Supreme Court on Arya Samaj Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने ही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उस याचिका पर सुनवाई के लिए अपनी सहमति जताई है। जिसमें मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा, आर्य समाज संगठन को विवाह संपन्न करते समय विशेष विवाह अधिनियम 1954 SMA के प्रावधानों का पालन करने का निर्देश दिया गया है। हाईकोर्ट ने यह कहा है कि एसएमए के अंतर्गत सक्षम प्राधिकारी के अलावा कोई भी विवाह प्रमाण पत्र जारी नहीं कर सकता है। अब ऐसे में तो घर से भागकर आर्य समाज मंदिर में शादी करना मुश्किल होगा या फिर आसान यह तो सुप्रीम कोर्ट ही तय करेगा।
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दरअसल Supreme Court ने आज Madhya Pradesh High Court के उस आदेश पर रोक लगा दी है। जिसमें आर्य समाज मंदिर में शादी करना बहुत ही मुश्किल हो गया है। अब Supreme Court भी इस मामले में विस्तृत सुनवाई कर आदेश देगा। आमतौर पर जब लोग घर से भाग कर शादी करते हैं तो आर्य समाज मंदिर जाते हैं। वहां पर हिंदू रीति रिवाज से कोई भी हिंदू शादी कर सकता है। हालांकि मंदिर से उन्हें शादी का भी सर्टिफिकेट मिल जाता है जो अदालत में भी मान्य होता है।
Supreme Court on Arya Samaj Marriage मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने यह फैसला दिया है कि आर्य समाज मंदिर को Special Marriage Act के प्रावधानों को मानना ही होगा। यानी कि शादी से पहले ही वर तथा वधु के माता पिता संबंधित थाना एवं पांच दोस्त या फिर रिश्तेदार को सूचना देनी होगी। जबकि शादी से पहले दोनों परिवारों को नोटिस भी भेजना होगा। आर्य समाज सभा ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सभा का यह कहना है कि हाईकोर्ट का फैसला हिंदू मैरिज एक्ट में दखल है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने पिछले साल 17 दिसंबर को एकल पीठ के साल 2020 के 9 दिसंबर को दिए उस आदेश को सही ठहराया था। जो शादी का प्रमाण पत्र केवल कानून में अधिकृत सक्षम अथॉरिटी ही उसे जारी कर सकती है। जिसके बाद से आर्य समाज संस्था के सेक्रेटरी मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को भी चुनौती दी है।
Supreme Court on Arya Samaj Marriage बता दें कि मध्य भारत आर्य प्रतिनिधि सभा का प्रतिनिधित्व करने वाले सीनियर एडवोकेट श्याम दीवान तथा वकील वंशजा शुक्ला यह तर्क दिया है कि हाईकोर्ट ने आर्य समाज के मंदिरों द्वारा किए गए, आर्य समाज के विवाह को निर्देश देकर विधायिका के क्षेत्र में प्रवेश करके एक गलती भी की है। हालांकि मध्यप्रदेश में याचिकाकर्ता समाज को स्पेशल मैरिज एक्ट के प्रावधानों का पालन करना होगा। जबकि याचिकाकर्ता संगठन ने यह कहा है कि मध्य प्रदेश में सारे आर्य समाज मंदिर ऊपर उसका अधिकार है।
Supreme Court on Arya Samaj Marriage गौरतलब है कि वकील ने यह तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने गलत तरीके से निर्देश दिया है कि आर्य समाज मंदिरो को स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 5, 6, 7 तथा 8 के प्रावधानों का पालन करने के बाद से ही विवाह की अनुमति देनी चाहिए। इसमें इच्छुक विवाह की information देना, शादी की Notebook, Notice, शादी पर आपत्ति और भी प्रक्रियाएं इसमें शामिल हैं।
एक लड़की ठेला चलाकर अपनी शादी के लिए पैसे बचा रही
Supreme Court on Arya Samaj Marriage जस्टिस केएम जोसेफ तथा ह्रषिकेश रॉय ने दलील सुनने के बाद से मध्य प्रदेश हाई कर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। हालांकि जिस ने संगठन को स्पेशल मैरिज एक्ट के मुताबिक अपनी गाइडलाइंस में संशोधन करने का निर्देश दिया तथा मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस भी जारी किया। बता दें कि यह मामला 2022 में हाईकोर्ट में एक अंतरतीय जोड़ी की तरफ से दायर एक याचिका से ही चर्चा में भी आया। जिसमें यह भी दावा किया गया था कि उन्होंने आर्य समाज की परंपरा के मुताबिक ही शादी की तथा राज्य सरकार को सुरक्षा का निर्देश देने के लिए कोर्ट के तरफ रुख किया।