Supreme Court: बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में एक अजब मामला सामने आया है। याचिका कर्ता के वकील ने अपनी बात साबित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की बेंच से 8 मिनट का समय मांगा था । सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे जजों ने पहले तो इनकार किया लेकिन बाद में एक शर्त पर तैयार हो गए । शर्त ये थी कि अगर याचिकाकर्ता के वकील तय समय में अपनी बात साबित नहीं कर पाए तो उन्हें जुर्माना भरना पड़ेगा।
जुर्माना भी कोई मामूली नहीं, हर एक मिनट का 1 लाख रुपए। जुर्माना भरने की सहमति मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को 8 अतिरिक्त मिनट का समय दे दिया । वकील साहब तय समय मे अपनी बात तो साबित कर नहीं पाए बल्कि उल्टे उन्हें जुर्माना अलग से भरना पड़ गया।
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खटारा वाहनों के दिल्ली में चलने से रोकने के Supreme Court के आदेश को याचिकाकर्ता के वकील अनुराग सक्सेना ने चुनौती दी थी । जिरह करते हुए याचिकाकर्ता वकील अनुराग सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने 10 साल पुराने डीजल वाहन और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के दिल्ली में चलने पर रोक लगा रखी है ।याचिकाकर्ता के वकील अनुराग सक्सेना इसी आदेश को चुनौती देते हुए इसे हटाने की मांग की थी।
याचिका कर्ता वकील ने संविधान के अनुच्छेद 14( समानता का अधिकार) का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच पर आसीन जस्टिस एल एन राव, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस बी आर गवई की पीठ से इस आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिका को तुच्छ बताते हुए खारिज कर दिया।
याचिका कर्ता के वकील अनुराग ने अनुच्छेद 14 का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में इन वाहनों पर प्रतिबंध लगाना संविधान के अनुच्छेद 14 में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है । इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वकील को लताड़ते हुए कहा –
” आप दिल्ली में पॉल्युशन की हालत देख रहे हैं! नए वाहनों से कार्बन उत्सर्जन हो रहा है फिर ये तो पुराने वाहन हैं। क्या दिल्ली को गैस चैंबर बनाने का इरादा है? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के अलावा NGT( राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) ने भी आदेश दिए हैं । आपने बढ़ते कार्बन फुटप्रिंट पर NGT के आदेश भी देखें हैं फिर भी इस तरह की दलीलें दे रहे हैं ! आप पर प्रति मिनट के हिसाब से 8 लाख का दंड लगा रहे हैं।”
दायर याचिका में याची द्वारा दिल्ली में पुराने वाहनों पर पाबंदी हटाने का आग्रह किया गया था जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील को जमकर लताड़ा। इस पर वकील अनुराग सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी बात साबित करने के लिए 8 मिनट का समय मांगा था जिसके बाद कोर्ट ने इसकी भी इजाजत दे दी। यद्यपि सुनवाई कर रही पीठ ने यह शर्त लगाई कि यदि याची का वकील अपनी बात इन 8 मिनट में सिद्ध नहीं कर पाया और बेंच को संतुष्ट नहीं कर पाया तो उसे प्रत्येक मिनट के 1 लाख के हिसाब से 8 मिनट के 8 लाख रुपये चुकाने होंगे। इस पर वकील सहमत हो गया था ।
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याचिकाकर्ता के वकील अनुराग सक्सेना ने इन 8 मिनटों में तमाम दलीलें दीं लेकिन वह सुनवाई कर रही पीठ को संतुष्ट नहीं कर सके। सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज किये जाने के बाद भी वकील ने बहस जारी रखी जिसपर बेंच ने कहा –
“हम पर 8 लाख रुपए का जुर्माना आराम से लगा सकते हैं ।आप इसके लिए राजी भी हो गए हैं । लेकिन हम दुर्भाग्य या सौभाग्य से बने वकीलों की स्थिति भलीभांति जानते हैं । हम किसी के भी प्रति नरम या कठोर नहीं होना चाहते। इसलिए हम चेतावनी दे रहे हैं । आपने कोर्ट का समय जाया किया इसलिए आप पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा रहा है जिसे कि सुप्रीम कोर्ट के लीगल सर्विसेज कमेटी के पास 2 हफ्ते में जमा करना होगा।”
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता के वकील को दोबारा इस तरह के मामले पीठ के सामने न लाने की चेतावनी भी दी है ।