मणिपुर वारदात: जानिए कौन है PLA आतंकी संगठन और क्या है इनकी मंशा

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शनिवार को मणिपुर में असम राइफल्स के काफिले पर हुए हमले में शामिल समूहों के पहचान का प्रयास हो रहा है। लेकिन पड़ताल के आरंभ में इस वारदात के पीछे मणिपुर में सक्रिय आतंकी संगठन PLA (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) का हाथ ही बताया जा रहा है। मणिपुर में इस समय आधा दर्जन से भी अधिक उग्रवादी गुट सक्रिय हैं। म्यांमार में भी इनके कुछ नेताओं ने अपने अड्डे बनाकर रखे हैं। इनका सभी का संबंध चीन से भी रहा है। फिलहाल तो एजेंसियां वास्तविक वजहों की पड़ताल करने में जुटी हुई हैं।

मणिपुर को एक अलग देश बनाने की PLA की मांग

PLA (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) इससे पहले भी ऐसे कई हमले कर चुकी है। लेकिन कल शनिवार को जो हमरा हुआ वह अब तक का सबसे घातक हमला है। PLA आतंकी संगठन मणिपुर के चार क्षेत्रों में सक्रिय हैं और इस संगठन में करीब 4000 लड़ाके शामिल हैं। मणिपुर को एक अलग देश बनाने की इस संगठन की प्रमुख मांग है।

1989 में PLA ने बनाया राजनीतिक फ्रंट

PLA संगठन अपनी स्थापना के वक्त से ही अर्धसैनिक बलों, भारतीय सेना और राज्य की पुलिस को निशाना बनाता आया है। वहीं, 1990 के दशक में इसने राज्य पुलिस के जवानों को नुक्सान नहीं करने की घोषणा की थी। फिर साल 1982 में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के प्रमुख थॉडम कुंजबेहारी की मौत और 1981 में एन. बिशेश्वर सिंह के अरेस्ट होने के बाद यह संगठन थोड़ा कमजोर भी पड़ गया था। लेकिन उस बाद साल 1989 में संगठन ने अपना एक राजनीतिक फ्रंट बना लिया, जिसका नाम उन्होंने रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) रख लिया।

राज्य के सभी जनजातियों की लड़ाई लड़ने का दावा
इस संगठन ने यह दावा किया है कि वह राज्य की सभी जनजातियों की लड़ाई लड़ रहा है, लेकिन राज्य के कुकिस , नागा और अन्य जनजाति समूह इनके साथ बिल्कुल ही नहीं हैं। इस संगठन के लड़ाके मेइतेई और पंगल जाति से हैं। मणिपुर राज्य की आबादी में करीब 53 फीसदी लोग मेइतेई समुदाय से ही हैं। हमारे देश के असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय और मिजोरम राज्यों के अलावा ये पड़ोसी देश बांग्लादेश और म्यामांर में भी बसे हुए हैं। इस समुदाय के लोग चीनी-तिब्बती भाषा बोलते हैं।

समाज के लिए शहीद कर्नल की सद्भावना अनंत काल तक चलेगी

असम राइफल्स ने शनिवार को कहा कि शहीद कर्नल विप्लव त्रिपाठी ने इस साल जुलाई में मणिपुर स्थानांतरित होने तक मिजोरम में अपनी सेवाएं दी थी।शहीद कर्नल का स्थानीय लोगों से था विशेष जुड़ाव था और समाज के लिए उनकी सद्भावना अनंत काल तक चलती रहेंगी। एक अधिकारी ने जानकारी दी कि मिजोरम में कर्नल त्रिपाठी के सक्षम और ऊर्जावान नेतृत्व में बटालियन भीतरी इलाकों में अवैध तस्करी को नाकाम बनाने और सीमा प्रबंधन में सबसे आगे रही है। अलग-अलग कार्रवाई में बटालियन ने कई हथियार भी बरामद किए हैं, जो देश विरोधी ताकतों के हाथों को सुपुर्द हो सकते थे। मिजोरम के स्थानीय लोगों के साथ कर्नल विप्लव त्रिपाठी का जुड़ाव उनके उल्लेखनीय प्रयासों में एक था। जनवरी 2021 में उनकी बटालियन द्वारा नशीली दवाओं के विरोध में चलाए गए अभियान को कई प्रशंसा और पुरस्कार भी मिले थे।

दो संगठनों ने ली मणिपुर हमले की जिम्मेदारी

मणिपुर में दो प्रतिबंधित उग्रवादी संगठनों ने शनिवार को असम राइफल्स की एक टीम पर हमला करने की जिम्मेदारी ली है । इस हमले में एक कमांडर और उसके परिवार के सदस्यों सहित सात लोग मारे गए। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) और मणिपुर नगा पीपुल्स फ्रंट ( MNPF) ने एक संयुक्त बयान में यह दावा किया कि उन्होंने चुराचांदपुर जिले के सेहकन गांव में अर्द्धसैन्य बल पर हमले को अंजाम दिया। इस हमले में असम राइफल्स की खुगा बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी और छह साल के बेटे के अलावा बल के चार जवान भी शहीद हो गए हैं।

2015 से सीओ रैंक के चार अधिकारी हुए शहीद

कर्नल विप्लव त्रिपाठी : 46 असम राइफल्स
कर्नल संतोष महादिक : 41 आरआर, कुपवाड़ा
कर्नल आशुतोष शर्मा : 21 आरआर हंदवाड़ा
कर्नल संतोष बाबू : 16 बिहार रेजिमेंट

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