Railway Engineer
Railway Engineer: बिहार (Bihar) के समस्तीपुर (Samastipur) में जालसाजों ने फ्रॉड की सारी हदें पार करते हुए ट्रेन का इंजन (Train Engine) ही बेच दिया था। वैसे इस सबसे बड़े घोटाले में समस्तीपुर रेलवे डिवीजन के एक इंजीनियर ने मुख्य भूमिका निभाई थी। करीब 6 महीने पहले इस इंजीनियर ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर रेलवे लोकोमोटिव इंजन बेच दिया था। 6 महीने से फरार चल रहे इस आरोपी इंजीनियर को आरपीएफ ने नोएडा से गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में आरोपी इंजीनियर ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
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यह मामला करीब 6 महीने पहले का है। बिहार में समस्तीपुर (Bihar Samastipur) रेलमंडल के डीजल शेड में कार्यरत एक इंजीनियर ने पूर्णिया स्टेशन पर खड़े करोड़ों रुपए के स्टीम इंजन को बड़ी चालाकी से फर्जीवाड़ा कर कबाड़ी को बेच दिया था। इस मामले में इंजीनियर छह महीने से फरार चल रहा था। मामला खुलने के बाद से राजीव झा की गिरफ्तारी के लिए आरपीएफ की टीम लगातार छापेमारी कर रही थी।
Railway Engineer आरोपी सेक्शन इंजीनियर राजीव रंजन झा को आरपीएफ ने जाल बिछाकर नोएडा से गिरफ्तार कर लिया है। आरपीएफ की पूछताछ में इस इंजीनियर ने कई सारे चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। लेकिन इस मामले में शामिल स्क्रैप के कारोबारी पंकज कुमार ढनढनिया अभी भी फरार है। पुलिस उनकी तलाश में लगी हुई है।
आरपीएफ कमांडेंट एसजेए जानी कहा की टीम इंजीनियर को फर्जी तरीके से बेचने वाले इंजीनियर व अन्य लोगों के खिलाफ बनमनखी स्टेशन के आरपीएफ पोस्ट में मुकदमा दायर किया गया था। इसी मामले में करीब 6 महीने से फरार चल रहे मुख्य कि आरोपी (सेक्शन इंजीनियर) को नोएडा से 17 जून को गिरफ्तार कर लिया गया था। खगड़िया कोर्ट में पेशी के बाद उसे 3 दिनों की रिमांड पर भेजा गया था। वहीं इंजीनियर से पुलिस ने सख्त पूछताछ की थी जिसमें कई सारी बातें सामने आई है।
इस जांच में कोई प्रभाव ना पड़े इसलिए इस सारी प्रक्रिया को बेहद ही गुप्त रखा गया था। कमांडेंट ने बताया कि 23 जून को इस इंजीनियर की रिमांड की अवधि पूरी हो गई है। इसलिए इंजीनियर को खगड़िया रेल कोर्ट में पेशी के बाद रेल जेल भेज दिया जाएगा। इस कांड में फरार चल रहे आरोपियों के विरुद्ध कोर्ट के आदेश पर उनके घरों पर भी नोटिस चस्पा की कार्यवाही की गई थी।
इंजन बेचने के फर्जीवाड़े में नामजद आरोपियों में अब तक करीब 5 लोग हवालात में जा चुके हैं । जिसमें से चार लोगों को रेलवे पुलिस ने अरेस्ट कर लिया था। इस कांड के एक अन्य आरोपी हेल्पर सुशील यादव ने खगड़िया कोर्ट में पहले ही सरेंडर कर दिया था। वहीं जेल जाने वाले लोगों में नीरज ढनढनिया, उनका मुंशी राम प्रसाद शर्मा और हाईवा का ड्राइवर शिशुपाल सिंह शामिल है
आखिर क्या था बिहार में अपराध का यह अनोखा मामला करीब 6 महीने पहले 14 दिसंबर 2021 को समस्तीपुर लोको डीजल शेड के रेलवे कर्मचारी राजीव रंजन झा ने पूर्णिया कोर्ट स्टेशन यार्ड में रखा एक पुराने स्टीम इंजन का बेच दिया था। इस मामले के मुख्य आरोपी इंजीनियर ने कथित तौर पर एक सुरक्षाकर्मी और स्टेशन के अन्य अधिकारियों की सहायता से इस घोटाले को अंजाम दिया था।
सावधानीपूर्वक नियोजित इस घोटाले में इंजीनियर राजीव रंजन झा ने फर्जी डीएमआई कागजी कार्रवाई के बाद रेलवे संपत्ति को बेच दिया था। इस इंजन को अवैध तरीके से 14 दिसंबर को बेचा गया था। किंतु, इंजन की अवैध बिक्री के दो दिन बाद इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ था। उस बाद रविवार (19 दिसंबर) को पूर्णिया कोर्ट थाना चौकी प्रभारी एमएम रहमान ने बनमनखी आरपीएफ चौकी पर रिपोर्ट दर्ज करावाई थी। एफआईआर में शेड पर तैनात इंजीनियर और सुरक्षाकर्मियों के अलावा सात लोगों के नाम इस घोटाले में शामिल थे।
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Railway Engineer, वहीं अगले दिन डीजल शेड में तैनात सिपाही संगीता ने स्क्रैप लोड में पिकअप वैन की एंट्री देखी थी। किंतु, उसे तो कहीं भी लाया गया स्क्रैप नजर नहीं आया। संगीता ने फौरन ही इस घोटाले की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दी थी। तब से ही इस मामले में जांच शुरू की गई थी। मंडल सुरक्षा आयुक्त एके लाल ने भी बताया कि एमएम रहमान ने डीजल शेड से जारी पत्रों के बारे में जांच का आरंभ किया तो शेड के डीएमई ने इस तरह का (इंजन को काटने) कोई भी पत्र जारी करने की बात से भी इंकार कर दिया था।
उस समय लगातार दो दिनों तक जांच के बाद भी जब स्क्रैप लोड वाहन की जानकारी नहीं मिलने पर प्राथमिकी दर्ज की गई। इस महा घोटाले में Railway Engineer राजीव रंजन झा, हेल्पर सुशील यादव समेत सात लोगों को आरोपी करार दिया करार दिया गया था। यह घोटाले का मामला खुलने के बाद से राजीव झा की गिरफ्तारी के लिए आरपीएफ की टीम लगातार छापेमारी कर रही थी। डीआरएम आलोक अग्रवाल के आदेश पर इंजीनियर व हेल्पर के समेत डीजल शेड पोस्ट पर तैनात दारोगा वीरेंद्र द्विवेदी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था।