Nirmala Sitharaman: सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक समीक्षा पेश की है। जिसमें वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सरकार के बजट से पहले अर्थव्यवस्था की स्थिति का ब्यौरा भी दिया गया है। Nirmala Sitharaman ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की 8- 8.5 फ़ीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान लगाया गया है।
Nirmala Sitharaman दूसरी तरफ एनएसओ (राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय) के अनुमान के अनुसार आर्थिक वृद्धि दर 9.2 फ़ीसदी रह सकती है। समीक्षा 2021-22 में अर्थव्यवस्था की अलग-अलग क्षेत्रों में स्थिति के साथ ही साथ वृद्धि में तेजी लाने के लिए किए जाने वाले सुधारों का ब्यौरा भी दिया गया है। वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी यानी कि सकल घरेलू उत्पाद में 7.3 फ़ीसदी की गिरावट आई थी। इकोनामिक सर्वे भारतीय अर्थव्यवस्था की को मजबूत बनाने के लिए आपूर्ति पक्ष के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित है। आपको यह बता दें कि देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन का पहला इकोनामिक सर्वे है। जिन्होंने अभी कुछ दिन पहले ही अपना पदभार संभाला है।
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सर्वे में यह कहां गया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान कृषि क्षेत्र की ग्रोथ 3.9 प्रतिशत ही रहेगी। हालांकि इस वित्त वर्ष में इंडस्ट्रियल ग्रोथ (Industrial Growth) 11.8 प्रतिशत रहेगी। वहीं पर services sector की ग्रोथ 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है।
कंट्रक्शन सेक्टर (construction sector) की बढ़ोतरी दर 10.7 फ़ीसदी रहने की उम्मीद है। 2021-22 के दौरान जीएफसीएफ (ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉरमेशन) 15 फ़ीसदी के साथ कोविड-19 स्तर पर पहुंच सकती है। सर्वे में यह कहा गया है कि oil prices 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल की रेंज में होगा तथा समय के साथ ग्लोबल सप्लाई चैन बेहतर होगी। सर्वे में यह कहा गया कि मैक्रो-इकोनॉमिक इंडिकेटर्स (micro-economic indicators) से संकेत मिलता है कि भारत financial year 2022-23 में चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूत स्थिति में है।
यह एक प्रकार से अर्थव्यवस्था की सालाना आधिकारिक रिपोर्ट होती है। इसी के जरिए सरकार देश की अर्थव्यवस्था की वास्तविक हालात के बारे में बताती है। इसमें future में बनाई जाने वाली योजनाओं तथा अर्थव्यवस्था में आने वाली चुनौतियों के बारे में भी बताया जाता है। इस सर्वे रिपोर्ट (survey report) में देश के आर्थिक विकास का अनुमान भी बताया जाता है तथा survey report में आगामी वित्त वर्ष का भी एक खाका पेश कर दिया जाता है। देश की अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ी की या फिर धीमी ही रहेगी इसकी जानकारी भी दी जाती है। इसके अलावा survey में सरकार को कुछ सिफारिशें भी दी जाती हैं।