौजूद थीं ।
शाहजहां ने राजा जयसिंह को किसी दूसरी जगह पर उतनी ही जमीन पर हवेलियां दे दीं थीं और इस जमीन को खरीद लिया था। बाद में वह मन्दिर (तेजोमहालय) जयपुर के राजा मान सिंह के नियंत्रण में चला गया और फिर विरासत में यह राजा जयसिंह को मिला।