Nitu Ghanghas: सफलता छोटी हो या बड़ी वह किसी एक की मेहनत पर नहीं मिलती बल्कि इसमें कई लोगों का योगदान होता है फिर वह चाहे आपके दोस्त हों , फैमिली मेंबर्स हों या फिर आपके शिक्षक । कुछ ऐसी ही कहानी नीतू घँघस की है । जैसा कि आपको पता चल ही गया होगा कि हाल ही में सम्पन्न हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा की नीतू घँघस ने गोल्ड मेडल जीता है । भिवानी के एक छोटे से गांव धनाना की रहने वाली 22 साल की बॉक्सर नीतू ने बर्मिंघम में सम्पन्न हुए राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किलो भार वर्ग में इंग्लैंड की डेमी जेड को फाइनल में हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया है ।
भिवानी से बर्मिंघम तक जाना और इतनी बड़ी प्रतियोगिता में गोल्ड जीतना नीतू के लिए आसान नहीं रहा और यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें बहुत स्ट्रगल करना पड़ा है । इस सफर में उनका उनके पिता जयभगवान घँघस ने दिया जो खुद कभी बॉक्सर बनना चाहते थे ।
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जयभगवान घँघस हरियाणा सचिवालय में कार्यरत थे। बचपन मे कभी सपना देखा था कि वह एक दिन बॉक्सर बनकर देश को मेडल दिलाएंगे । लेकिन जिंदगी ने उन्हें यह मौका नहीं दिया । घर मे जब बेटी हुई तो एक बार फिर से अपने उस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने कोशिश करनी शुरू कर दी और बेटी नीतू की वैसी ही परवरिश करने लगे । बेटी को ट्रेनिंग दिलाने के लिए हर रोज धनाना से भिवानी आना जाना पड़ता था ऐसे में एक तरफ नौकरी और दूसरी तरफ बेटी की आंखों से देखे गए सपने को पूरा करने के लिए जयभगवान ने नौकरी से छुट्टी ले ली ।
4 साल तक वह नौकरी में नहीं गए जिससे उन्हें कोई वेतन भी नहीं मिला । घर की आर्थिक स्थिति भी खराब रहने लगी । जयभगवान बताते हैं कि बेटी की डाइट के लिए कार बेच दी और भैंस खरीद ली ताकि उसके खान पान में कोई कमी न रहे । पैसों की तंगी के चलते कर्ज भी उन्हें लेना पड़ा। जयभगवान बताते हैं कि जब वो बेटी की ट्रेनिंग में दिन रात एक किये रहते तो लोग उनका हौसला बढ़ाने की जगह उनका मजाक उड़ाते थे ।
भिवानी ने देश को कई एथलीट दिए हैं जिनमे से एक विजेंदर सिंह भी हैं । बता दें कि विजेंदर सिंह ने साल 2008 में हुए बीजिंग ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था वह ऐसा करने वाले देश के पहले मुक्केबाज बने थे । नीतू ने विजेंदर सिंह के ओलंपिक में मेडल जीतने के बाद प्रैक्टिस शुरू की और सपना देखा था कि वह भी एक दिन विजेंदर जैसे ही देश को मेडल दिलाएगी । भिवानी में पिता जयभगवान ने नीतू की उसी नेशनल लेवल के बॉक्सर और कोच जगदीश सिंह की देखरेख में प्रैक्टिस कराई जिन्होंने विजेंदर सिंह को मुक्केबाजी सिखाई थी ।
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Nitu Ghanghas के पिता बताते हैं कि बेटी को सोने का तमगा जिताने के लिए उन्होंने सारे खर्चे त्याग दिए यहां तक कि परिवार ने ढंग के कपड़े तक भी नहीं खरीदे । उन्होंने कहा कि नीतू की ट्रेनिंग जैसे जैसे आगे बढ़ी खर्च बढ़ने लगा इस वजह से वह अपना नया मकान भी नहीं बना पाए ।
ओलंपिक पदक विजेता विजेंदर सिंह से प्रेरणा लेकर नीतू ने प्रैक्टिस शुरू की हालांकि शुरू के 3 साल तक उन्हें कुछ खास सफलता नहीं मिली और स्टेट लेवल में वह औसत रहीं हालांकि संघर्ष के इस समय में पिता हमेशा उनके साथ रहे और बेटी का हौसला बढ़ाते रहे । बता दें कि नीतू जहां भी बॉक्सिंग करने जातीं थीं पिता साथ मे रहते थे ।
Nitu Ghanghas को सबसे बड़ी कामयाबी साल 2016 में मिली जब ग्वालियर में हुए स्कूल गेम्स में नीतू ने गोल्ड जीता । वहीं इसी 2016 में वह गुवाहाटी में वर्ल्ड यूथ चैंपियन भी बनी । साल 2016 उनके लिए लकी रहा जहां से उन्हें सफलता के साथ आत्मविश्वास भी मिला । वह इसके बाद हुई एशियन यूथ चैंपियनशिप में भी गोल्ड जीतने में कामयाब रहीं ।
साल 2021 में उन्होंने सीनियर टीम में वापसी करते हुए स्ट्रेंजा मेमोरियल में गोल्ड जीता । बता दें कि देश की प्रसिद्ध मुक्केबाज मैरीकॉम को आदर्श मानने वाली नीतू ने कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए हुए ट्रायल बाउट में मैरीकॉम को हराया था । फिलहाल 22 साल की नीतू घँघस अब कॉमनवेल्थ गोल्ड मेडलिस्ट हैं ।