PM Narendra Modi ने कहा कि हमें न्यायालयों में स्थानीय भाषाओं को बढ़ावा देने की जरूरत है । न्यायिक प्रक्रिया और कोर्ट में सारा काम लगभग अंग्रेजी में होता है जिसे देश के तमाम हिस्सों में रहने वाले लोग समझ ही नहीं पाते । ऐसे में न्यायिक प्रक्रिया लम्बी होती चली जाती है । प्रधानमंत्री ने उक्त बातें शनिवार को विज्ञान भवन में आयोजित राज्यों के मुख्यमंत्री और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कहीं । बता दें कि यह सम्मेलन करीब 6 वर्ष बाद आयोजित किया जा रहा है ।
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PM Narendra Modi ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह हमें खुद से ही सोचना है कि 2047 में जब भारत अपनी आजादी के 100 वें वर्ष की खुशियां मना रहा होगा तब हम देश मे कैसी न्यायिक व्यवस्था देखना चाहते हैं । pm मोदी ने कहा कि हमें यह सोचना होगा कि 2047 तक हम कैसा भारत बनाएंगे । उन्होंने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह प्रश्न हमें खुद से करना होगा । हम कोशिश करें कि 2047 तक भारत की न्याय व्यवस्था और प्रक्रिया मजबूत हो सके।
PM Narendra Modi ने विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय न्यायिक प्रणाली की एक कमी यह भी रही कि इसमें अनावश्यक कानूनों को भी ढोया जाता रहा । कई ऐसे कानून थे जो समय के साथ उद्देश्यहीन हो चुके थे । 2015 में हमने ऐसे करीब 1800 कानून चिन्हित किये । इनमें से 1450 कानून केंद्र सरकार के दायरे में आते थे जिन्हें हमने खत्म किया जबकि जो कानून राज्यों के अधिकार में थे उनमें से सिर्फ 75 कानून ही खत्म किये गए । हम न्यायिक प्रक्रिया को सरल और समावेशी बनाना चाहते हैं । राज्यों को केंद्र का सहयोग करना चाहिए ।
प्रधानमंत्री मोदी ने शासन तंत्र और न्याय तंत्र को एक नदी की दो धाराओं के नाम से सम्बोधित किया । उन्होंने कहा यदि यह दोनों धाराएं मिलकर चलें तो देश मे न्याय प्रक्रिया मजबूत होगी और आम लोगों का ज्यूडिशियरी पर भरोसा बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि शासन और न्याय तंत्र के बीच संतुलन होना जरूरी है ।
वहीं प्रधानमंत्री मोदीजी द्वारा लोकल लैंग्वेज को न्यायालयीय प्रक्रिया में बढ़ावा देने के विचार पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस N V रमना ने कहा कि इसमें कई तरह की अड़चनें हैं । उन्होंने कहा कि कोर्ट में क्षेत्रीय भाषाओं का उपयोग करने में एक मुख्य अड़चन यह है कि कई बार न्यायाधीश क्षेत्रीय भाषा से परिचित ही नहीं होते। वहीं अन्य समस्याओं में से एक समस्या यह भी है कि हमारी तकनीक अभी उतनी विकसित नहीं हुई कि हम कोर्ट की सारी कार्यवाही और रिकॉर्ड को स्थानीय भाषा मे कन्वर्ट कर सकें या स्थानीय भाषा से अंग्रेजी में कन्वर्ट कर सकें ।
CJI ने आगे कहा कि AI(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) इसमें काफी हद तक मदद कर सकती है । हमने कोशिश की है और कामयाबी मिली है । उन्होंने कहा कि तमाम पेचीदगियों के लिए समय चाहिए।
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प्रधानमंत्री की अगुवाई में राज्यों के मुख्यमंत्री और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के सम्मेलन में शामिल हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सम्मेलन की जानकारी देते हुए कहा कि लंबित मामलों को कम करने और न्याय व्यवस्था को मजबूत बनाने के बारे में बात हुई। वहीं जजों की कमी का मुद्दा भी उठाया गया। उन्होंने आगे कहा कि हरियाणा और पंजाब का कोर्ट चंडीगढ़ में होने से दोनों राज्यों को तमाम तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। हमारी मांग है कि हरियाणा का कोर्ट हरियाणा में ही हो। cm खट्टर ने कहा कि इस मसले पर पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी सहमति दी है ।