Birthday Special: Atal Bihari Vajpayee की जयंती पर सभी नेताओं ने किया वंदन, जानिए अपने कामों के लिए सर्वांगीण रहे ‘अटल’ के जीवन की अकथनीय व्यक्तित्व की कहानी

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Birthday Special दुनिया में कई ऐसी शख्सियते होती है जो हमारे बीच नही होती लेकिन हमारे दिलों में उनकी यादे हमेशा अमर रहेती है । इसी प्रकार ही हमारे देश की राजनीति के सबसे लोकप्रिय राजनेताओं में ‘ श्री अटल बिहारी वाजपेयी’ का नाम शामिल है, क्‍योंकि उन्होने अपने शासनकल में देश और भारतवासियो के लिये जो कार्य किए है उसी के कारण उनकी छवि एक अच्छे राजनेता के रूप में उभरी है। राजनेता होने के साथ ही वे एक महान कवि व महान मागदर्शक भी थे, यहां तक की राजनीति कीदुनिया में तो कई लोग उन्हें अपना गुरू व भगवान तक मानते हैं। आज 25 दिसंबर को क्रिसमस डे के अलावा अटल जी का Birthday भी है। आज इस खास मौके पर हम आपकों स्व. अटल जी के जीवन से जुडी कुछ अनसुनी और खास बातों के बारे बता रहे है।

अटल बिहारी के जीवन का परिचय

‘अटल बिहारी वाजपेयी’ ने हमारे देश को सशक्त बनाने और देश का विकास करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया । उनके द्वारा किए गए योगदानों के कारण याद किया जाता है। आज अटल बिहारी वाजपेयी जी PM’s 97th birth anniversary t पर उन्‍हें देश के तमाम नेताओं ने याद कर कोटि-कोटि नमन किया है। केंद्र सरकार भी हर साल ही अटल जी के योगदानों का स्मरण कर उनके जन्मदिवस को सुशासन दिवस’ के रूप में मनाती है।

अटल बिहारी वाजपेयी’  का जन्म 25 दिसम्बर 1924 को ग्वालियर, मध्य प्रदेश में हुआ था और उनका स्वर्गवास 16 अगस्त, 2018 को हुआ है। अटल जी ने अपना सारा जीवन ही मातृभूमि को समर्पित कर दिया था। उनके जीवन का एकमात्र लक्ष्‍य था कि हमारे देश भारत की गिनती भी विश्व के महान देशो में की जाए।

अटल जी के बारे में कुछ खास बाते

अटल जी  द्वारा किए गए योगदानों को याद करे तो उन्‍होंने संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत व हिंदी की अलख जगाई थी । साथ वह एक ऐसे निडर राजनेता थे जिन्होने दुनिया से विरुद्ध जाकर परमाणु विस्फोट परीक्षण का भी निर्णय लिया था । जो एक ऐतिहासिक फैसला था। स्व. अटल बिहारी जी सिर्फ राजनीति के अलावा फिल्म, खेल और स्वादिष्ट खाने के भी शौकीन थे।

तीन बार प्रधानमंंत्री पद के लिए चुने गए अटल जी

भारत रत्न अटल बिहारी जी के भाषण के भी लोग दिवाने थे। जब भी कहीं उनकी रैली या जनसभा होती थी, उसमें उनके प्रति लोगों की दीवानगी देखने को मिलती थी। अटल जी की हिन्दी भाषा पर भी अच्छी पकड़ थी, इतना ही नहीं वह अपनी स्‍पीच में भी मौके के अनुसार ही शब्‍दों का प्रयोग करते थे। अटल जी एक ऐसे नेता है जिन्होने दशकों तक अपने भारतीय राजनीतिक पटल को अपने व्यक्तित्व से एक चमकते सितारे की तरह देश के हर दौर को रोशन किया है । उनकी छवी  हिन्‍दुस्‍तान के एक चमकतेे सितारेे के रूप में बनकर उभरी थी। अटल जी जनता के दिल में बसते है, उनके कार्यो के कारण ही जनता द्वारा उन्‍हें तीन बार देश के प्रधानमंंत्री पद के लिए चुना गया । चलिये यह भी जान लेते है की जानें कब-कब प्रधानमंंत्री पद पर रहे थे अटल जी,

  1. अटल जी पहली बार साल 1996 में प्रधानमंत्री के पद पर रहे, लेकिन उस वक़्त उनकी सरकार सिर्फ तेरह दिन ही चली थी और उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया था।
  2. दूसरी बार फिर साल 1998-99 में अटल जी PM बने थे।
  3. तीसरी बार साल 1999 से 2004 तक वह हमारे देश के प्रधानमंत्री पद पर रहे थे।

अटल जी का राजनीतिक इतिहास

तीन बार देश के प्रधानमंत्री की बनने के अलावा अटल जी हिंदी कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे उनका राजनीतिक सफर भी एक रोलर कोस्टर के जैसा रहा है

  • अटल जी भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक थे।
  • अटल जी साल 1968 से 1973 तक वह बतौरे राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके है।
  • अटल जी साल1957 में बलरामपुर जिला गोण्डा, युपी से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर वे लोकसभा पहुँचे।
  • साल 1957 से 1977 तक भाजपा पार्टी की स्थापना तक वे बीस साल तक लगातार ही जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे थे।
  • साल 1977 से 1979 तक विदेश मंत्री का कारभार संभाला था।
  • विदेश मंत्री के पद पर तैनात रहते हुए उन्होने ने विदेशों में भी हमारे देश की एक अद्भूत छवि बनाई थी।

साल 2015 में नवाजा गया देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्‍‍‍न से

साल 2004 में BJP की करारी हार हुई थी और सत्ता की कमान कांग्रेस के हाथ आई थी। साल 2015 में अटल जी को देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्‍‍‍न से नवाजा गया। किंतु, इस सर्वोच्च सम्मान से पहले भी अटल जी को पद्म विभूषण से लेकर अन्य कई सम्मान भी प्राप्त हुए थे।

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बाजपाई जी के निधन से एक युग का हुआ अंत

देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी 93 साल की उम्र में साल 2018 में 16 अगस्त को इस दुनिया को अलविदा कह चले थे। उनके निधन से एक युग का अंत हो गया था और देश में शौक की लहर दौड़ गई थी। 

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