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Sasaram: प्लेटफॉर्म्स “स्टडी रूम” में बदल गया, देश की इस रेलवे स्टेशन पर हर रोज सैकड़ों छात्र करते हैं पढ़ाई…

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Sasaram: अक्सर हमने रेलवे स्टेशन या फिर स्ट्रीट लाइन पर पढ़ाई करते हुए सफलताओं की कई कहानियों को सुना या फिर पढ़ा है। लेकिन हमारे देश में ही एक ऐसा रेलवे स्टेशन भी हैं। जहां पर सैकड़ों छात्र पढ़ने के लिए जाते हैं। यह तस्वीर इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा वायरल हो रही है।

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एक अधिकारी ने अपने सोशल मीडिया ट्विटर पर रेलवे की तस्वीर शेयर की


ये तस्वीर रेलवे के एक अधिकारी Ananth Rupanagudi ने अपनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ही ट्वीट पर शेयर किया है। हालांकि इसमें सैकड़ों छात्र एक साथ रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। ये तस्वीर बिहार के Sasaram रेलवे स्टेशन की है। उन्होंने तस्वीर शेयर करते हुए यह जानकारी दी है कि सासाराम रेलवे स्टेशन पर रोज सुबह तथा शाम को सैकड़ों छात्र पढ़ाई करने के लिए आते हैं। जो रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म फॉर स्टडी रूम में बदल देता है।

रेलवे अधिकारी आनंद ने ट्वीट किया



रेलवे अधिकारी अनंत ने ट्वीट कर यह लिखा कि रोज सुबह तथा शाम 2 घंटे के लिए, Sasaram रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक तथा दो पर सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवा उसे कोचिंग क्लास में तब्दील कर देते हैं। जिसका मुख्य वजह स्टेशन पर 24 घंटे बिजली की आपूर्ति है।

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रिपोर्ट के अनुसार…


रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2002 ये सिलसिला शुरू हुआ। तब तक कुछ ही छात्र स्टेशन पर पढ़ने आते थे। लेकिन अब सैकड़ों छात्र Sasaram रेलवे स्टेशन पर सुबह तथा शाम को आकर पढ़ाई करते हैं, क्योंकि यहां 24 घंटे बिजली रहती है। जिसके कारण से उन्हें पढ़ाई करने में आसानी होती है।

Sasaram 20 वर्ष बाद बच्चों को पढ़ता देख


आज 20 वर्ष बाद भी यहां इन बच्चों को पढ़ता देख ऐसा लगता है कि कोई कोचिंग सेंटर चल रहा है। इसमें अधिकतर छात्र रोहतास जिले के हैं। जहां उग्रवादियों से प्रभावित गांव में रहने वाले छात्रों को बिजली की भी काफी समस्या रहती है। हालांकि सुविधाओं के अभाव में उन्होंने रेलवे स्टेशन को ही स्टडी रूम बना लिया है। जहां पर सुकून तथा शांति के साथ वही स्टडी करते हैं।

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छात्रों को 500 पहचान पत्र भी जारी किए गए


वहीं पर स्टेशन ने भी उन्हें उन छात्रों के कैरियर को संभालने के लिए अपनी भूमिका को स्वीकार किया है। जिसके लिए छात्रों को 500 पहचान पत्र भी जारी किए गए हैं। ताकि वह अस्थाई रूप से खुली कक्षाओं के रूप में इसमें शामिल होने के लिए आ सके तथा जा सके। कुछ लड़की तो रात को वहीं पर सो भी जाते हैं वह घर भी नहीं जाते।

पहले कुछ ही छात्रा आकर स्टेशन पर पढ़ाई करते थे



जानकारी के अनुसार इसकी शुरुआत वर्ष 2002 में हुई थी। उस वक्त कुछ छात्रा आकर इस स्टेशन पर पढ़ाई करते थे। यही कारण था कि यहां 24 घंटे बिजली रहती थी। लेकिन आज शहर के कई छात्र इसी स्टेशन पर आकर अपनी पढ़ाई करते हैं। आज ही स्थिति यह हो गई है कि सासाराम रेलवे स्टेशन एक संस्थान बन गया है। जहां छात्र पढ़ाई करते हैं। जानकारी के अनुसार यहां अधिकतर छात्र बिहार के रोहतास जिले से ही आते हैं जहां कि गांव में बिजली की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है।






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