वनों के बिना भविष्य भयावह

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हम भोजन के बिना कम से कम 1 महीने रह सकते हैं। पानी के बिना कम से कम 1 सप्ताह तो रह ही सकते हैं। लेकिन ऑक्सीजन के बिना हम 2 मिनट भी नहीं रह सकते। यह सोचने वाली बात है कि ऑक्सीजन हमारे लिए इतनी जरूरी है और हम ऑक्सीजन के स्रोत हो यानी वनों का विनाश कर रहे हैं।

वनों की कटाई अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ है,

वन वर्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । वनों से मृदा संरक्षण होता है और यह जल स्तर को ऊंचा बनाए रखते में भी सहयोग करते हैं। वनो से कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन में संतुलन बना रहता है। एक साधारण सा चक्र हम वृक्षों के महत्व को इसी से समझ सकते हैं कि जब मनुष्य कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ेंगे और उसे सोखने के लिए पर्याप्त वृक्ष नहीं होंगे तो एक तरफ वायुमंडल में CO2 की मात्रा बड़ी तीव्र गति से बढ़ेगी और शुद्ध ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी यानी कि वायु प्रदूषण जिससे कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं।

वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ेगी तो वायुमंडल के तापमान में वृद्धि होगी जिससे ग्लोबल वार्मिंग होगी जो मनुष्य ,पौधों की जातियों और जानवरों की जातियों के लिए भी घातक हैं।ग्लोबल वार्मिंग के भयावह परिणाम होंगे । अगर बात समुद्री इलाके की की जाए तो पौधे ना होने पर समुद्र जल स्तर बढ़ जाएगा और महाद्वीपों के तटीय भाग जलमग्न हो जाएंगे तथा पलायन को बल मिलेगा।अपार जल संकट की स्थिति पैदा हो जाएगी। कहीं सूखा तो कहीं बाढ़ आएगा ।भारत में जल संकट गहराता जा रहा है।

नीति आयोग के अनुसार भारत के 40% हिस्से में 2030 तक पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं होगी। चेन्नई में तो इसका असर अभी से दिखने लगा है चेन्नई की एक झील जो 2018 में पानी से भरी हुई थी लेकिन 1 साल के अंदर 2019 में वह पूरी तरह से सूख गई और यह झील की सेटेलाइट तस्वीरें हैं।

यह एक चिंता का विषय है और इन समस्याओं का एक ही हल है वनों की कटाई पर रोक और ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण किया जाना चाहिए। वनों की कटाई एक स्लो प्वाइजन है जो धीरे-धीरे मनुष्य की उम्र कम करता है।

दिल्ली में रहने वालों के जीवन में से वायु प्रदूषण  ने 17 साल काट लिए यह एक कड़वा सच है। इन्फ्राट्रक्चर विकास के नाम पर सरकार भी वृक्षों की अंधाधुंध कटाई करवा रही हैं हालांकि सरकार वृक्षारोपण का आश्वासन देती है लेकिन सारे आश्वासन ठंडे बस्ते में चले जाते हैं और यदि सरकार वृक्षारोपण कर आते हैं तो वनों कि कटाई से कम वृक्षारोपण किया जाता है।

मुंबई में एक प्रोजेक्ट पर पेड़ों की कटाई हो रही थी जब देश की जनता ने इसका विरोध किया, और पर्यावरण प्रेमियों ने कोर्ट में याचिका दायर की और पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी जाए लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और जंगलों को काट दिया गया था।

अरावली बायोडायवर्सिटी के बीचो बीच से हाईवे गुजारना है जिससे बहुत से पेड़ों की कटाई होगी जोकि बहुत दुख की बात है।यदि अभी नहीं समझ में तो पानी खरीदने पर भी नहीं मिलेगा और सांस लेने के लिए ऑफ एयर सिलेंडर खरीदना होगा।

एक गंभीर विषय है जिस पर सरकार को जनता को जागरूक होना चाहिए वरना भविष्य भयावह होगा।

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