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Free Tourist Places: आपके पास नहीं हैं अगर पैसे तो यहां पर मुफ्त में रह सकते हैं आप, भारत में ही है यह अनोखा शहर

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Free Tourist Places: दुनिया के किसी भी कोने में रहने के लिए किसी भी इंसान को पैसों की जरूरत होती है। बिना पैसों के इंसान अधिक दिनों तक खुश एवं संतुष्ट नहीं रह सकता।‌‌ हर काम के लिए उसको पैसों की जरूर पड़ेगी ही। लेकिन हम आज आपको अपने देश के एक ऐसे शहर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके बारे में जानकर यकीनन ही आप हैरान रह जायेंगे। क्योंकि इस शहर में रहने के लिए आपको पैसों की जरा सी भी जरूरत नहीं पड़ेगी। उसके लिए बस आपको शांति से रहना होगा तथा जाति-धर्म के बंधनों से एकदम मुक्त होना होगा।

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ये अनोखा शहर तमिलनाडु में स्थित है

हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के विल्लुपुरम में स्थित “ऑरोविले” नाम के एक ऐसे शहर के बारे में। जहां पर कोई भी इंसान मुफ्त में रह सकता है। यह दुनिया का एक ऐसा शहर है जहां पूरी दुनिया के पुरुष व महिलाएं शांति से रहते हैं। 28 फरवरी 1968 में स्थापित किए गए इस शहर में कोई राजनीतिक दखल नहीं है। इस शहर की स्थापना अरविंदो सोसाइटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत मीरा अल्फाजों ने की थी।

यहां रहने के लिए आपको ईर्ष्या एवं भेदभाव को भूलकर पूरी तरह से एक सेवक बनकर ही रहना पड़ेगा, क्योंकि इस शहर को बनाने के पीछे यही उद्देश्य था कि लोग यहां पर आकर एक दूसरे से भेदभाव या फिर ऊंच-नीच, जात-पात को एकदम पूरी तरह से भुला दें।

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एक ऐसा मातृमंदिर जिसमे नहीं होती पूजा

दरअसल इस शहर के बीचोबीच एक मातृमंदिर स्थित है। लेकिन इस मंदिर में कोई भी पूजा नहीं होती है बल्कि यहां पर लोग योग करते हैं। हालांकि ऑरोविले भारत के संविधान के एक अधिनियम के माध्यम से ऑरोविले फाउंडेशन द्वारा शासित है। यानी कि ऑरोविले फाउंडेशन के सचिव को किसी भी व्यक्ति विशेष की ऑरोविले सदस्यता की पुष्टि या फिर उसे ख़ारिज करने का अधिकार है।

ये शहर सिटी ऑफ डॉन के नाम से जाना जाता है

ऑरोविले चेन्नई से लगभग 150 किमी दूर स्थित है। जिसे “सिटी ऑफ डॉन” यानी कि भोर का शहर के नाम से भी जाना जाता है। इस शहर में कोई इंसान आकर बस सकता है। लेकिन इसके लिए एक शर्त को भी फॉलो करना होता है।

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सेवक की तरह रहते हैं लोग इस शहर में

बता दें कि इस शहर में रहने की शर्त सिर्फ इतनी सी है कि यहां पर जो लोग रहना चाहते हैं उन्हें सेवक के तौर पर ही रहना होता है। इस शहर की संस्थापक मीरा अल्फाजों 29 मार्च 1914 को श्री अरविंदो स्प्रिचुअल रिट्रीट में पुदुच्चेरी आई थीं। कुछ दिन यहां पर गुजारने के बाद से वह जापान चली गई। चूंकि एक बार फिर से 1920 में वह वापस भारत लौटीं एवं 1924 में श्री अरविंदो स्प्रिचुअल संस्थान से जुड़ गईं। संस्थान के साथ जुड़कर वह जनसेवा का कार्य करने लगी। सब लोग उन्हें “मां” कहकर पुकारते थे।

यहां खुद का बैंक है

यहां के लोगों ने वर्षों से पैसों की शक्ल नहीं देखी। बता दें कि लगभग 35 वर्ष पहले इस शहर में एक फाइनेंशियल सर्विस सेंटर को स्टार्ट किया गया। आरबीआई ने इसके लिए मंजूरी भी दी थी। यह सर्विस सेंटर एक बैंक की तरह ही काम करता है। इस बैंक में रहने वाले लोग अपना पैसा खुद ही ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन जमा करा देते हैं। उसके बाद से उन्हें ऑरोविले फाइनेंशियल सर्विस की ओर से एक अकाउंट नंबर भी दिया जाता है।

Free Tourist Places, इस नंबर से ऑरोविले के लगभग 200 कमर्शियल सेंटर एवं छोटी-बड़ी दुकानों में खरीदारी की जा सकती है। वहीं अगर कोई भी यहां पर गेस्ट बनकर आता है। तो उसे डेबिट कार्ड की तरह एक ऑरो कार्ड भी दिया जाता है।

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