Qutub Minar परिसर में हिंदू तथा जैन देवताओं की मूर्तियों की फिर स्थापना करने की मांग के बीच दिल्ली वक्फ बोर्ड ने एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने यह कहा कि कुतुब मीनार परिसर का मस्जिद में नमाज पहले से होती रही है। लेकिन भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण यानी कि एएसआई ने इसे रुकवा दिया था। बोर्ड ने इस मस्जिद में नवाज की अनुमति देने की मांग की है। इस मामले में अभी भी भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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चूंकि इससे पहले मंगलवार को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण ने दिल्ली की अदालत ने उस याचिका का विरोध किया था। जिसमें हिंदू तथा जैन देवताओं की मूर्तियों की कुतुब मीनार परिषद में फिर से स्थापना की मांग की गई थी। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण साफ-साफ शब्दों में यह कह दिया है कि यह पूजा का स्थान नहीं है तथा स्मारक के मौजूदा दर्जे को बदला नहीं जा सकता।
बता दें कि Delhi वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान ने बीते हफ्ते ASI के महानिदेशक को लिखे पत्र में यह अनुरोध किया था कि परिसर में स्थित प्राचीन “कुव्वत-उल-इस्लाम” Masjid में नमाज की इजाजत दी जाए। पत्र में यह दावा किया गया था कि ASI ने नमाज करने से रोक दिया था। ये परंपरा बिना किसी बाधा तथा व्यवधान के इसकी शुरुआत से ही जारी रही।
वक्फ बोर्ड की तरफ से नियुक्त मस्जिद के इमाम मौलवी शेर मोहम्मद ने इस बारे में पिछले 7 मई को एएसआई को पत्र लिखा था। इसमें यह कहा गया था कि एएसआई के अधिकारी मस्जिद में उन्हें नमाज नहीं करने दे रहे। दिल्ली वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने यह कहा है कि दिल्ली प्रशासन के 16 अप्रैल 1970 की बजट में Masjid को वक्फ संपत्ति घोषित किया गया है।
एएसआई ने कोर्ट को यह बताया कि कुतुब मीनार पूजा करने की जगह नहीं है, क्योंकि इसे केंद्र सरकार, कुतुबमीनर या फिर इसके किसी हिस्से की सुरक्षा किसी समुदाय द्वारा नहीं गई थी। हालांकि एएसआई इस बात से सहमत हैं कि कुतुब परिसर के निर्माण में हिंदू तथा जैन देवताओं के सदस्यों तथा छवियों को अस्वीकार कर दिया गया है। ये परिषद के उस हिस्से में शिलालेख से स्पष्ट है जो जनता को देखने के लिए खुला है।
एएसआई ने अदालत को ये भी बताया कि परिसर में एक दीवार के निचले हिस्से पर भगवान गणेश की एक छवि पाई जाती है। इस पर कोई भी कदम ना रखे यह सुनिश्चित करने के लिए 2001 से वहां एक ग्रिल प्रदान की गई है।
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आपको बता दें कि पिछले 10 मई को हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं द्वारा कुतुब मीनार परिसर में हनुमान चालीसा पढ़ने तथा स्मारक का नाम बदलकर “विष्णु स्तंभ” किए जाने की मांग करते हुए, कुतुबमीनार परिसर की तरफ मार्च करने पर पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया था। हालांकि प्रदर्शनकारी हाथों में बैनर लेकर हिंदू और जैन प्रतिमाओं की पूजा अर्चना की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं,
कि हिंदूवादी संगठन कुतुब मीनार परिसर स्थित “कुव्वत-उल-इस्लाम” मस्जिद से मूर्तियां हटाने की मांग कर रहे हैं, जिससे वह पूजा अर्चना कर सकें। प्रदर्शन कारी हाथों में कुछ पोस्टर लिए थे जिसमें यह लिखा था कि कुतुबमीनार वास्तव में “विष्णु स्तंभ” था।
दरअसल Qutub Minar ईट से बनी विश्व की सबसे ऊंची मीनार है। इसकी ऊंचाई से 72.5 मीटर है। दिल्ली पर्यटन विभाग की वेबसाइट के मुताबिक कुतुबमीनार को कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली के अंतिम हिंदू साम्राज्य को पराजित करने के बाद से 1193 में बनवाया था। हालांकि कुतुब मीनार परिसर में कुव्वत-उल-इस्लाम (लाइट ऑफ इस्लाम) मस्जिद का निर्माण 1993 से 1997 में करवाया गया था।