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सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सदस्य किसान कानून के घोषित समर्थक, कैसे होगा निष्पक्ष फैसला

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किसानों ने ठाना है कि तीनों किसान कानून किसानों के हित में नहीं है इन्हें वापस लो। सरकार भी कह रही है कि कानून वापस नहीं होंगे। सरकार और किसानों की कई बार बातचीत हुई लेकिन कोई हल नहीं निकला। दिल्ली बॉर्डर पर कड़कती सर्दी में आंदोलन कर रहे किसानों पर चिंता जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुजुर्गों ,बच्चों और महिलाओं को घर वापस भेज दिया जाए । CJI ने सरकार को फटकार लगाई कि आप कानून को स्थगित करते हैं या हम इस पर रोक लगा दे . CJI ने कहा कि सरकार कानून लागू करने पर क्यूं पड़ी हुई है।यदि कुछ होता है तो उसके जिम्मेदार हम सब होंगे हम नहीं चाहते कि हमारे हाथ खून से रंगे हो। CJI ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि बात महीनों से चल रही है लेकिन कुछ नहीं हो रहा ।

सुप्रीम कोर्ट ने किसान बिल के संसद में पास होने की प्रक्रिया और किसान कानून पर सवाल नहीं उठाए तो सुप्रीम कोर्ट शक के दायरे में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ऐसे फटकारा जैसे जब बच्चों में झगड़ा होता है तो बच्चे रोते हुए घर के बड़े बुजुर्गों के पास जाकर शिकायत करते हैं कि इसने मेरे साथ अन्याय किया तो बड़े बुजुर्ग झूठा गुस्सा बताकर बड़े बच्चे को धीरे से मारते हैं और डांटते हैं जिससे छोटा अबोध बच्चा खुश हो जाता है और वापस खेलने लगता है। लेकिन किसान अबोध बच्चा नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक कमेटी बनाई जाएगी जो दोनों पक्षों की बातें सुनकर रिपोर्ट बनाएगी और सुप्रीम कोर्ट को सौंपी जाएगी जिसके आधार पर फैसला होगा।लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी के जिन सदस्यों को चुना वह घोषित तौर पर किसान बिल के प्रबल समर्थक हैं कमेटी के इन सदस्यों में भूपेंदर सिंह मान, अनिल घनवट, अशोक गुलाटी और प्रमोद जोशी है जो पहले से ही किसान बिल के पक्षधर हैं।

यहां सवाल उठता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट को इस बात की जानकारी नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट ने दूध की निगरानी का ठेका बिल्ली को दे दिया है। और यदि सुप्रीम कोर्ट को पता था तो फिर किसान कानूनों को समर्थन देने वालों को ही क्यों कमेटी में सदस्य बनाया। क्या ऐसे में निष्पक्ष फैसले की उम्मीद की जा सकती है।

किसानों ने साफ कर दिया है कि वह कमेटी से बात नहीं करेंगे उन्हें कमेटी पर विश्वास नहीं है अब सवाल यह है कि किसानों का अगला कदम क्या होगा।सरकार का अगला कदम क्या होगा क्या सरकार कमेटी में अपने तथाकथित किसान संगठनो,जो हाल ही में पंजीकृत हुए हैंं ,द्वारा समर्थन दिला कर किसान कानूनों को लागू करा देगी।

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