karimnagar milk well: कुदरत ने इस दुनिया मे न जाने कितनी ही ऐसी चीजें बनाई हैं जिन्हें देखकर हमें अचरज होता है । हम इंसानी बुद्धि से उन चीजों से आंकते हैं लेकिन तब भी हम कुदरत का करिश्मा समझ नहीं पाते । कुदरत की कुछ ऐसी ही एक खूबी तेलंगाना राज्य में मौजूद हैं ।
यहां के करीमनगर जिले में मौजूद एक कुंआ ऐसा भी है जिससे पानी की जगह दूध निकलता है । न सिर्फ इसका रंग दूधिया होता है बल्कि इसकी महक भी दूध जैसी ही होती है । पानी की जगह दूध निकलने वाले इस कुएं की ख्याति इतनी है कि यहां दूर दूर से लोग इसका दूधिया पानी पीने आते हैं । न सिर्फ करीम नगर बल्कि समूचे हैदराबाद में इस कुएं की ख्याति फैली हुई है ।
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दूध के जैसा पानी निकालने वाला यह कुंआ तेलंगाना के करीमनगर से 30 किलोमीटर दूर स्थित मोलँगर किले में बना हुआ है । यह कुआं इस किले जितना ही पुराना और ऐतिहासिक है । बताया जाता है कि इस ऐतिहासिक कुंए के पानी का इस्तेमाल हैदराबाद के तत्कालीन निजाम आदि किया करते थे । इस कुंए के पानी का उपयोग हैदराबाद के निजाम और शासकों के लिए किया जाता था.
वह लोग इस कुएं के दूधिया पानी (karimnagar milk well) को पीने के लिए नौकरों आदि से पानी मंगवाया करते थे । नौकर घोड़ागाड़ी से हर रोज पानी लादकर निजामों और शासकों के यहां पहुंचाते थे । निजामों का मानना था कि इस कुएं का पानी अलौकिक है ।
माना जाता है कि इस मालंगर किले का निर्माण 13 वीं शताब्दी में काकतीय वंश के राजाओं ने करवाया था । जनश्रुति के अनुसार काकतीय वंश के राजा के मुख्य सिपहसालारों में से एक वोरागिर मोगगाराजू ने इस किले का निर्माण करवाया था ।
बताया जाता है कि यह किला वारंगल किले से करीमनगर में एलङ्गडल किले तक यात्रा करने वाले काकतीय लोगों के लिए एक पड़ाव का काम करता था । लोग कुछ देर यहां ठहरते थे और फिर यात्रा के लिए निकल पड़ते थे ।
करीमनगर के मोलुंगर किले में स्थित इस कुंए के पानी को स्थानीय लोग दूधबौली कहते हैं । अब इस कुएं का पानी दूधबौली के नाम से ही प्रसिद्ध है । यहां के स्थानीय लोग मिशन भागीरथ के अंतर्गत मिलने वाले पानी की जगह इस कुएं के पानी को पीना पसन्द करते हैं ।
यहां के स्थानीय निवासी शिवा प्रसाद बताते हैं कि अब इस कुएं का पानी इतना प्रसिद्ध हो गया है कि हम लोगों के लिए मोलुंगर का मतलब दूधबौली और दूधबौली का मतलब मालंगर हो गया है । वो दूधबावी का मतलब समझाते हुए बताते हैं कि इस कुएं का पानी बिल्कुल दूध जैसा दिखता है । चाहे बाल्टी से पानी निकालें या कुएं में झांकते समय भी पानी बिल्कुल दूध जैसा दिखता है ।
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हाल ही में करीमनगर के नगर निगम (एमसीके) के अधिकारियों ने इस कुंए के दूधिया रंग के पानी का रहस्य सुलझाने के लिए इसके नमूने एकत्र किए हैं । स्थानीय लोगों के अनुसार इस कुएं का पानी उनके लिए अमृत जैसा है । स्थानीय लोगों की मानें तो इस पानी से कई तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं । वहीं इस कुएं के बारे में सबसे रोचक तथ्य तो यह है कि इसका पानी कभी सूखता नहीं है ।
भीषण गर्मी में भी इसमें दूधिया पानी बना रहता है । एनमपल्ली के दित्ती वेंकटैया बताते हैं कि 1964 तक इस कुएं का पानी राधापुरु, कतापुरु आदि जगहों पर जाता था । वह बताते हैं कि इस कुएं का पानी हैदराबाद तक एक्सपोर्ट किया जाता था । वहीं इस कुएं के दूधिये रंग के पानी के विषय मे करीमनगर के भूविज्ञानी राजकुमार बताते हैं कि कुएं के दूधिया रंग का पानी होने की वजह कुएं के नीचे दूधिये रंग की चट्टानों का होना है । वह बताते हैं कि क्वार्ट्ज मिनरल की कई किस्में होती हैं । वह बताते हैं कि नीचे चट्टानें होने के कारण ही पानी का रंग सफेद है।