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Shoonya अभियान क्या है ? क्या यह अभियान भारत में सफल हो सकता है।

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इलेक्ट्रिक वाहनों को दिया जा रहा है बढ़ावा :-

Shoonya वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक कोशिश “Shoonya अभियान”

Shoonya :वर्तमान में वायु प्रदूषण का खतरा गहराता जा रहा है और लोगों को तथा अन्य जीव-जंतुओं को इससे बहुत परेशानी होती है प्रतिवर्ष वायु प्रदूषण से कई लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। दीपावली के बाद दिल्ली में तो बच्चों के स्कूल भी बंद करा दिए जाते हैं। इस संकट से निपटने के लिए Shoonya अभियान चलाया जा रहा है । इस अभियान में वायु प्रदूषण फैलाने वाली गाड़ियों पर नियंत्रण रखा जाएगा और बिना डीजल पेट्रोल की चलने वाली चार्जिंग गाड़ियों को बढ़ावा दिया जाएगा। सदियों पहले आर्यभट्ट ने शून्य की खोज की थी।

जिससे विज्ञान को नई खोज से एक नई राय मिली है और तकनीकी खोजों द्वारा दुनिया पहली इसी नई राय से प्रेरणा लेकर कुछ अन्य संस्था एवं नीति आयोग ने मिलकर Shoonya अभियान को लांच किया था और 25 जनवरी को इन संस्थाओं ने 10 ब्रांड फिल्म जारी किया है। भारत में ईंधन की खपत से दिनोंदिन खतरा बढ़ता चला जा रहा है। इसलिए भारत में इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को अपनाने की पहल चल रही है।

इसी पहल के आगे बढ़ाने के लिए उद्देश्य नीति आयोग द्वारा Shoonya अभियान लांच किया गया था। बहनों द्वारा जो पर्यावरण प्रदूषण फैल रहा है उसे रोककर सोने की स्थिति में लाने का उद्देश्य अभियान है। भारत ने RMi के सहयोग से इस शून्य अभियान का आयोजन किया था इस अभियान का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देना है

वायु प्रदूषण हटाने के लिए चलाया जा रहा अभियान :-

इलेक्ट्रिक वाहन चलाने से वायु प्रदूषण से मिलेगी बहुत राहत

इस Shoonya अभियान का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के लिए लोगों को जागरूक करना है। जो प्रत्येक रूट पर माल ढुलाई का काम या अन्य काम चल रहा है जो कंपनियों द्वारा किया जा रहा है इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। इसमें ओला, ऊबर, जोमैटो जैसी कंपनियां है जो माल की ढुलाई के काम में लगे हैं। शून्य अभियान के द्वारा कॉरपोरेट्स को भी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बढ़ावा देना है और लोगों को ऑनलाइन टूल किट उपलब्ध की जाएगी जिसके तहत लोग खुद ही यह गणना कर सकेंगे किशन अभियान द्वारा अब तक कितने फायदे हुए हैं।

2030 तक बढ़कर 114 फ़ीसदी हो सकता है प्रदूषण :-

Shoonya अभियान को बढ़ावा देने के लिए गाड़ियों पर अभियान का एक चित्र लगाया जाएगा और ड्राइवर को भी एक शून्य अभियान का बैच दिया जाएगा । कंपनियों में इलेक्ट्रिक वाहनों द्वारा विश्वसनीयता बढ़ेगी और लोगों को प्रदूषण के प्रति कर्तव्य तथा प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए हतोत्साहित करना होगा । माल वाहनों द्वारा 10 फ़ीसदी कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। विशेषज्ञों द्वारा बताया जा रहा है कि 2030 साल तक बढ़कर 114 फ़ीसदी हो सकता है। तेजी से बढ़ती शहरी जनसंख्या से ऊर्जा और परिवहन इंटेक्स पर दबाव बढ़ने के कारण ग्लोबल तापमान बढ़ रहा है।

इलेक्ट्रिक वाहन को अधिक से अधिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए और जगह-जगह चार्जिंग स्टेशन बनवाने चाहिए

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देश में सरकार को पेट्रोल पंप के अलावा चार्जिंग स्टेशन को देना चाहिए बढ़ावा :-

डीजल कोयला जैसे स्रोतों के लिए हमारे देश को अन्य देशों पर निर्भर होना पड़ रहा है और हाल ही में जो बैटरी टेक्नोलॉजी में सुधार हुआ उसे यह प्रतीत हो रहा है कि हमें इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग जल्द से जल्द कर लेना चाहिए। लेकिन Shoonya अभियान के लिए हमें व्यवस्था स्थापित करनी पड़ेगी। जिसमें हमें अभी भी चुनौतियां हैं । हमें गंभीरता से काम करना होगा क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्जिंग के लिए चार्जिंग स्टेशन बहुत कम है। और इक्के दुक्के चार्जिंग स्टेशन है वह अभी बंद पड़े हुए हैं ।

कंपनियों द्वारा ज्यादा रैम वाले बैटरियों का निर्माण करना चाहिए । इन गाड़ियों की कीमत भी कम हो ताकि लोग खरीद सके। हम भारत में लिथियम और कोबाल्ट जैसे घरेलू उत्पाद का कोई भंडार नहीं है, जो कि बैटरी के उत्पादन में अत्यंत आवश्यक है। लिथियम और कोबाल्ट के लिए भारत देश को आज भी चीन और जापान पर निर्भर करना पड़ता है । अभी और शोध की जरूरत है और इलेक्ट्रिक वाहनों की रिपेयरिंग भी बड़ी समस्या है ।

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