India Japan Relations: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2014 में जापान यात्रा के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध प्रगढ़ हुए हैं, और इसका सबसे बड़ा फायदा भारत को हुआ है। आपको बता दें, कि भारत को जापान के निवेश में रिकार्ड बढ़ोतरी हुई है। चाहे वह सरकार की तरफ से होने वाला निवेश हो या फिर वहां के निजी क्षेत्र का।
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पिछले सात साल में 3.5 खरब जापानी येन के निवेश के लक्ष्य को हासिल किया गया है, जिसकी घोषणा खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2914 एवं तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने की थी। यह निवेश इंवेस्टमेंट प्रमोशन पार्टनरशिप के जरिये किया गया है। इसके साथ ही जापान के साथ सामरिक संबंधों में भी मजबूती आई है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, निवेश में बढ़ोत्तरी के ही कारण आज जापान की 1455 कंपनिया भारत में कार्य कर रही हैं। इस दौरान राजस्थान के नीमराणा तथा आंध्र प्रदेश के श्री सिटी में 11 जापान इंडस्ट्रिल टाउनशिप जेआईटी में स्थापित हुई हैं। जिनमें अधिकतर जापानी कंपनियां कार्य कर रही हैं।
सूत्रों के मुताबिक, आज जापान भारत में पांचवां बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेशकर्ता है। जापान भारत का सबसे बड़ा विकास सहयोगी बन चुका है। जापान की मदद से ही आज भारत में बहुत सारे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे की परियोजना निर्माणधीन है। इनमें शामिल मुम्बई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल, डेडिकेटेड कॉरिडॉर, मेट्रो प्रोजेक्ट्स, डीएमआईसी और कई अन्य प्रमुख योजनाएं शामिल हैं।
पिछले साल ही जापान के सहयोग से तैयार हुआ। वाराणसी में सभागर रुद्राक्ष का उद्घाटन किया गया था। और जापान के प्रधानमंत्री ने अपना वीडियो संदेश भी भेजा था। वहीं दोनों देशों ने 2018 में डिजिटल पार्टनरशिप और स्टार्टअप के छेत्र में भी सहयोग पर हस्ताक्षर किए थे। तब से भरतीय स्टार्टअप कंपनियों द्वारा जापान से 10अरब डॉलर से भी अधिक का निवेश प्राप्त किया गया है।
दोनों देशों ने निजी क्षेत्र में तकनीकी स्टार्टअप में निवेश के लिए भी एक कोष तैयार किया है। जिसमें अब तक 10 करोड़ डालर की राशि एकत्र हुई है। साथ ही दोनों देशों ने सूचना संचार तकनीक के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाया है। जिसमें 5 जी, समुद्र के अंदर केबल, टेलीकाम नेटवर्क सुरक्षा जैसे कई क्षेत्र शामिल हैं। दोनों देश कौशल विकास के क्षेत्र में भी कार्य कर रहे हैं। और अगर आज निर्माण क्षेत्र की बात करें, तो जापान-भारत संस्थानों की संख्या 19 पहुंच गई है, जबकि 2018 में यह सिर्फ आठ थी। ये संस्थान भारत में कार्य कर रही जापानी कंपनियों ने स्थापित किये हैं।
जिनके जरिये भारत के कर्मियों को कौशल विकास का ट्रेनिंग प्रदान किया जाता है। इतना ही नहीं टेक्निकल इंटर्न प्रोग्राम के तहत 220 युवाओं को प्रशिक्षण के लिए जापान भी भेजा जा चुका है। वहीं दोनों देशों से स्किल्ड वर्कर एग्रीमेंट भी किया है।
India Japan Relations जिससे नौजवानों को जापना में रोजगार हासिल करने में सरलता मिलेगी। विकास में सहयोगी के साथ ही जापान सामरिक दृष्टिकोण से भी भारत के लिए महत्वपूर्ण है। तथा दोनों देशों के सामरिक रिश्ते भी मजबूत हुए हैं। हिन्द प्रशांत क्षेत्र में भारत और जापान दोनों क्वाड (QUAD) के सदस्य हैं। इसलिए हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में जापान क्षेत्रीय सामरिक समीकरण में भारत का अहम सहयोगी है। तथा हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते दखल को रोकने के लिए भारत और जापान की एक जैसी ही नीति है।
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India Japan Relations भारत और जापान के बीच सामरिक रूप से सप्लाई एवं सर्विस एग्रीमेंट भी है। जो रक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है, इसके तहत एक दूसरे के जंगी तोपें, जहाजों को तकनीकी मदद एवं मेंटीनेंस प्रदान करने का प्रावधान होता है।
आपको बता दें, कि दोनों देशों के बीच नवंबर 2019 में टू प्लस टू वार्ता की शुरूआत भी हो चुकी है। 2017 में भारत जापान एक्ट ईस्ट फोरम की स्थापना की गई। जिसका मकसद पूर्वोत्तर भारत में चल रही परियोजानओं में समन्वय स्थापित करना है। इनमें विशेष रूप से संचार, वन प्रबंधन तथा डिजास्टर खतरों से निपटना है। इसके तहत त्रिपुरा एवं मिजोरम में कई प्रोजेक्ट चल रहे हैं।