Categories: Viral News

Indian Rice Man: कौन है भारत के वो ब्लॉकबस्टर ‘राइस मैन’? जो पूरी दुनिया को खिला रहे हैं “चावल”

Published by

Indian Rice Man Gurdev Singh Khush: पंजाब के जालंधर में 22 अगस्त, 1935 को एक किसान करतार सिंह के सबसे बड़े बेटे के रूप में पैदा हुए गुरदेव सिंह खुश को दुनिया भर के लोग ‘राइस मैन’ (Indian Rice Man) के नाम से जानते हैं। दुनिया के इतिहास में कोई भी खाने वाली फसल दुनिया भर में उतने क्षेत्र में नहीं लगाई गई है, जितनी कि Rice Man Gurdev Singh Khush की ब्लॉकबस्टर IR36 और IR64 चावल की किस्में लगाई गई है।

आपने अक्सर ही स्पाइडर मैन, आयरन मैन, यहां तक की पैड मैन तक का नाम भी सुनते होंग लेकिन क्या आपने ‘राइस मैन’ नाम सुना है। जि हां.. ‘राइस मैन’, तो चलिए आज हम आपको उस ‘राइस मैन’ (Rice Man Gurdev Singh Khush) के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं जिनके द्वारा खोजे गए चावल को आज दुनिया भर के लोग खा रहे हैं।

डॉक्टर बनना चाहते थे Indian Rice Man गुरुदेव सिंह खुश

Indian Rice Man

वैसे तो कृषि वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग (Norman Borlaug) का नाम हरित क्रांति के जनक के तौर पर सबसे उपर आता है लेकिन भारत के डॉक्टर गुरदेव सिंह खुश (Gurdev Singh Khush) को लोग ‘ राइस मैन’ (Rice Man) के नाम से जानते हैं। उन्होंने अपने अथक प्रयासों से दुनिया में धान की करीब 300 से ज्यादा किस्में ईजाद की है। कृषि के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान को हम कभी नहीं भुला पाएंगे क्योंकि उन्होंने दुनिया को कभी भी भुखे पेट कभी नहीं सोने दिया। इसलिए ही उन्हें धान के क्षेत्र में हरित क्रांति का जनक कहा जाता है।

हालांकि, बेहद कम लोग ही जानते होंगे कि ‘Indian Rice Man’ के नाम से फेमस डॉक्टर गुरदेव सिंह खुश डॉक्टर बनना चाहते थे। यह बात उन्होंने खुद बताई है।

गुरदेव सिंह खुश को पसंद नहीं चावल

गुरदेव सिंह खुश की आईआर 64 और आईआर 36 (IR64, IR36) धान सबसे उम्दा नस्ल का धान है जो कम समय में बेहतर उपज देता है। गुरदेव सिंह खुश ने बताया था, वे चावल नहीं बल्कि गेहूं से बनी चपाती (रोटी) खाना पसंद करता है। उन्होंने उदहारण के तौर पर कहा था कि, वे काफी हद तक मिल्कमैन ऑफ इंडिया वर्गीज कुरियन के जैसे हैं । क्योंकि भारत में “श्वेत क्रांति के जनक” वर्गीज कुरियन को दूध पीना बिल्कुल पसंद नहीं था, लेकिन उन्होंने भारत में दूध की क्रांति लाकर इतिहास रचा।

32 सालों तक नहीं देखे थे खेत

Indian Rice Man

Indian Rice Man गुरदेव सिंह के बारे में एक दिलचस्प बात जानकर आप चौंक जाएंगे कि दुनिया के इस राइस मैन (Rice Man Gurdev Singh Khush) ने 32 सालों तक कभी धान के खेत नहीं देखे थे।

ऐसे शुरू हुई थी कहानी

गुरदेव सिंह खुश ने जून 1955 में एग्रीकल्चर कॉलेज लुधियाना से ग्रेजुएशन । उनके अच्छे नंबरों की बदौलत उन्हें कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, डेविस (यूसीडी) में विज्ञान में मास्टर्स के लिए आसानी से एडमिशन मिल गया। आपको जानकर हैरानी होगी कि खुश का रिसर्च चावल पर नहीं लेकिन राई पर था। साल 1966 ,अगस्त में अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान आईआरआरआई के निदेशक रॉबर्ट एफ. चांडलर ने खुश (Rice Man Gurdev Singh Khush) को छह साल पुराने संस्थान को ज्वॉइन करने के लिए आमंत्रित किया और एक साल के भीतर वो IRRI में शामिल हो गए.

पाकिस्तान से भारत क्यूं चले आए ये हिंदू जानिए पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ क्या होता है

अजब प्रेम की गजब कहानी, भारतीय लड़की को बांग्लादेशी लड़की से हुआ प्यार, 6 साल तक की डेटिंग, अब कर ली शादी!

IR36 और IR64 चावल की किस्मों को खोजा

आगे चलकर खुश (Indian Rice Man) राइस ब्रीडर बन गए क्योंकि, IRRI में हर कोई चावल पर काम करता था। यहीं पर खुश द्वारा पैदा की गई चावल की किस्में विशेष रूप से IR36 और IR64 ने सभी को प्रभावित किया। IR36 मई 1976 में जारी किया गया और 1980 के दशक के दौरान सालाना 11 मिलियन हेक्टेयर में लगा दिया गया था। इससे पहले किसी भी प्रकार की खाने वाली फसल यहां तक की धान को भी कभी इतने बड़े स्तर पर नहीं बोया गया था।

इन आंकड़ों ने बना दिया ‘राइस मैन’

Indian Rice Man

प्रशासनिक पदों में बहुत कम रुचि दिखाते हुए गुरुदेव खुश (Rice Man Gurdev Singh Khush) फरवरी 2002 में रिटायर हो गए। उनके नेतृत्व में ही 75 देशों में कुल 328 चावल ब्रीडिंग लाइनों को 643 किस्मों के रूप में जारी किया गया। इनमें से कई किस्में जिनमें IR42 और IR72 शामिल हैं, व्यापक रूप से बोए गए और इसका असर ये हुआ कि 1966 और 2000 के बीच वैश्विक चावल उत्पादन 133.5 प्रतिशत (257 मिलियन से 600 मिलियन टन तक) बढ़ चुका।

अगर धान बोने के लिए उपयोग करने वाले खेतों की बात करें तो इसमें 20.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। इन आंकड़ों ने ही गुरुदेव सिंह खुश को ‘ राइस मैन’ (Rice Man) बना दिया।

Recent Posts