Maharashtra: पिछले कुछ दिनों से हमारे देश में यह माहौल बन चुका हे कि लाउडस्पीकर को हमारे देश की राजनीति में शामिल कर लिया गया है! हम देख रहे हैं कि पिछले कुछ दिनों से लाउडस्पीकर को लेकर महाराष्ट्र राज्य में भी सियासत काफी गरमाई हुई है।
मस्जिद में अजान के लिए इस्तेमाल होने वाले लाउडस्पीकर को लेकर लोगों की राय दो विभागों में बढ़ चुकी है। वहीं हमारे देश भी एक ऐसा गांव भी मौजूद है जहां पर लाउडस्पीकर या हनुमान चालीसा को लेकर कोई भी विवाद नहीं हो रहा है। तो चलिए जानते हैं कि हमारी देश था वो हिस्सा आखिर कौन सा है,
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Maharashtra राज्य के नांदेड़ जिले के मुदखेड़ तहसील के बारड़ ग्राम पंचायत में पिछले पांच सालों से लाउडस्पीकर नहीं बजा ही नहीं है। यह एक ऐसा गांव है जहां चाहे मंदिर हो या फिर मस्जिद, लेकिन यहां आपको किसी भी गुंबद पर लाउडस्पीकर नहीं नजर आएगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस गांव में हिंदू व मुस्लिम समुदाय के लोगों की आपसी संमंती से पांच साल पहले ही लाउडस्पीकर पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
सबसे बड़ी बात तो ये है कि ये प्रतिबंध बिना किसी झगड़े या मनमुटाव के लगाया गया है। गांव के दोनों समुदाय के लोगों की आपसी सहमति से पांच साल पहले ही मंदिर-मस्जिद-बुद्ध विहार में लाउडस्पीकर बजाने पर प्रतिबंध रोक लगा दी गई है। उसके बाद से बारड़ ग्राम पंचायत में लाउडस्पीकर नहीं बजाया जाता है।
Maharashtra के नांदेड़ जिले के बारड़ गांव लिया गया ये फैसला धार्मिक एकता को लेकर कायम की गई नई मिसाल के नजरिए से देखा जाता है। आर्थिक रूप से समृद्ध एक खुशहाल और गांव के रूप में चर्चित बारड़ केले, गन्ने के साथ ही सब्जियों और फूलों की पैदावार के लिए भी प्रसिद्ध है। महाराष्ट्र का हर साल नए कीर्तिमान बनाने वाला ये अनोखा गांव चारों ओर से केले के बगान और गन्ने के खेते से घिरा हुआ है।
तकरीबन 15 हजार की आबादी वाले इस गांव में सभी जाति-धर्म के लोग सालों से मिलजुलकर रहते आ रहे हैं। 15 हिन्दू मंदिर, मस्जिद, जैन मंदिर, और बौद्ध विहार वाला ये गांव धार्मिक स्थलों पर 24 घंटे बज रहे लाउडस्पीकर से हो रहे ध्वनि प्रदूषण से काफी ही परेशान था। इसके बाद 2018 से ही गांव के सभी लोगों की इजाजत से सभी धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था
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वर्तमान में जहां लाउडस्पीकर की आड में देखा समुदाय के लोगों के बीच नफ़रतों की जड़ें मजबूत की जा रही हैं वहीं यह गांव ने गंगा जमुनी तहजीब की मजबूती कडी है। सबसे खास और सराहनीय बात ये भी है कि इस फैसले से गांव के लोगों के साथ साथ ही यहां की जामा मस्जिद के मौलवी मोहम्मद रजा साहब और गांव के सरपंच बालासाहेब देशमुख, समेत किसी को भी कोई समस्या नहीं है, बल्कि वह इस फैसले से काफी खुश भी हैं।