Russia Ukraine War: कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे यूक्रेन के नाटो के साथ शामिल होने की आशंकाओं पर एक्शन लेते हुए रूस ने यूक्रेन पर एक साल पहले आज ही के दिन हमला बोला था । दिसंबर 2021 से यूक्रेन से लगती सीमाओं पर घेराबंदी करने के बाद 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन पर खुलकर हमला बोलते हुए युद्ध छेड़ दिया था जिसके बाद से दोनो देशों के बीच युद्ध लगातार जारी है और कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं है ।
सामने आए आंकड़ों के मुताबिक अब तक दोनों ही देशों को भारी जन धन की हानि हुई है । आंकड़ों के मुताबिक यूक्रेन के सैनिकों के अलावा करीब 7 हजार आम नागरिकों को जान से हाथ धोना पड़ा है जबकि लाखों लोग देश छोड़कर निर्वासित हो गए । वहीं एक साल पूरा होने के बाद भी युद्ध थमता नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में कयास लगाए जाने लगे हैं कि क्या दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की ओर बढ़ रही है? हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति के यूक्रेन दौरे ने इन आशंकाओं को और बल दे दिया है ।
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जैसा कि युद्धरत देशों में होता है युद्ध की विभीषिका वहां की आवाम को झेलनी पड़ती है। 90 के दशक तक सोवियत रूस का हिस्सा रहा यूक्रेन रूस से अलग होते ही एक स्वतंत्र देश के रूप में हाथ पांव मारने लगा पर रूस उस पर किसी भी तरह से अपना नियंत्रण खोना नहीं चाहता था । बीते वर्ष यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की खबरों और अमेरिका सहित पश्चिमी देशों से जुड़ाव को रूस झेल नहीं पाया और युद्ध का बिगुल छेड़ दिया ।
इस युद्ध में जहां यूक्रेन के लाखों लोग बेघर हो गए तो देश में भुखमरी और बेरोजगारी चरम पर है । युद्ध झेल रहे यूक्रेन में मानव तस्करी भी बहुतायत में हो रही है ।
रूस और यूक्रेन के बीच लंबे खिंचते युद्ध ने तीसरे विश्वयुद्ध की आशंकाओं को प्रबल कर दिया है । विश्व की महाशक्तियों में से एक रूस के एक तरफ होने और दूसरी तरफ यूक्रेन को समर्थन दे रहे अमेरिका सहित पश्चिमी मुल्कों के आमने सामने आ जाने से तृतीय विश्व युद्ध की आहट सुनाई देने लगी है । ऐसे में माना जा रहा है कि यदि रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध नहीं थमा तो दुनिया तीसरे विश्वयुद्ध की ओर अग्रसर हो जाएगी । ऐसे में इसका दंश पूरी दुनिया को झेलना पड़ेगा और चाहे अनचाहे दुनिया के तमाम देशों को अपना पाला भी निर्धारित करना होगा ।
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लंबे समय से रूस यूक्रेन के बीच जारी युद्ध अब खतरनाक स्तर तक पहुंचता जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक विश्वयुद्ध होने की स्थिति में दुनिया के तमाम देश मोर्चेबंदी के शिकार होंगे और उन्हें किसी न किसी पाले से युद्ध में शामिल होना होगा । जहां एक तरफ कुछ देश रूस के साथ होंगे जिनमें से उसके मित्र देशों के अलावा वो देश भी होंगे जो पश्चिमी देशों खासकर अमेरिका के खिलाफ होंगे । जबकि दूसरी ओर पश्चिमी देशों के साथ अमेरिका होगा ।
वहीं अनुमान ये भी लगाया जा रहा है कि विश्वयुद्ध होने की स्थिति में एक तीसरा धड़ा भी उभरेगा जो न तो रूस की तरफ होगा न ही अमेरिका की तरफ। इस धड़े में वो देश शामिल होंगे जो युद्ध नहीं चाहते ।
भौगोलिक आधार पर जानकारियां इकठ्ठा करने वाले जीआईएस (ज्योग्राफिकल इन्फोर्मेशन सिस्टम) ने कुछ आंकड़े निकाले हैं । इन आंकड़ों के अनुसार देशों के तीन हिस्सों में बंटते ही आपसी अविश्वास बढ़ेगा । ऐसी स्थिति में एक धड़ा दूसरे धड़े को शक और चुनौती के रूप में देखेगा और यही वजह आगे चलकर विश्वयुद्ध में तब्दील होगी ।
विश्वयुद्ध छिड़ने की स्थिति में दुनिया के तमाम देश अपने अपने हितों के अनुरूप तीन धड़ों ने बंट जायेंगे ऐसे में ये जानना जरूरी है कि कौन सा देश किस ओर रहेगा । बता दें कि पूंजीवादी और पश्चिमी देश अमेरिका के साथ एक पक्ष में होंगे । इन देशों में कनाडा, ब्रिटेन, यूके, जापान, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया जैसे देश शामिल होंगे वहीं दूसरे पक्ष में रूस के साथ उसके मित्र देशों के अलावा वो देश भी शामिल होंगे जिनके हितों की रक्षा रूस करता आ रहा है । ऐसे देशों में अमेरिका के प्रतिद्वंदी देश भी शामिल होंगे ।
इन देशों में बेलारूस, ईरान, सीरिया, वेनेजुएला,उत्तर कोरिया शामिल होंगे । वहीं चीन भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इन देशों का सहयोग करता नजर आयेगा । दरअसल चीन विश्वयुद्ध होने की स्थिति में खुद को सुपरपावर के रूप में स्थापित करने के मौके ढूंढेगा।
यदि तीसरे विश्व युद्ध की आशंकाएं बढ़ती हैं तो भारत की भूमिका को लेकर भी सवाल पूछे जायेंगे । भारत आज विकासशील देशों का नेतृत्वकर्ता है और सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था भी । ऐसे में माना जा रहा है कि भारत विश्वयुद्ध में किसी पक्ष में शामिल न होकर अलग पक्ष बनाएगा जो विश्वयुद्ध रोकने की कवायद करेगा । इस मोर्चे में दुनिया के वो देश शामिल रहेंगे जो विकासशील हैं और जो विश्वयुद्ध रोकना चाहते हैं । इन देशों में दक्षिण अमेरिका के अलावा दक्षिण एशियाई और अरब देश भी शामिल हो सकते हैं ।